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UPSC Prelims 2025 Science & Technology: Syllabus, Trend and Strategy

प्रमुख लेख

UPSC Prelims 2025 Science & Technology: Syllabus, Trend and Strategy

UPSC Prelims 2025 Science & Technology: Syllabus, Trend and Strategy
18 Mar 2025

विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T) UPSC प्रारंभिक परीक्षा का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो अभ्यर्थियों की प्रौद्योगिकीय प्रगति (Technological Advancements), वैज्ञानिक अवधारणाओं (Scientific Concepts) और उनके अनुप्रयोगों की समझ का परीक्षण करता है। पिछले कुछ वर्षों में, UPSC ने सैद्धांतिक ज्ञान (Theoretical Knowledge) के बजाय विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में हुए समकालीन विकास पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इस ब्लॉग का उद्देश्य UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 में अभ्यर्थियों को अधिकतम अंक प्राप्त करने में मदद करना तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पाठ्यक्रम, प्रश्नों के ट्रेंड और एक प्रभावी तैयारी रणनीति प्रदान करना है।

UPSC Prelims का विज्ञान और प्रौद्योगिकी का पाठ्यक्रम

सिविल सेवा परीक्षा (CSE) के नोटिफिकेशन में, जो हर साल UPSC द्वारा जारी किया जाता है, इसमें केवल दो शब्द 'सामान्य विज्ञान' (GENERAL SCIENCE) बेसिक साइंस और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के पूरे पाठ्यक्रम को परिभाषित करते हैं। इसके आधार पर, कोई यह सोच सकता है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अन्य विषयों की तुलना में कम महत्वपूर्ण है। हालांकि, इस धारणा के प्रति सावधान रहना चाहिए। प्रतिवर्ष, औसतन 10-11 प्रश्न बेसिक साइंस और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी खंड (संयुक्त रूप से) से पूछे जाते हैं।

UPSC पाठ्यक्रम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के दायरे को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं करता है। हालांकि, पिछले ट्रेंड्स के आधार पर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषय के प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं:

1. सामान्य विज्ञान (आधारभूत अवधारणाएं)

  • भौतिकी (Physics): गति के नियम, गुरुत्वाकर्षण, विद्युत, चुंबकत्व (Magnetism), प्रकाशिकी (Optics) आदि।
  • रसायन विज्ञान (Chemistry): परमाणु संरचना, रासायनिक बंधन (Chemical Bonding), अम्ल-क्षार, पर्यावरण रसायन (Environmental Chemistry) आदि।
  • जीव विज्ञान (Biology): कोशिका संरचना, मानव शरीर क्रिया विज्ञान (Human Physiology), आनुवंशिकी, विकास, आदि।

2. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी (Space Technology)

  • भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम: इसरो (ISRO), चंद्रयान, गगनयान, आदित्य एल1
  • उपग्रह प्रौद्योगिकी: पृथ्वी की कक्षाएं (GEO, LEO, MEO), अनुप्रयोग (संचार, मौसम पूर्वानुमान, रक्षा)
  • अंतरिक्ष संगठन: नासा (NASA), यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA), China National Space Administration (CNSA), Russian State Corporation for Space Activities (ROSCOSMOS)
  • हाल के अंतरिक्ष मिशन और प्रगति: जैसे अंतरिक्ष पर्यटन, अंतरिक्ष टेलीस्कोप, आदि।

3. जैव-प्रौद्योगिकी और आनुवंशिक अभियांत्रिकी (Biotechnology & Genetic Engineering)

  • क्रिस्पर-कैस9 (CRISPR-Cas9) और जीन एडिटिंग 
  • स्टेम सेल प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोग
  • डीएनए फिंगरप्रिंटिंग और फोरेंसिक विज्ञान
  • जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलें और उनके प्रभाव
  • अन्य महत्वपूर्ण विषय – Traditional Knowledge Digital Library  (TKDL), जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट, थ्री पेरेंट बेबी, डिजाइनर बेबी, आदि।

4. सूचना प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)

  • क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग और AI के अनुप्रयोग
  • 5G प्रौद्योगिकी और डिजिटल बुनियादी ढांचे पर इसका प्रभाव
  • साइबर सुरक्षा खतरे और डेटा सुरक्षा
  • ब्लॉकचेन, क्रिप्टोकरेंसी और फिनटेक (Fintech) में प्रगति

5. रक्षा प्रौद्योगिकी

  • मिसाइल प्रौद्योगिकी: अग्नि, ब्रह्मोस, एस-400
  • रक्षा अनुसंधान में DRDO की भूमिका
  • ड्रोन और UAV प्रौद्योगिकी में विकास
  • हाइपरसोनिक हथियार और स्टील्थ (Stealth) प्रौद्योगिकी
  • नौसेना रक्षा – पनडुब्बियाँ, विमानवाहक पोत, विध्वंसक, फ्रिगेट, कोरवेट, आदि
  • वायु सेना – हेलीकॉप्टर, लड़ाकू विमान जिसमें लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट शामिल हैं, आदि।

6. स्वास्थ्य और चिकित्सा विज्ञान

  • टीके और टीकाकरण कार्यक्रम
  • व्यक्तिगत चिकित्सा और mRNA प्रौद्योगिकी
  • कृत्रिम अंग और प्रोस्थेटिक्स
  • ज़ूनोटिक (Zoonotic) रोग और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance)

7. नैनोटेक्नोलॉजी और रोबोटिक्स

  • चिकित्सा, रक्षा और ऊर्जा में नैनोटेक्नोलॉजी के अनुप्रयोग
  • स्वास्थ्य सेवा, कृषि और औद्योगिक स्वचालन (Automation) में रोबोटिक्स

8. नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण

  • सौर, पवन, ज्वारीय और परमाणु ऊर्जा में प्रगति
  • हाइड्रोजन ईंधन सेल और इलेक्ट्रिक वाहन
  • जलवायु परिवर्तन को कम करने वाली प्रौद्योगिकियाँ
  • भारत की सतत विकास नीतियाँ

9. परमाणु प्रौद्योगिकी 

  • भारत की परमाणु नीति
  • परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी – परमाणु रिएक्टरों के प्रकार
  • भारत में परमाणु अनुसंधान और नए विकास
  • परमाणु अपशिष्ट, रेडियोधर्मी प्रदूषण और परमाणु खतरे

10. बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)

  • IPR नीति
  • कॉपीराइट
  • ट्रेडमार्क
  • पेटेंट
  • औद्योगिक डिजाइन
  • व्यापार रहस्य (Trades Secrets)
  • IPR और कृषि

पाठ्यक्रम की बेहतर समझ के लिए देखिए यह वीडियो

पाठ्यक्रम को कवर करने के लिए स्रोत 

इन स्रोतों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है – आवश्यक सामग्री और संदर्भ सामग्री।

आवश्यक संसाधन (ER)

  • आधारभूत विज्ञान
    • कक्षा 6 से 10वीं तक NCERT की विज्ञान की पाठ्यपुस्तकें
    • कक्षा 11वीं और 12वीं NCERT की जीव-विज्ञान की पाठ्यपुस्तकें (जैव प्रौद्योगिकी के लिए)
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
    • 'द हिंदू या द इंडियन एक्सप्रेस का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी खंड

संदर्भ पठनीय सामग्री (RM)

  • ब्रिटानिका
  • नासा (वेबसाइट)
  • इसरो (वेबसाइट)
  • sciencedirect.com

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स्रोत के प्रकारों का विश्लेषण 

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का 'विज्ञान' भाग अधिकतर भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के विषयों की मूल बातें या मौलिक ज्ञान से संबंधित होता है। 'विज्ञान' घटक अधिकतर स्टेटिक प्रकृति का होता है क्योंकि पारंपरिक भौतिकी और रसायन विज्ञान लगभग अपरिवर्तित बने हुए हैं। चल रहे शोधों के कारण केवल अंतरिक्ष विज्ञान, जैव अणु (बायोमोलेक्युल्स) और आधुनिक भौतिकी ही डायनामिक भाग हैं।
  • 'प्रौद्योगिकी' भाग के अंतर्गत विज्ञान में आधारभूत सिद्धांतों के अनुप्रयोग शामिल हैं। प्रौद्योगिकी नए शोधों के साथ-साथ विकसित हो रही है, इसलिए यह भाग डायनामिक प्रकृति का है।
  • जहां तक UPSC CSE का संबंध है, स्टेटिक भाग को NCERT पुस्तकों से कवर किया जा सकता है। चूंकि अधिकांश मूलभूत अवधारणाओं जैसे कि कोशिका जीव विज्ञान, यांत्रिकी (बल, गुरुत्वाकर्षण), विद्युत चुंबकीय तरंगों के गुण, जैव-अणु, आदि को इन स्रोतों से आसानी से कवर किया जा सकता है।
  • प्रारंभिक परीक्षा में अधिकांश प्रश्नों को सही तरीके से हल करने में सक्षम होने की अपेक्षा से केवल NCERT की पुस्तकों को ही पढ़ना काफी नहीं है। NCERT की पुस्तकें वैज्ञानिक अवधारणाओं की अच्छी समझ विकसित करने में सहायता करती हैं, विशेषकर उन अभ्यर्थियों के लिए जिनका विषय विज्ञान और इंजीनियरिंग नहीं है।
  • 'प्रौद्योगिकी' भाग को समाचार-पत्र पढ़ कर कवर किया जा सकता है। बायोटेक्नोलॉजी से लेकर नैनोटेक्नोलॉजी, ऑप्टिकल डिवाइस, AR/VR जैसी किसी भी तरह की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को समाचार-पत्रों में व्यापक रूप से कवर किया जाता है। इस प्रकार द हिंदू या द इंडियन एक्सप्रेस या किसी अन्य मानक समाचार-पत्र के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी खंड को पढ़ना अपरिहार्य है।
  • इस प्रकार समाचार पत्रों के साथ-साथ NCERT की पुस्तकें आधारभूत विज्ञान तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए आवश्यक संसाधन हैं।
  • यदि कोई अभ्यर्थी अपने ज्ञान या समझ को बेहतर करना चाहता है, तो वह नासा, इसरो या DRDO जैसे महत्वपूर्ण संगठनों की वेबसाइट्स को देख सकता है।
  • ऐसे स्रोतों से प्रश्न पूछना जिनका पता लगाना कठिन है: पिछले वर्षों में कुछ ऐसे प्रश्न पूछे गए हैं जो आवश्यक स्रोतों से बाहर के विषयों पर आधारित थे, जैसे- गन्ने की खेती, डिजिटल इंडिया मिशन, या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुप्रयोगों पर प्रश्न। हालांकि इन विषयों से संबंधित कुछ जानकारी दैनिक समाचार पत्रों से एकत्र की जा सकती थी, लेकिन प्रश्न का प्रत्येक कथन (तथ्यों के लिए) किसी समाचार पत्र के लेख पर आधारित नहीं था।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रश्नों का ट्रेंड 

अभ्यर्थियों को UPSC के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषय के ट्रेंड्स को पहचानने के लिए पिछले वर्षों के प्रश्नों (PYQs) का विश्लेषण करना चाहिए। पिछले 10 वर्षों में इस खंड से कुल 106 प्रश्न पूछे गए हैं। इस प्रकार, हर साल इस खंड से औसतन 10-11 प्रश्न पूछे जाते हैं।

1. करेंट अफेयर्स पर फोकस

UPSC में स्टेटिक सैद्धांतिक अवधारणाओं के बजाय हाल के वैज्ञानिक विकास और खोजों से संबंधित अधिक प्रश्न पूछे जा रहे हैं। यह देखा गया है कि 75 प्रतिशत प्रश्न विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से और केवल 25 प्रतिशत प्रश्न बुनियादी विज्ञान से थे। उदाहरणों में शामिल हैं:

  • चंद्रयान-3 के उद्देश्य और निष्कर्ष
  • शासन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence)
  • क्रिस्पर (CRISPR) प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग
  • गुरुत्वाकर्षण तरंगें (Gravitational Waves)

2. तथ्यों को याद करने के बजाय संकल्पनात्मक समझ

UPSC में सीधे तथ्यात्मक प्रश्नों के बजाय ऐसे संकल्पनात्मक प्रश्न पूछे जाते हैं जिनके लिए विश्लेषणात्मक समझ और सोच की आवश्यकता होती है। UPSC द्वारा चुने जाने वाले सबसे आम टॉपिक जैव प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी हैं। उदाहरण:

  • स्पेक्ट्रम उपयोग के मामले में 5जी प्रौद्योगिकी 4जी से कैसे भिन्न है?
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), इमर्सन (Immersion) टेक्नोलॉजी, ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR) से संबंधित प्रश्न UPSC द्वारा संकल्पनात्मक समझ जांचने के लिए पूछे जाते हैं।
  • साइबर सुरक्षा में क्वांटम कंप्यूटिंग का क्या महत्व है?
  • सतत विकास के लिए अंतरिक्ष मिशन कैसे प्रभावी हैं?
  • जीन एडिटिंग या जेनेटिक इंजीनियरिंग खाद्य सुरक्षा और कुपोषण को दूर करने में कैसे मदद कर सकते हैं?

3. Interdisciplinary टॉपिक्स पर बढ़ता फोकस 

प्रश्न अक्सर विज्ञान को अर्थव्यवस्था, पर्यावरण या पॉलिटी के साथ जोड़कर पूछे जाते हैं:

  • लिथियम-आयन बैटरियां इलेक्ट्रिक वाहन नीतियों को कैसे प्रभावित करती हैं?
  • सेमीकंडक्टर निर्माण, डेटा सुरक्षा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से जुड़े भू-राजनीतिक (Geopolitical) चिंताएं क्या हैं?
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T) में प्रगति, जैसे बीटी-बैंगन, बीटी-कपास जैसी GM फसलों के कार्यान्वयन से पर्यावरण नीतियां कैसे प्रभावित होती हैं?
  • इथेनॉल सम्मिश्रण (Ethanol Blending) भारत के भुगतान संतुलन (BoP) को कैसे प्रभावित करेगा?

10 वर्षों के PYQs का विश्लेषण- वीडियो 

10 वर्षों के PYQs का विश्लेषण- डॉक्युमेंट

विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रभावी तैयारी की रणनीति 

1. बुनियादी समझ के लिए NCERT पर फोकस

हमेशा NCERT की पाठ्यपुस्तकों (खासकर कक्षा 9 और कक्षा 10 की पुस्तक) से शुरुआत कीजिए। यदि कोई और भी बुनियादी स्तर से शुरू करना चाहता है, तो कक्षा 6, 7 और 8 की पुस्तकें एक अच्छा विकल्प हैं।

- मौलिक अवधारणाओं के लिए कक्षा 6-10 विज्ञान NCERT

- कक्षा 11-12 जीव विज्ञान (बायोटेक और पर्यावरण से संबंधित विषयों के लिए चुनिंदा अध्ययन)

- भौतिकी और रसायन विज्ञान की बुनियादी बातें जो वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों से संबंधित हैं।

2. PIB, ISRO और सरकारी रिपोर्ट्स से चुनिंदा अध्ययन

- आधिकारिक विज्ञान नीतियों के लिए प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB)

- अंतरिक्ष कार्यक्रमों के अपडेट के लिए ISRO की वेबसाइट

- प्रौद्योगिकी-आधारित नीतिगत जानकारी के लिए नीति आयोग और आर्थिक सर्वेक्षण

3. मानक संदर्भ पुस्तकें और ऑनलाइन स्रोतों का उपयोग 

निस्संदेह, विज्ञान और प्रौद्योगिकी UPSC CSE प्रारंभिक परीक्षा की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। नवीनतम विकास से अपडेट रहने के लिए निम्नलिखित स्रोतों का उपयोग कीजिए:

- The Hindu का विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुभाग

- सरकारी पहलों के लिए योजना और कुरुक्षेत्र पत्रिकाएं

4. शॉर्ट नोट्स और माइंड मैप्स बनाइए

- जटिल टॉपिक्स को एक-पेज नोट्स में संक्षेपित कीजिए ताकि वे आपके क्विक रिवीजन मटेरियल बन सकें।

- वैक्सीन विकास, क्वांटम कंप्यूटिंग, 4जी और 5जी प्रौद्योगिकी, AR, VR, IoT, AI आदि जैसी प्रक्रियाओं के लिए फ्लोचार्ट का उपयोग कीजिए।

- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और रक्षा प्रौद्योगिकी से संबंधित महत्वपूर्ण वैज्ञानिक शब्दों और संक्षिप्ताक्षरों की सूची बनाए रखें।

5. विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs) हल कीजिए और मॉक टेस्ट दीजिए

साथ ही, मानक समाचार पत्रों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी खंड को पढ़ना चाहिए। एक मानक समाचार पत्र (आपकी पसंद) को प्रतिदिन पढ़ने का प्रयास कीजिए। इसमें न्यूज टुडे की सहायता ली जा सकती है। 

- UPSC प्रारंभिक परीक्षा के पिछले 10 वर्षों के प्रश्नों का विश्लेषण कीजिए

- विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर सेक्शनल मॉक टेस्ट दीजिए

- बार-बार पूछे जाने वाले टॉपिक्स की पहचान कीजिए और उनके रिवीजन को प्राथमिकता दीजिए

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6. करंट अफेयर्स के साथ नियमित अपडेट

UPSC प्रारंभिक परीक्षा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए करंट अफेयर्स महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अधिकांश प्रश्न हाल के विकास से जुड़े होते हैं। सैद्धांतिक अवधारणाओं को उनके अनुप्रयोगों से जोड़ने से समझ बढ़ती है। समझ को मजबूत करने के लिए स्मार्ट क्विज, करंट अफेयर्स मासिक मैगजीन और PT 365 के माध्यम से नियमित अभ्यास आवश्यक है। 

UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 के लिए मुख्य बातें

  • करंट अफेयर्स-आधारित विज्ञान और प्रौद्योगिकी के टॉपिक्स को प्राथमिकता दीजिए
  • तथ्यों को रटने के बजाय अवधारणात्मक स्पष्टता (Conceptual Clarity) विकसित कीजिए
  • NCERT, सरकारी रिपोर्ट्स और प्रामाणिक स्रोतों का संदर्भ लेकर अध्ययन
  • आसानी से याद करने के लिए डायग्राम, फ्लोचार्ट और माइंड मैप्स का उपयोग कीजिए
  • अपनी तैयारी का आकलन करने के लिए पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs) और मॉक टेस्ट का अभ्यास कीजिए

विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक उच्च-अंकों (High-Scoring) विषय है, लेकिन इसे रणनीतिक रूप से तैयार किया जाना चाहिए। सुव्यवस्थित तैयारी और नियमित रिवीजन के साथ, अभ्यर्थी UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 में अपना प्रदर्शन अधिकतम कर सकते हैं।

अंतिम सुझाव 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी की एक सुनियोजित तैयारी की रणनीति न केवल प्रारंभिक परीक्षा में प्रदर्शन को बेहतर बनाती है, बल्कि मुख्य परीक्षा, इंटरव्यू और निबंध लेखन में भी मदद करती है। उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ अपडेट रहना और उन्हें शासन, अर्थव्यवस्था और सामाजिक मुद्दों से जोड़ना, अभ्यर्थियों को परीक्षा में बढ़त दिला सकता है। निरंतर तैयारी करते हुए, नियमित रिवीजन कीजिए और UPSC के बदलते ट्रेंड्स के साथ अपनी तैयारी को संरेखित (Align) कीजिए ताकि इस विषय में आप उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें!

परीक्षा की शुभकामनाएं!

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