UPSC सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा और वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा के साथ होने से विगत वर्षों में पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी विषय का महत्व लगातार बढ़ रहा है। वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती पर्यावरणीय चिंताओं के साथ, UPSC द्वारा पर्यावरणीय मुद्दों, नीतियों और पर्यावरण से संबंधित वैज्ञानिक अवधारणाओं पर अभ्यर्थी की जागरूकता एवं समझ का परीक्षण किया जाता है। इस ब्लॉग में UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 में पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी विषय के बेहतर प्रदर्शन के लिए पाठ्यक्रम की विस्तृत समझ, ट्रेंड एनालिसिस और एक प्रभावी तैयारी रणनीति प्रदान की गई है।
पाठ्यक्रम की समझ
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के पाठ्यक्रम में पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है; हालांकि, इसे 'पर्यावरण पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन पर सामान्य मुद्दे – जिनके लिए विषय विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है' के तहत व्यापक रूप से शामिल किया गया है। लेकिन पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों और उनके विश्लेषण के आधार पर, इन टॉपिक्स को निम्नलिखित रूप में विस्तार से समझा जा सकता है:






UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी का ट्रेंड एनालिसिस
पिछले कुछ वर्षों के प्रश्न पत्रों के विश्लेषण से निम्नलिखित ट्रेंड सामने आते हैं:
1. बढ़ता महत्व:
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी विषय से UPSC सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या अधिक बनी हुई है। पिछले 10 वर्षों में, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी से प्रश्नों की संख्या 15-22 के बीच रही है, जो प्रारंभिक परीक्षा में इसके बढ़ते महत्व को दर्शाता है।

2. करेंट अफेयर्स से जोड़कर प्रश्न:
वर्तमान पर्यावरणीय घटनाओं, नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों से काफी प्रश्न प्रारंभिक परीक्षा में पूछे जाते हैं। UPSC में प्रश्न अक्सर स्टेटिक अवधारणाओं को समकालीन पर्यावरणीय मुद्दों से जोड़कर पूछे जाते है। अधिकांश प्रश्न समाचार और संबंधित करेंट अफेयर्स से प्रेरित होते हैं।
3. संकल्पनात्मक (Conceptual) और विश्लेषणात्मक (Analytical) दृष्टिकोण:
प्रश्न केवल तथ्यात्मक नहीं होते हैं, बल्कि इनके लिए विभिन्न पर्यावरणीय अवधारणाओं के बीच अंतर्संबंधों और उनके अनुप्रयोग की समझ की आवश्यकता होती है। प्रश्न जैव विविधता से लेकर प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन से लेकर कृषि तक विभिन्न टॉपिक्स पर आधारित होते हैं।
4. संरक्षण पहलों पर बल:
वनीकरण, वन्यजीव संरक्षण और सतत विकास लक्ष्य जैसे टॉपिक्स से अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफेंट और जैव विविधता अधिनियम जैसी नीतियाँ आवर्ती विषय हैं। विभिन्न प्रजातियों के व्यवहार संबंधी पहलू जैसे उनका पर्यावास, खान-पान, सुरक्षा तंत्र आदि परीक्षा के प्रमुख थीम में से एक हैं।
5. अन्य विषयों के साथ ओवरलैप और इंटरलिंक:
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी विषय भूगोल, जीव विज्ञान और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के साथ ओवरलैप करता है, जिसके कारण एक उम्मीदवार के लिए इन क्षेत्रों की भी व्यापक समझ होना आवश्यक है।
6. पिछले 10 वर्षों में UPSC में पूछे गए टॉपिक-वाइज प्रश्न:

विगत 10 वर्षों के PYQs का ट्रेंड एनालिसिस
UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 के लिए प्रभावी रणनीति
1. मानक पुस्तकों और स्रोतों का संदर्भ लें
- एनसीईआरटी (कक्षा 6-12): ये एक मजबूत बुनियादी समझ प्रदान करते हैं।
- VisionIAS का क्लासरूम मटेरियल: ये डॉक्युमेंट व्यापक रूप में लिखे हुए हैं जो पाठ्यक्रम को व्यवस्थित रूप से कवर करता है।
- करेंट अफेयर्स पत्रिकाएँ (डाउन टू अर्थ, योजना, कुरुक्षेत्र, VisionIAS मासिक मैगजीन): पर्यावरणीय नीतियों और मुद्दों पर अद्यतन रहने के लिए महत्वपूर्ण।
- सरकारी रिपोर्ट्स (आर्थिक सर्वेक्षण, इंडिया ईयर बुक, वन स्थिति रिपोर्ट): इन डॉक्युमेंट्स में प्रामाणिक डेटा और नीति अपडेट शामिल होते हैं।
Vision IAS Value Addition Material
2. करेंट अफेयर्स के साथ अद्यतन
- द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, और PIB में पर्यावरण संबंधी समाचारों को नियमित रूप से पढ़िए।
- महत्वपूर्ण जलवायु शिखर सम्मेलनों, संधियों और सरकारी पहलों पर नज़र रखिए।
- मासिक करेंट अफेयर्स मैगजीन, PT365 और जानकारी को बेहतर ढंग से समेकित करने के लिए स्मार्ट क्विज का प्रयास कीजिए।
Current Affairs
3. पिछले वर्षों के प्रश्नों (PYQs) को हल कीजिए
- 10 वर्षों के PYQs का अभ्यास करने से पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार और विभिन्न विषयों के महत्व को समझने में मदद मिलेगी।
4. मॉक टेस्ट का प्रयास करें
- एक टेस्ट सीरीज़ में शामिल हों जिसमें फुल-लेंथ मॉक और टॉपिक-वाइज टेस्ट (संधान टेस्ट सीरीज़) शामिल हों। अपनी गलतियों का विश्लेषण करें और कमजोर क्षेत्रों में सुधार करें।
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5. स्टेटिक को करेंट अफेयर्स से जोड़कर पढ़ना
- यह समझना कि वर्तमान पर्यावरणीय घटनाक्रम स्टेटिक अवधारणाओं (Concepts) से कैसे संबंधित हैं, उत्तरों की Accuracy को बेहतर करेगा।
6. अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और भारतीय नीतियों पर विशेष फोकस
- UPSC अक्सर अंतर्राष्ट्रीय संधियों और पर्यावरणीय नीतियों से संबंधित प्रश्न पूछता है। प्रमुख सम्मेलनों और समझौतों की सूची तैयार कीजिए एवं उनके प्रमुख प्रावधानों को समझने पर फोकस कीजिए।
7. नियमित रूप से रिवीजन
- त्वरित रिवीजन के लिए शॉर्ट नोट्स बनाइए।
- प्रमुख अवधारणाओं को याद रखने के लिए सप्ताह में कम से कम एक बार रिवीजन कीजिए।
- महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स और पहलों को संक्षेप लिखकर रखिए।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 के लिए महत्वपूर्ण विषय
- भारत में राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और जीवमंडल रिजर्व
- महत्वपूर्ण प्रजातियाँ (IUCN रेड लिस्ट, भारत में संकटग्रस्त प्रजातियाँ)
- भारत में रामसर साइट्स और वेटलैंड्स
- जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट्स (IPCC, UNFCCC, SDG प्रगति रिपोर्ट)
- आपदा प्रबंधन और शमन रणनीतियाँ
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत और भारत की ऊर्जा नीतियाँ
- प्रदूषण नियंत्रण उपाय और पर्यावरणीय कानून
निष्कर्ष
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी न केवल UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार चरणों में भी एक अभिन्न भूमिका निभाते हैं। एक सुनियोजित अध्ययन दृष्टिकोण, जो वर्तमान घटनाओं के साथ संकल्पनात्मक समझ को जोड़ता है, अभ्यर्थियों को अपने अंकों को अधिकतम करने में मदद करेगा। व्यवस्थित तैयारी, नियमित रिवीजन और लगातार अभ्यास के साथ, UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 के इस खंड को क्रैक करना संभव है। समर्पित रहिए, अपडेट रहिए, और सुनिश्चित कीजिए कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता आपकी UPSC तैयारी का एक मुख्य हिस्सा बन जाए।
परीक्षा के लिए हार्दिक शुभकामनाएं!