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भूकंप और सूनामी: भारत की संवेदनशीलता, भौगोलिक विश्लेषण

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भूकंप और सूनामी: भारत की संवेदनशीलता, भौगोलिक विश्लेषण

भूकंप और सूनामी: भारत की संवेदनशीलता, भौगोलिक विश्लेषण
02 Aug 2025
Table of Contents

भूकंप (Earthquake) और सूनामी (Tsunami) सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाएँ मानी जाती हैं- इनकी अनिश्चितता और जनसंख्या बहुत क्षेत्रों में होने वाले व्यापक प्रभावों, भू-आकृतियों में होने वाले बदलावों के कारण ये विश्व और भारत दोनों की आपदा नीति की प्राथमिकता हैं। पिछले हफ्ते रूस, जापान और हवाई में आए 8.8 तीव्रता भूकंप–सूनामी के बाद, भारत समेत पूरी दुनिया में चेतावनी एवं आपदा-सुरक्षा पर फिर फोकस बढ़ गया है।

करेंट अफेयर्स का मुद्दा

  • 30 जुलाई 2025: रूस के कामचटका क्षेत्र में भारी तीव्रता (Mw 8.8) का भूकंप—सूनामी लहरें जापान, हवाई, अमेरिका, चिली, इक्वाडोर तक।
  • तटीय क्षेत्र खाली कराए गए, लाखों लोगों की तात्कालिक निकासी, अमेरिका-हवाई में 3–4 मीटर ऊंची लहरें।
  • भारत में INCOIS (Indian National Centre for Ocean Information Services) ने स्पष्ट किया: देश के लिए सीधा ‘Tsunami Threat’ नहीं।
  • भारत (2025): दिल्ली, उत्तर-पूर्व व हिमालयी क्षेत्र में कई मध्यम-छोटे भूकंप। 59% भारतीय भूभाग भूकंपीय जोखिम में।

अधिक जानकारी के लिए:VisionIAS UPSC Daily News Summary (Hindi)

भूकंप – परिभाषा, कारण और एम्प्लीट्यूड

परिभाषा: भूकंप वह भूगर्भीय घटना है जिसमें पृथ्वी की सतह (भू-पर्पटी) अथवा उसके नजदीकी भाग में कम्पन उत्पन्न होता है। यह कम्पन तब होता है जब टेक्टोनिक प्लेटों के बीच संचित तनाव अचानक मुक्त हो जाता है और ऊर्जा तरंगों के रूप में चारों ओर प्रसारित होती है।

earthquake epicenter

भूकंप के कारण और भूकंपीय तरंगें – 

🔹 प्राकृतिक कारण:

1. प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics): पृथ्वी की प्लेटें गतिशील हैं और उनकी सीमाओं पर तनाव व विघटन से भूकंप उत्पन्न होते हैं।

  • अपसारी सीमा (Divergent): धीमे व उथले भूकंप (उदा. मध्य अटलांटिक कटक)

  • अभिसारी सीमा (Convergent): तीव्र व गहरे भूकंप (उदा. परि-प्रशांत क्षेत्र)

  • संरक्षी सीमा (Transform): तीव्र, उथले भूकंप (उदा. सैन एंड्रियास भ्रंश)

2. तनाव संचय व विघटन: प्लेट्स की गति से fault पर तनाव जमा होता है, जो rupture होने पर ऊर्जा के रूप में मुक्त होता है।

🔹 मानवीय कारण:

1. जलाशय प्रेरित भूकंप (Reservoir Induced): भारी जलाशयों से चट्टानों पर दबाव बढ़ता है। उदा. 1967, कोयना बांध (महाराष्ट्र)

2. खनन और खुदाई: कोयला/धातु की खुदाई से चट्टानों का दबाव संतुलन बिगड़ता है।

3. हाइड्रॉलिक फ्रैक्चरिंग और अपशिष्ट इंजेक्शन: तरल पदार्थ इंजेक्शन से पोर दबाव बढ़ता है और fault reactivate होता है।

4. शहरी निर्माण: भारी भवन, सुरंग, बांध जैसे निर्माण से सूक्ष्म तनाव उत्पन्न हो सकता है।

प्रकार

तरंग की प्रकृति

माध्यम (Medium)

गति (Speed)

विशेषता

P-तरंगें

अनुदैर्ध्य (Longitudinal)

ठोस, द्रव और गैस सभी

6–14 किमी/सेकंड

सबसे तेज़; पहले पहुँचने वाली तरंग

S-तरंगें

अनुप्रस्थ (Transverse)

केवल ठोस

लगभग 4 किमी/सेकंड

द्रव से नहीं गुजरती; अधिक क्षति पहुँचाती है

L-तरंगें

सतही (Surface: Love, Rayleigh)

केवल पृथ्वी की सतह पर सीमित

1.5–3 किमी/सेकंड

सबसे धीमी लेकिन सबसे अधिक विनाशकारी

एम्प्लीट्यूड (Amplitude)

  • भूकंपीय तरंगों की एम्प्लीट्यूड से तात्पर्य है तरंगों का अधिकतम हिलना (displacement) जो सिस्मोग्राफ पर मापा जाता है। एम्प्लीट्यूड जितनी अधिक होगी, उतनी ही अधिक ऊर्जा मुक्त हुई होती है।

तीव्रता (Magnitude) पैमाने

रिक्टर स्केल (Richter Scale)

  • विकास: 1935 में चार्ल्स रिच्टर ने।
  • परिभाषा: एक लघुगणकीय (logarithmic) पैमाना है, जहाँ घटी हुई हर एक अंक वृद्धि तरंग की एम्प्लीट्यूड में दस गुना वृद्धि और ऊर्जा में लगभग 31.6 गुना वृद्धि को दर्शाता है।
  • सीमा: आम तौर पर 0–10 के बीच।

मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल (Moment Magnitude Scale, Mw)

  • विकास: 1970 के बाद, रिक्टर स्केल की सीमाओं को दूर करने के लिए।
  • परिभाषा: भूकंपीय स्रोत क्षेत्र के सेहत (rigidity), फॉल्ट की सरफेस का क्षेत्रफल (area) और स्लिप की राशि (slip) के आधार पर तीव्रता की गणना करता है।
  • विशेषताएँ:
    • अधिक सटीक और समसामयिक बड़े भूकम्पों के लिए उपयुक्त।
    • रिक्टर स्केल की तरह लघुगणकीय। 

प्रभाव-आधारित तीव्रता (Intensity) पैमाने

मरकैली इंटेंसिटी स्केल (Modified Mercalli Intensity, MMI)

  • मानव दृष्टिकोण (perception) और ढांचागत क्षति (structural damage) के आधार पर 1 (अनुभवहीन) से 11 (पूर्ण विनाश) तक ग्रेड किया गया पैमाना।
  • उद्देश्य: भूकंप के प्रभावों का क्षेत्रानुसार मानवीय अनुभव और ढांचे पर असर दिखाना।

MSK स्केल (Medvedev–Sponheuer–Kárník Scale)

  • यूरोप में विकसित, 1960 के दशक में मेडवेदेव, स्फोन्हुएर और कार्निक द्वारा।
  • संरचना: 1 से 11 तक की श्रेणियाँ, मेरकैली से लगभग समतुल्य, पर स्थानीय निर्माण शैली और मिट्टी की गुणवत्ता जैसे कारकों को भी जोड़ता है।
  • उपयोग: मुख्यतः यूरोपीय देशों में प्रभाव मूल्यांकन के लिए प्रयोग होता है।

सूनामी – कारण एवं तंत्र

  • समुद्र के नीचे अभिसरण क्षेत्र (Subduction Zone) या महासागरीय भ्रंश (Oceanic Fault) पर तेज़ भूकंप समुद्र तटों के पास भारी ऊथल–पुथल उत्पन्न करता है, जिससे विशाल जलतरंग–लहरें (सुनामी) बनकर तटीय इलाकों में व्यापक विनाश कर सकती हैं।
tsunami scale

सुनामी के कारण

1. भूकंप (Seismic Activity): समुद्र तल में ऊर्ध्वाधर विस्थापन से जल स्तंभ में असंतुलन उत्पन्न होता है। ≥7.5 तीव्रता के समुद्री भूकंप से सुनामी की संभावना अधिक होती है। उदाहरण: 2004 हिन्द महासागर भूकंप (Mw 9.1)

2. पानी के नीचे भूस्खलन (Submarine Landslides): तलछट या चट्टानों के खिसकने से जल विस्थापित होता है। उदाहरण: 1958, अलास्का लिटुआया बे (524 m लहर)

3. ज्वालामुखीय विस्फोट (Volcanic Eruptions): समुद्री ज्वालामुखी से विस्थापित लावा व गैस जल को उथल-पुथल करती है। उदाहरण: 1883 क्राकातोआ विस्फोट

4. ग्लेशियर कैल्पिंग (Glacier Calving): ग्लेशियरों के टूटकर जल में गिरने से तरंगें उत्पन्न होती हैं, विशेषतः झीलों या ध्रुवीय क्षेत्रों में।

सुनामी के पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ 

  • INCOIS (Indian National Centre for Ocean Information Services): भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र (ITEWC) संचालित करता है। हिंद महासागर क्षेत्र में Tsunami Bulletins एवं Coastal Alerts जारी करता है।
  • Seismic Networks (USGS, JMA): USA और जापान की प्रणालियाँ, भूकंप के हाइपोकेन्द्र और परिमाण का तत्काल निर्धारण करते हैं।
  • DART Buoys: महासागरीय दबाव माप से जलस्तर बदलाव ट्रैकिंग।
  • GLOSS Tide Gauges: विश्वभर में ~300 समुद्र सतह स्टेशन से रियल–टाइम डेटा।

भारत के भूकंपीय जोन (Seismic Zones of India)

जोन

जोखिम स्तर

प्रमुख क्षेत्र/शहर

Zone V

’अत्यंत उच्च जोखिम’

कश्मीर, अंडमान–निकोबार, हिमालयी स्टेट्स, कच्छ, नॉर्थ-ईस्ट, भुज, गुवाहाटी, श्रीनगर

Zone IV

’उच्च जोखिम’

दिल्ली, पटना, हिमाचल, गंगटोक, पंजाब-हरियाणा-पश्चिम यूपी

Zone III

’मध्यम जोखिम’

मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, भोपाल, पश्चिम-मध्य भारत

Zone II

’निम्न जोखिम’

बेंगलुरु, जयपुर, अधिकांश मध्य प्रदेश व दक्षिण भारत

भारत का 59% भाग उच्च–मध्यम भूकंपीय संवेदनशीलता में है।[Seismic Map: BIS/IS 1893:2002; घटनाएँ अपडेटेड July 2025 तक]

india earthquake zone

More Details:VisionIAS QRM: Earthquake & TsunamiUPSC Mains Resource Corner

Comparison Table

पहलू/विशेषता

भूकंप (Earthquake)

सूनामी (Tsunami)

प्रमुख कारण

प्लेट सीमा/फॉल्ट लाइन पर सक्रियता

समुद्री भूकंप, सबडक्सन जोन

संवेदनशील क्षेत्र

हिमालय, नॉर्थ-ईस्ट, कच्छ, दिल्ली

पूर्वी तट, अंडमान-निकोबार

प्रभाव

इमारतों का गिरना, दरारें, मानव–आर्थिक क्षति

तटीय बस्तियों में बाढ़, बड़े पैमाने पर विस्थापन

पूर्व चेतावनी प्रणाली

Seismographs, BhooKamp, Public Drills

DART Buoys, INCOIS, Mobile Alerts

नीति

Building Code, Urban Zoning, Hazard Mapping

Coastal Zone Management, Tsunami Award Drills

UPSC परीक्षा-केंद्रित बिंदु (Key Points)

  • Plate Boundaries, Seismic Zones, Building Code (IS1893), Early Warning Mechanism
  • शहरी सुभेद्यता, Microzonation और Policy Response
  • 2004 Indian Ocean tsunami के बाद भारत में किये गये सुधार—INCOIS, Coastal Regulation।
  • Disaster–Resilience Planning में GIS/Remote Sensing, NDMA, NDRF का योगदान।

अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)

Prelims MCQ:

INCOIS का मुख्य कार्य क्या है?A) समुद्र संबंधी वैज्ञानिक जानकारी व सूनामी चेतावनीB) वायुमंडलीय प्रदूषण नियंत्रणC) ज्वालामुखी पूर्वानुमानD) नदी इंटरलिंकिंगउत्तर: A) समुद्र संबंधी वैज्ञानिक जानकारी व सूनामी चेतावनी

Prelims PYQs

Q. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (2023)

1. भूकम्प-लेखी (सिस्मोग्राफ) में ऽ तरंगों से पूर्व P तरंगें अभिलिखित की जाती हैं।

2. P तरंगों में, अलग-अलग कण तरंग प्रसार की दिशा में आगे-पीछे कंपन करते हैं, जबकि ऽ तरंगों में कण तरंग प्रसार की दिशा के समकोणीय ऊपर-नीचे कंपन करते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: C

Mains Question:

“भारत की भूकंपीय संवेदनशीलता का भूगोल आधारित विश्लेषण करें। हाल की घटनाओं और नीति सुधारों के संदर्भ में आपदा–प्रबंधन रणनीतियों का उल्लेख करें।" (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर की रूपरेखा:

  • भूकंप को परिभाषित कर उत्तर की शुरुआत कीजिए। 
  • भारत में भूकंपीय जोनों को समझाइए (मानचित्र का निर्माण किया जाना चाहिए)। 
  • हाल में रूस, जापान आदि देशों में आए भूकंपों का संदर्भ दीजिए। 
  • भारत में आपदा प्रबंध की नीतिगत एवं तकनीकी आधारित प्रबंधन प्रणालियों को समझाइए। 
  • सुधार के सुझावों के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।

Mains PYQs (2021)

भूकम्प संबंधित संकटों के लिए भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिए। पिछले तीन दशकों में, भारत के विभिन्न भागों में भूकम्प द्वारा उत्पन्न बड़ी आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ दीजिए। (150 शब्द, अंक)

Discuss about the vulnerability of India to earthquake related hazards. Give examples including the salient features of major disasters caused by earthquakes in different parts of India during the last three decades.

निष्कर्ष

भूकंप और सूनामी की आपदाएं भारत में प्राकृतिक–भौगोलिक संवेदनशीलता, मानवीय बसावट, शहरीकरण और नीति अमल सभी के लिए चुनौती हैं। भूगोल–आधारित दृष्टिकोण से मैपिंग, दिशा, शहरी जोखिमीकरण और नीति–तकनीकी पहलों की UPSC आंसर में गहराई से व्याख्या करें—यही परीक्षा सफलता की कुंजी होगी।

अतिरिक्त अध्ययन

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VisionIAS संपादकीय टीम द्वारा

UPSC में 10 वर्षों से अधिक की विशेषज्ञता, IAS उम्मीदवारों के लिए व्यावहारिक सामग्री प्रदान करना।

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