भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) UPSC सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में सबसे डायनेमिक और स्कोरिंग विषयों में से एक है। इसमें मूलभूत आर्थिक अवधारणाएं, सरकारी नीतियां और हाल के आर्थिक विकास शामिल होते हैं। परीक्षा में इकोनोमी के प्रश्नों की संख्या और महत्वपूर्ण भारांश को देखते हुए, अभ्यर्थियों को इस विषय में महारत हासिल करने के लिए एक सुनियोजित रणनीति अपनानी चाहिए। यह ब्लॉग UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 के भारतीय अर्थव्यवस्था पाठ्यक्रम, ट्रेंड्स और तैयारी की प्रभावी रणनीतियों का गहन विश्लेषण प्रदान करता है।
पाठ्यक्रम की समझ
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए Economics का पाठ्यक्रम - आर्थिक और सामाजिक विकास-सतत विकास, गरीबी, समावेश, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहलें, आदि।
ऊपर उल्लिखित Economics का पाठ्यक्रम सीमित प्रतीत होता है। वास्तव में, ये 15 शब्दों से कई टॉपिक्स को छिपाए हुए हैं। यहाँ 'आदि' पर ध्यान दीजिए। मुद्रा की प्रकृति से लेकर, अर्थव्यवस्था में विभिन्न कारकों की भूमिकाएं क्या हैं, देश में कितना उत्पादन होता है, ये सभी पाठ्यक्रम के अंतर्गत आते हैं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था का पाठ्यक्रम मोटे तौर पर निम्नलिखित टॉपिक्स को शामिल करता है:







अभ्यर्थियों को इन टॉपिक्स के दायरे और प्रासंगिकता को समझने के लिए UPSC के ऑफिशियल पाठ्यक्रम और विगत वर्षों के प्रश्न पत्रों का संदर्भ लेना चाहिए।
1. प्रश्नों का विश्लेषण: मुख्य थीम और अक्सर पूछे जाने वाले टॉपिक
पिछले कुछ वर्षों में, UPSC द्वारा अवधारणात्मक स्पष्टता (Conceptual Clarity) और आर्थिक सिद्धांतों (Economic Principles) के अनुप्रयोग आधारित प्रश्न आ रहे हैं। प्रश्नों को मुख्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- अवधारणात्मक प्रश्न: आर्थिक शब्दावलियों की परिभाषा और उनके निहितार्थ।
- नीति-आधारित प्रश्न: सरकारी योजनाएँ, बजट घोषणाएँ।
- करेंट अफेयर्स-आधारित प्रश्न: वैश्विक आर्थिक घटनाओं का भारत पर प्रभाव।

समष्टि अर्थशास्त्र:

भारतीय अर्थव्यवस्था:

2. क्या स्टडी मटेरियल पढ़ना चाहिए?

आवश्यक अध्ययन सामग्री (EM)
- समष्टि अर्थशास्त्र (NCERT कक्षा 12)
- भारत का आर्थिक विकास (NCERT कक्षा 11)
- व्यष्टि अर्थशास्त्र (NCERT कक्षा 12)
- व्यवसाय अध्ययन (NCERT कक्षा 12)
- केंद्रीय बजट
- आर्थिक सर्वेक्षण
नोट- व्यवसाय अध्ययन NCERT (केवल वित्तीय बाजार के लिए)
आवश्यक समाचार-पत्र (EN)
- द हिंदू
- इंडियन एक्सप्रेस
नोट- आप वैकल्पिक रूप से RBI, WTO आदि की वेबसाइटों का संदर्भ ले सकते हैं।
रैंडम अध्ययन सामग्री (RR):
UPSC प्रीलिम्स परीक्षा में प्रतिवर्ष कुछ ऐसे प्रश्न भी पूछे जाते हैं, जो उन विषयों पर आधारित होते हैं जो ऊपर दिए गए मानक स्रोतों (EM. EN या RM) में शामिल नहीं हैं। जैसे 2021 में 'वाटर क्रेडिट' से संबंधित प्रश्न पूछा गया था। इस तरह के विषय कम प्रचलित होते हैं और इसलिए ऐसे स्रोतों (जहां से ये विषय प्राप्त होते हैं) को गैर-परंपरागत या रैंडम सामग्री (RR) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
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3. UPSC प्रारंभिक परीक्षा में इकोनोमी: प्रश्नों की संख्या और कठिनाई का स्तर
हाल के वर्षों में इकोनोमी खंड से प्रश्नों की संख्या स्थिर रही है, जिसमें कठिनाई का स्तर अलग-अलग रहा है। प्रतिवर्ष, चाहे कितने भी असामान्य और कठिन टॉपिक शामिल किए गए हों, औसतन 40 प्रतिशत प्रश्न हमेशा आसान (EASY) रहे हैं। अन्य 30-40 प्रतिशत प्रश्न मध्यम (MODERATE OR MEDIUM) स्तर के होते हैं और केवल 3-4 प्रश्न कठिन (DIFFICULT) होते हैं।

इस स्थिर पैटर्न को देखते हुए, इकोनोमी प्रीलिम्स में सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक बना हुआ है।
4. समग्र अवलोकन
- प्रतिवर्ष अर्थशास्त्र विषय से औसतन 18-20 प्रश्न पूछे जाते हैं। इनमें से कुछ प्रश्नों को हम करंट अफेयर्स के अंतर्गत वर्गीकृत करते हैं। (इसलिए अर्थशास्त्र से पूछे गए प्रश्नों की संख्या यहां अपेक्षाकृत थोड़ी कम प्रतीत होती है।)
- विगत 10 वर्षों (2015-2024) में पूछे गए 70 प्रतिशत प्रश्न समष्टि अर्थशास्त्र या मैक्रो-इकोनॉमिक्स सेक्शन (NCERT वर्गीकरण के अनुसार) से थे, जिसमें बाह्य क्षेत्रक, मुद्रा आपूर्ति और बैंकिंग सेक्शन शामिल थे।
- पेमेंट इकोसिस्टम (या डिजिटल वित्त) जैसे कुछ सेक्शन से बार-बार प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। इस सेक्शन से 2017 में 2 प्रश्न पूछे गए थे, 2018 में 3 प्रश्न और 2019 में 1 प्रश्न पूछा गया था। विमुद्रीकरण के कारण डिजिटल वित्त के क्षेत्रक में वृद्धि दर्ज हुई थी। इस कारण यह काफी लोकप्रिय विषय बन गया।
- भारतीय अर्थव्यवस्था (NCERT वर्गीकरण के अनुसार) से संबंधित प्रश्नों की संख्या भी समान रूप से अधिक रही हैं। अभी तक अधिकतर प्रश्न भारतीय कृषि से ही पूछे जाते रहे हैं। हालांकि, 2021 और 2022 में पूछे गए प्रश्नों को इसके अपवाद के रूप में लिया जा सकता है, क्योंकि इन दो वर्षों में भारतीय कृषि पर आधारित अर्थशास्त्र का कोई प्रश्न नहीं पूछा गया था।
- कृषि में, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) एक बहुत ही महत्वपूर्ण और बार-बार पूछे जाने वाला टॉपिक रहा है। वर्ष 2020 में ही, इस टॉपिक से 3 प्रश्न (अलग-अलग स्तर पर MSP से संबंधित) पूछे गए थे। इसके अलावा कृषि व्यापार भी इसका एक महत्वपूर्ण उप-विषय रहा है।
- इसके अलावा बिना किसी बदलाव के प्रश्नों की पुनरावृत्ति भी हुई है। 2015 और 2016 में 'घाटे' पर समान प्रश्न पूछा गया था। इसी तरह एक ही प्रश्न 2019 और 2021, दोनों ही वर्षों में पूछा गया था।इसके अतिरिक्त, बैंक बोर्ड ब्यूरो भी बार-बार पूछा जाने वाला टॉपिक रहा है।
- व्यष्टि अर्थशास्त्र सेक्शन से अपेक्षाकृत कम ही प्रश्न पूछे गए हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि UPSC में इससे प्रश्न नहीं पूछे जाएंगे। इस सेक्शन से विगत 7 वर्षों में, केवल 2 प्रश्न ही पूछे गए हैं।
- UPSC में परंपरागत विषय क्षेत्रों से बाहर जाकर भी प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। जैसे अकाउंटेंसी से भी कुछ प्रश्न पूछे गए हैं: उदाहरण के लिए, फर्मों की पूंजी / राजस्व, और 'साइबर बीमा' से संबंधित प्रश्न।
- 2015 से 2024 के बीच अब तक अर्थशास्त्र के 2 प्रश्नों को हटा दिया गया है। इनमें से पहला प्रश्न 2020 (भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर आधारित) में और दूसरा प्रश्न 2022 (कैपिटल फ्लाइट) से पूछा गया था।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 के लिए प्रभावी रणनीति
- अवधारणात्मक स्पष्टता (Conceptual Clarity): इसके लिए गहन तैयारी की आवश्यकता होती है। चूंकि शामिल किए गए टॉपिक्स की सीमा बहुत व्यापक और विविध है, अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे अभिभूत (Overwhelmed) न हों और हमेशा धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहें। हमेशा NCERT की पुस्तकों (कक्षा 11 और 12) से शुरुआत कीजिए। यदि कोई और भी बुनियादी स्तर से शुरुआत करना चाहता है, तो कक्षा 9 की पुस्तकें एक अच्छा विकल्प हैं। धीरे-धीरे अखबार पढ़ना शुरू किया जा सकता है। मैक्रोइकॉनॉमिक्स (समष्टि अर्थशास्त्र) की बुनियादी अवधारणाओं को समझने और रिवीजन करने के बाद ही भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास, वर्तमान स्थिति एवं चुनौतियों को समझा जा सकता है।
- आर्थिक सर्वेक्षण और बजट पर फोकस: आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को पढ़िए और जीडीपी की संवृद्धि, रोजगार का ट्रेंड, राजकोषीय नीति में परिवर्तन जैसे प्रमुख टॉपिक्स को हाइलाइट करते हुए अध्ययन। केंद्रीय बजट 2025 का विश्लेषण कीजिए और महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं, कर प्रस्तावों और सार्वजनिक व्यय योजनाओं पर विशेष फोकस रखिए। रिवीजन के लिए शॉर्ट नोट्स तैयार कीजिए और परीक्षा से पहले आर्थिक सर्वेक्षण और बजट का कम से कम तीन बार रिवीजन कीजिए।
- सरकारी योजनाएं: विभिन्न मंत्रालयों के तहत सभी प्रमुख सरकारी योजनाओं की सूची बनाइए। कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और वित्तीय समावेशन के आधार पर योजनाओं को वर्गीकृत कीजिए। पात्रता, उद्देश्य, कार्यान्वयन और प्रभाव पर फोकस कीजिए। नीतियों के अपडेट के लिए पीआईबी (प्रेस सूचना ब्यूरो) और PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च का उपयोग कर सकते हैं।
- विगत वर्षों के प्रश्न पत्र (PYQs) और मॉक टेस्ट के साथ नियमित अभ्यास: पिछले 10 वर्षों के PYQs का विश्लेषण कीजिए ताकि पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति को समझ सकें। मॉक टेस्ट द्वारा अभ्यास कीजिए और अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन कीजिए। अर्थव्यवस्था-आधारित प्रश्नों को हल करते समय समय प्रबंधन और Accuracy का ध्यान रखना चाहिए।
- करेंट अफेयर्स से अपडेट: आर्थिक विकास (Economic Development) के लिए द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस और बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे समाचार पत्रों का अध्ययन कीजिए। स्टेटिक आर्थिक अवधारणाओं को वर्तमान सरकारी नीतियों और वैश्विक रुझानों से जोड़कर समझने का प्रयास कीजिए। VisionIAS PT365, मासिक करंट अफेयर्स मैगजीन, स्मार्ट क्विज जैसे करेंट अफेयर्स स्रोत का नियमित अध्ययन कीजिए, जो आपकी समझ को मजबूत करने में मदद करेगा।
- माइंड मैप्स और शॉर्ट नोट्स का उपयोग: जटिल आर्थिक अवधारणाओं को फ्लोचार्ट, डायग्राम और माइंड मैप्स का उपयोग करके सरल बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, मौद्रिक नीति का फ्लोचार्ट रेपो दर में परिवर्तन के प्रभाव को समझने में मदद करते हैं, जबकि मांग-आपूर्ति वक्र बाजार की गतिशीलता को समझाते हैं। माइंड मैप्स मुद्रास्फीति, आरबीआई की नीतियों और आर्थिक विकास जैसे विषयों को जोड़ सकते हैं, जो परीक्षा के दौरान याद रखने में मदद करते हैं। बुलेट पॉइंट्स सरकारी योजनाओं, आर्थिक नीतियों और रुझानों को समझने में आसान बनाते हैं। एक संरचित दृष्टिकोण—दैनिक त्वरित रिवीजन, साप्ताहिक समेकन और मासिक पूर्ण रिवीजन—बेहतर याद रखने में मदद करता है। शॉर्ट नोट्स का बार-बार रिवीजन करने से अवधारणात्मक स्पष्टता बढ़ती है, जिससे UPSC प्रारंभिक परीक्षा में इकोनोमी-आधारित प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।
VisionIAS Quick Revision Material
विगत 10 वर्षों के PYQs का विश्लेषण देखिए
निष्कर्ष:
भारतीय अर्थव्यवस्था UPSC प्रारंभिक परीक्षा का एक अभिन्न भाग है। अवधारणात्मक स्पष्टता, पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों (PYQs) के विश्लेषण और आर्थिक सिद्धांतों के साथ करेंट अफेयर्स को जोड़ने वाली एक सुनियोजित रणनीति अच्छा स्कोर करने की कुंजी है। संरचित तैयारी और नियमित अभ्यास के साथ, अभ्यर्थी इकोनोमी खंड में महारत हासिल कर सकते हैं और UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 को पास करने की संभावना को अधिकतम कर सकते हैं। अनुशासित रहते हुए, नियमित रूप से रिवीजन कीजिए और नवीनतम इकोनॉमिक ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहिए!