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Geography Class 02 Hindi

विगत कक्षा की संक्षिप्त चर्चा (1:03:38 PM):

  • वर्षण के रूप एवं प्रकार

वायुराशि (1:11:12 PM):

  • वायुराशि क्या है?
  • वायुराशि के निर्माण के लिए अनुकूल दशाएं 
  • कौन से क्षेत्र वायुराशि के निर्माण के लिए अनुकूल नहीं होते?
  • वायुराशि की विशेषता 
  • वायुराशि का क्षेत्र 
  • वायुराशि में परिवर्तन 
  • वायुराशि और मौसम

वायुराशि क्या है? (1:22:39 PM):

  • वायुराशि की संकल्पना का विकास प्रथम विश्व युद्ध के बाद मौसम विज्ञान में मौसम पूर्वानुमान के संदर्भ में हुआ।
  • वायुराशि संकल्पना के जनक बॅगरॉन, जैकोबी एवं सोलरबग माने जाते हैं। 
  • सम शीतोष्ण प्रदेशों में मौसमी दशाओं में अनुक्रमित परिवर्तन एक रहस्य बना हुआ था, इस रहस्य का समाधान इन मौसम वैज्ञानिकों ने वायुराशि और वाताग्र की संकल्पना लाकर समाधान प्रस्तुत किया।
  • वायुराशि वायु का एक विशाल पुंज/समूह है जिसमें क्षैतिज स्तर पर तापमान और आर्द्रता की समानता पाई जाती है तथा ऊर्ध्वाधर स्तर पर सामान्य ताप पतन दर एक समान रूप से लागू होता हो ऐसे ही विशिष्ट गुणों वाले वायु के विशाल समूह को वायुराशि कहते हैं।

वायुराशि निर्माण के लिए आवश्यक दशा (1:29:05 PM):

  • आधार तल- वायुराशि निर्मित होने के लिए एक विस्तृत आधार तल चाहिए और वह भी पूर्णतः महाद्वीपीय या पूर्णतः महासागरीय होना चाहिए।
  • स्थल और जल से युक्त संक्रमण प्रदेशों में वायुराशि का निर्माण नहीं होता, क्योंकि स्थल और जल के ताप का अंतर होता है।
  • वायुमंडलीय दशा- वायुराशि निर्मित होने वाले क्षेत्रों में वायुराशियों के बनने तक वायुमंडलीय दशा शांत होनी चाहिए, ताकि जिस आधार तल पर वायुराशि का निर्माण हो रहा हो उसका गुण ग्रहण कर सके।
  • पवन की स्थिति- वायुराशि के क्षेत्र में एक तो पवन में गति नहीं होनी चाहिए और यदि गति हो तो वह अपसरण प्रकार की न कि अभिसरण प्रकार की 
  • अभिसरण में पवनें चारों तरफ से एक बिन्दु पर आती है। जिसके कारण उसके तापमान और आर्द्रता में अंतर हो सकते हैं। अतः ऐसी दशा में वायुराशि का निर्माण न होकर वाताग्र या चक्रवात का निर्माण हो जाएगा।
  • संवहन की दशा- वायुराशि निर्मित होने वाले क्षेत्रों में संवहन का विकास नहीं होना चाहिए, क्योंकि संवहन से वायुमंडलीय अस्थिरता आ जाती है।
  • वायु का अवतलन- यदि किसी क्षेत्र में क्षोभसीमा के पास से वायु का धरातल की ओर अवतलन हो तो यह वायुराशि निर्माण के लिए अनुकूल दशा निर्मित कर सकती है।

किन क्षेत्रों में वायुराशियों का निर्माण नहीं होगा (1:53:31 PM):

  • संवहन धारा वाले प्रदेश 
  • स्थल और जल से युक्त संक्रमण प्रदेश 
  • अधिक ताप प्रवणता वाले प्रदेश 
  • वायु के अभिसरण वाले क्षेत्र 

वायुराशि की विशेषता (1:54:57 PM):

  • वायुराशि किसी भी स्थान के मौसम और जलवायु को विशेष रूप से प्रभावित करती है, इसलिए मौसम पूर्वानुमान में वायुराशियों का प्रयोग किया जाता है। 
  • वायुराशि उच्च दाब के क्षेत्र होते हैं। 
  • उच्च दाब का क्षेत्र होने के कारण दृश्यता अधिक होती है। 
  • एक बार निर्मित हो जाने के बाद भूमंडलीय पवनों के द्वारा पवन की दिशा में स्थानांतरित होते रहते हैं और इस स्थानांतरण के क्रम में वायुराशियों के गुणों में भी परिवर्तन होते रहता है। 
  • यदि कोई वायुराशि समुद्र पर निर्मित होती है तो अपने साथ विशाल मात्रा में आर्द्रता लाकर महाद्वीपों पर वर्षा कराती है। 
  • वायुराशियाँ वाताग्र निर्माण में सहायक होती हैं।

वायुराशि का क्षेत्र (2:09:07 PM):

  • वायुराशि के बनने के आधार पर वायुराशि के दो क्षेत्र माने गए हैं-
  • प्राथमिक क्षेत्र- ऐसा भौगोलिक क्षेत्र जहाँ वायुराशि निर्मित होने के बाद अपने गुणों को लंबे समय तक बनाए रखते हैं, उसे प्राथमिक वायुराशि का क्षेत्र कहते हैं।
  • जैसे- उपोष्ण मरुस्थलीय क्षेत्र, महासागरीय क्षेत्र। 
  • द्वितीयक क्षेत्र- ऐसा क्षेत्र जहाँ वायुराशि निर्मित होने के बाद उनके गुणों में शीघ्र परिवर्तन होने लगता है द्वितीयक वायुराशि के क्षेत्र कहलाते हैं।

वायुराशियों में परिवर्तन (2:24:03 PM):

  • वायुराशियों में परिवर्तन का तात्पर्य वायुराशि के तापमान, आर्द्रता, घनत्व और वायुदाब में परिवर्तन से है।
  • यह परिवर्तन दो प्रकार से होता है-
  • तापीय परिवर्तन/रूपांतरण
  • गतिकीय परिवर्तन/रूपांतरण

तापीय रूपांतरण (2:25:45 PM):

  • यदि कोई ठंडी वायुराशि किसी गरम सतह पर प्रवाहित होती है तो गरम सतह के संपर्क में आने से नीचे से उसका ताप परिवर्तित होने लगता है।
  • फलस्वरूप उस वायुराशि में संवहन और संघनन की प्रक्रिया से वर्षण या वर्षा की प्रबल संभावनाएं हो जाती है। 
  • यदि कोई गरम वायुराशि किसी ठंडी सतह पर प्रवाहित होती है तो नीचे से उसका तापमान कम होने लगता है।
  • फलस्वरूप तापीय प्रतिलोमन की दशाएं बनने से वायुमंडलीय स्थिरता बढ़ जाती है।

गतिकीय रूपांतरण (2:29:33 PM):

  • यह घर्षण रहित सतह पर होता है। 
  • वायु के क्षैतिज प्रवाह के क्रम में अपसरण या अभिसरण से होता है।
  • अपसरण में वायु नीचे की ओर आती है। जिसके कारण वायुमंडलीय स्थिरता बढ़ जाती है।
  • जबकि अभिसरण में पवन ऊपर उठती है जिसके कारण वायुमंडलीय अस्थिरता उत्पन्न होती है।

वायुराशियों का वर्गीकरण (2:42:58 PM):

  • वायुराशियों के वर्गीकरण के लिए निम्न आधार प्रयोग में लाए गए हैं-
  • आधार तल- इस आधार पर वायुराशि को दो वर्गों में रखा गया है-
  • महाद्वीपीय वायुराशि (c)
  • महासागरीय वायुराशि (m)
  • अक्षांश- अक्षांश के आधार पर उपरोक्त दोनों वायुराशि को दो वर्गों में रखा गया है-
  • उष्ण कटिबंधीय वायुराशि (T)
  • ध्रुवीय वायुराशि (P)
  • तापमान- तापमान के आधार पर उपरोक्त वायुराशि को दो वर्गों में रखा गया है-
  • ठंडी वायुराशि (K)
  • गरम वायुराशि (W)
  • स्थिरता और अस्थिरता के आधार पर उपरोक्त वायुराशि को दो वर्गों में रखा गया है-
  • स्थिर वायुराशि (s)
  • अस्थिर वायुराशि (u)

वायुराशि एवं मौसम (3:19:44 PM):

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा मौसम पूर्वानुमान के लिए चार प्रमुख वायुराशियों का प्रयोग किया जाता है-
  • ध्रुवीय महाद्वीपीय ठंडी वायुराशि 
  • ध्रुवीय महाद्वीपीय गरम वायुराशि 
  • उष्ण कटिबंधीय महाद्वीपीय ठंडी वायुराशि 
  • उष्ण कटिबंधीय महाद्वीपीय गरम वायुराशि
  • इनमें ध्रुवीय महाद्वीपीय ठंडी वायुराशि जो उत्तरी गोलार्द्ध में कनाडा के उत्तरी ध्रुवों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र में निर्मित होता है। 
  • इनमें कनाडा के द्वीपीय क्षेत्रों में निर्मित होने वाली महाद्वीपीय ध्रुवीय ठंडी वायुराशि जब शीत ऋतु में प्रबल होकर प्रवाहित होती है तो उसका प्रभाव 40 डिग्री उत्तरी अक्षांशों तक आ जाता है जो झील क्षेत्र है। 
  • इस वायुराशि के प्रभाव से अमेरिका और कनाडा में भारी हिमपात होती है जो शीत लहर का प्रकोप लाता है तथा तंबाकू और आलू की फसलों को नुकसान पहुँचाता है।

वाताग्र (3:37:17 PM):

  • वाताग्र क्या है?
  • वाताग्र निर्माण के लिए आवश्यक दशा 
  • वाताग्र की विशेषता 
  • वाताग्र के प्रकार एवं मौसम 
  • धरातल पर वाताग्र प्रदेश

वाताग्र क्या है? (3:55:02 PM):

  • यह एक ढाल युक्त संक्रमण प्रदेश है।
  • दो विपरीत प्रकार की वायुराशियों के अभिसरण क्षेत्र में निर्मित होते हैं।
  • जब किसी क्षेत्र में दो विपरीत गुण वाली वायुराशि (गरम और ठंडी वायुराशि) आपस में मिलती है तो उन वायुराशियों के मध्य जो तापमान, आर्द्रता, घनत्व और वायुदाब का अंतर होता है उससे एक संक्रमण क्षेत्र का निर्माण होता है। जिसे वाताग्र कहते हैं।
  • वाताग्र बनने की प्रक्रिया को वाताग्र जनन या फ्रंटोंजेनेसिस कहते हैं। जो एक लैटिन भाषा का शब्द है।
  • जब अभिसरण करने वाली वायुराशियों के मध्य तापमान, आर्द्रता, घनत्व और वायुदाब का अंतर समाप्त हो जाता है तो उसे वाताग्र क्षय या फ्रंटोंलैसिस कहते हैं।
  • फ्रंटोंलैसिस लैटिन और ग्रीक भाषा के शब्द से मिलकर बना है, जिसका अर्थ वाताग्र विनाश होता है।

वाताग्र निर्माण के लिए आवश्यक दशा (4:01:27 PM):

  • दो विपरीत प्रकार की वायुराशियों की उपस्थिति।
  • वायुराशियों के मध्य विरोधाभास अधिक होना चाहिए।
  • दोनों वायुराशियों को एक-दूसरे की ओर आना चाहिए।
  • वाताग्र निर्माण के लिए सबसे अनुकूल पवन प्रवाह विरूपणी पवन प्रतिरूप है, अर्थात वाताग्र निर्माण के लिए एक अक्ष के सहारे पवन को प्रवेश करना चाहिए और दूसरे अक्ष के सहारे पवन को बाहर निकलना चाहिए।
  • जिस अक्ष के सहारे पवन प्रवेश करती है उसे अन्तःअक्ष प्रवाह और जिस अक्ष के सहारे बाहर निकलती है उसे बाह्य अक्ष प्रवाह कहते हैं।
  • इस प्रकार का पवन प्रतिरूप कॉल/बंदरगाह प्रदेशों में मिलता है।

वाताग्र की विशेषता (4:09:27 PM):

  • वाताग्र एक संक्रमण प्रदेश होता है।
  • एक ढालयुक्त प्रदेश होता है। वाताग्र का ढाल ध्रुवों की ओर बढ़ता है।
  • वाताग्र की ऊंचाई क्षोभ सीमा तक होती है।
  • वाताग्र प्रदेश में तापीय प्रतिलोमान की दशाएं पाई जाती हैं।
  • तापीय प्रतिलोमन के कारण कोहरे का निर्माण होता है।
  • वाताग्र में वर्षा वाताग्र के ढाल पर निर्भर करता है, यदि वाताग्र का ढाल अधिक होगा तो वर्षा अधिक होती है।
  • वाताग्र क्षेत्र में अनुक्रमित बादलों का निर्माण होता है।
  • किसी भी स्थान के मौसम और जलवायु के परिमार्जन में वाताग्र का अहम योगदान होता है।

Topic for next class: वाताग्र पर चर्चा जारी, चक्रवात।