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राष्ट्रीय एकता दिवस: भारत संघ के वास्तुकार सरदार पटेल की याद में

प्रमुख लेख

राष्ट्रीय एकता दिवस: भारत संघ के वास्तुकार सरदार पटेल की याद में

राष्ट्रीय एकता दिवस: भारत संघ के वास्तुकार सरदार पटेल की याद में
29 May 2024

(सरदार पटेल ने न केवल अखंड भारत का निर्माण किया बल्कि भारतीय सिविल सेवाओं को राष्ट्रीय विकास के रीढ़ के रूप में भी स्थापित किया)

भारत, आधुनिक समय की आश्चर्यजनक घटना के रूप में, सदियों के विदेशी शासन से मुक्त होकर 15 अगस्त, 1947 को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ। हालांकि, उस समय इस नवीन स्वतंत्र देश पर विखंडन और आगे विभाजन का ख़तरा मंडरा रहा था।

हम आज जिस एकीकृत भारत का गुणगान करते हैं और जिसकी स्वतंत्रता को कई लोग हल्के में लेते हैं, अगर सरदार पटेल का अद्वितीय योगदान न होता तो वह बिखरे हुए व विखंडित राज्यों से मिलकर बना होता तथा विभाजन के घाव इसकी प्रगति को बाधित करते रहते।

सरदार पटेल, जिन्हें “भारत के लौह पुरुष” के नाम से जाना जाता है, अपने अदम्य साहस, कुशल कूटनीति, तीक्ष्ण बुद्धि और एक ज्ञानवान व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। उन्हीं के अथक प्रयासों से भारत का एकीकरण सुनिश्चित हुआ। उनके उल्लेखनीय प्रयासों ने हमारे लिए उस एकीकृत भारत में रहने का मार्ग प्रशस्त किया, जिसमें हम सामूहिक रूप से राष्ट्र के समुदाय के बीच अपने विकास पथ पर आगे बढ़ रहे हैं।

भारत के राजनीतिक एकीकरण में सरदार पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान को पहचान देने के लिए, भारत सरकार ने 2014 में सरदार पटेल की जयंती यानी 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में नामित किया।

राष्ट्रीय एकता: सरदार पटेल की अमिट विरासत

एक ऐतिहासिक उपलब्धि में के रूप में, सरदार वल्लभभाई पटेल ने कुशलतापूर्वक 565 रियासतों को एकजुट किया और राष्ट्रीय एकता के लिए एक अद्वितीय मिसाल कायम की। अखंड भारत के लिए उनका दृष्टिकोण अटल रहा, जिसने आने वाले वर्षों के लिए अखंड भारत के स्वरुप को आकार दिया।

हैदराबाद और जूनागढ़ जैसी रियासतों का एकीकरण अखंड भारत के लिए उनके प्रयासों के शिखर बिंदु हैं। उन्होंने हैदराबाद के एकीकरण को सफल बनाने के लिए राजनयिक प्रयासों और सैन्य कार्रवाई, दोनों का उपयोग किया। जबकि उन्होंने जूनागढ़ के एकीकरण को सफल बनाने के लिए राजनयिक वार्ता, धरने और लोगों की लोकतांत्रिक भावना के संयोजन का उपयोग किया।

इसके बाद, एकीकरण की यात्रा स्वतंत्रता के बाद भी जारी रही और भारत में ऐतिहासिक घटनाएं होती रही, जिसमें कई अन्य क्षेत्रों का एकीकरण हुआ, जैसे कि फ़्रांस द्वारा पांडिचेरी और उसके क्षेत्रों का भारत को हस्तांतरण, इसके बाद ऑपरेशन विजय के माध्यम से गोवा को पुर्तगाली नियंत्रण से मुक्त कराया गया, एवं इसे एक केंद्र प्रशासित प्रदेश बनाया गया। 

सरदार पटेल की एकीकृत भारत के विरासत के प्रतीक के रूप में दुनिया की सबसे ऊंची, 182 मीटर की प्रतिमा, “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” बनाई गई है। यह प्रतिमा गुजरात के केवडिया में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यह राष्ट्रीय एकता और एकीकृत भारत के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जिसे हम आज संजोए हुए हैं।

सरदार पटेल की विरासत राजनीतिक क्षेत्र से कहीं ज्यादा है, जिसमें उनकी अमूल्य शिक्षाएं शामिल हैं जो आज भी भारत का मार्गदर्शन कर रही हैं।

प्रशासन के आधुनिक इस्पात ढांचे का निर्माण: प्रशासन और नैतिकता के संबंध में सरदार पटेल की शिक्षाएं 

स्वतंत्रता से पहले, भारतीय सिविल सेवाओं को शोषण और उत्पीड़न का एक साधन माना जाता था, जिसका उपयोग उनके औपनिवेशिक मालिकों द्वारा ब्रिटिश क्राउन के लाभ के लिए किया जाता था।

हालांकि, आज, इसे राष्ट्रीय हित के प्रति समर्पण और सेवा के लिए सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। इसे आज राष्ट्र के “स्टील फ्रेमवर्क” के रूप में जाना जाता है, और आज यह राष्ट्रीय स्तर पर परिवर्तन और विकास में योगदान देने में सबसे आगे है।

यह परिवर्तन भारत की स्वतंत्रता के बाद सरदार पटेल के प्रभाव के कारण हुआ है, जिसे आगे ऐसे देख सकते हैं-

  • भारतीय प्रशासनिक सेवाओं (IAS) का अस्तित्व: सरदार पटेल के लगातार प्रयासों ने स्वतंत्रता के बाद के भारत में सिविल सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित की। उन्होंने प्रशासन में उनके महत्त्व पर जोर देते हुए सिविल सेवाओं को भारत का “स्टील फ्रेम” कहा। आज, IAS अधिकारी शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए सरदार पटेल द्वारा स्थापित मूल्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा देते हैं।
  • मंत्री-प्रशासक संबंध का आधार रखने में सरदार पटेल की भूमिका: मंत्रियों और प्रशासकों के बीच नाजुक संबंधों पर सरदार पटेल का दिया हुआ सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है। वह प्रशासकों को बिना किसी डर के अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता प्रदान करने और स्वस्थ कार्यकारी संबंध सुनिश्चित करने में विश्वास करते थे। उनका कहना था कि आधुनिक संदर्भ में, प्रभावी शासन के लिए राजनेताओं और नौकरशाहों के बीच उत्पादक एवं सम्मानजनक सबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  • मूल्य और नैतिकता पर सरदार पटेल के विचार: सरदार पटेल ने प्रशासन में मूल्यों और नैतिकता के महत्त्व पर जोर दिया। वह जानते थे कि सत्ता भ्रष्टाचार में लिप्त हो सकती है, और उन्होंने प्रशासकों को अपने प्राधिकार का उपयोग लोगों की भलाई के लिए करने की आवश्यकता पर जोर दिया। सरदार पटेल की यह शिक्षा आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि लोगों का विश्वास जीतने के लिए प्रशासकों में नैतिक आचरण और करुणा आवश्यक गुण हैं।
  • नेतृत्व संबधी शिक्षा: विश्वास, सहानुभूति और त्वरित निर्णय लेने पर आधारित सरदार पटेल की नेतृत्व शैली आधुनिक नेताओं के लिए मूल्यवान शिक्षा और समझ प्रदान करती है। टीम निर्माण और नेतृत्व करने की उनकी क्षमता, दूसरों को सुनने पर उनका जोर और कार्रवाई के प्रति उनकी प्रतिबद्धता आज के प्रशासन में प्रभावी नेतृत्व का फ्रेमवर्क प्रदान करती है।
  • सरदार पटेल के अनुसार ‘स्वतंत्रता’ का वास्तविक अर्थ: “सभी के लिए खुशी” के रूप में स्वतंत्रता पर सरदार पटेल का दृष्टिकोण आज भी लोगों को प्रेरित करता है। 21वीं सदी में, स्वतंत्रता की अवधारणा समावेशी विकास के विचार से मेल खाती है, जहां हर कोई समाज के विकास की प्रक्रिया में भाग ले सकता है और समाज की  प्रगति से लाभ उठा सकता है।
  • दूरदर्शी अर्थशास्त्री के रूप में सरदार पटेल के विचार: सरदार पटेल के आर्थिक विचार, जैसे कि निजी निवेश को प्रोत्साहित करना, उत्पादन और व्यापार पर प्रतिबंध कम करना और आत्मनिर्भरता के लिए आयात प्रतिस्थापन, आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं। आज की तेजी से विकसित हो रही वैश्विक अर्थव्यवस्था में, ये सिद्धांत समावेशी विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • भविष्य के प्रशासकों के लिए सरदार पटेल की शिक्षाएं: प्रशासन में अनुशासन, दक्षता और जिम्मेदारी पर सरदार पटेल का जोर आधुनिक प्रशासकों के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, सत्यनिष्ठा, उत्तरदायित्व, अनुक्रियाशीलता और निष्पक्षता ऐसे मूल्य हैं, जो सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बने हुए हैं।

सरदार पटेल के जीवन के मूल्य और आदर्श भारतीय सिविल सेवा को लगातार मार्गदर्शन करते रहेंगे। समाज निर्माण, विकास और जनता के आर्थिक उत्थान के प्रति सिविल सेवकों का योगदान भारत के युवाओं को सिविल सेवाओं में शामिल होने और हमारे राष्ट्र के गौरवशाली परिवर्तन में अपना सकारात्मक प्रभाव छोड़ने के लिए प्रेरित करता रहता है।

हालांकि, सभी महान चीजों की तरह, भारतीय सिविल सेवा का हिस्सा बनने के लिए अत्यधिक समर्पण, निरंतर प्रेरणा और दृढ़ता की आवश्यकता होती है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा: सफलता के लिए आवश्यक रणनीति 

सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने के लिए, प्रीलिम्स व मेन्स के विस्तृत पाठ्यक्रम को एकीकृत तरीके से पढ़ने के लिए अच्छी तरह से सुसंगठित रणनीति आवश्यक है।

इसलिए सही मार्गदर्शन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह सफल होने के लिए मार्ग, रणनीति और उपयोगी कार्य योजना प्रदान करता है। इस संदर्भ में, पाठ्यक्रम के लिए उपयोगी विषय सामग्री, किताबों आदि के प्रबंधन की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसके लिए छात्रों को अपने समय और प्रयासों का दक्षतापूर्ण उपयोग करने के लिए विश्वसनीय और मान्य संसाधनों की पहचान करने की आवश्यकता होती है।

विशाल सिलेबस और तैयारी के लंबे चक्र को देखते हुए समय प्रबंधन भी उतना ही महत्वपूर्ण है। समय प्रबंधन यह सुनिश्चित करता है कि छात्र अपने समय का बुद्धिमानी से उपयोग कर सकें। इस प्रक्रिया में निरंतर मूल्यांकन और समय पर फीडबैक बहुत जरूरी है, क्योंकि इसके बिना सीखने की प्रक्रिया अधूरी रहती है।

अंत में, समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए आत्मसुधार आवश्यक है, क्योंकि सिविल सेवाओं के लिए न केवल ज्ञान के व्यापक आधार की आवश्यकता होती है, बल्कि सहानुभूति की गहरी भावना, आलोचनात्मक सोच और प्रभावी संवाद कौशल जैसे व्यक्तित्व के अन्य गुणों की भी आवश्यकता होती है। इन सभी को पुस्तक पढ़ने और व्यावहारिक शिक्षा के माध्यम से विकसित किया जा सकता है।

VisionIAS: भावी सिविल सेवकों का विकास 

एक प्रसिद्ध अनुसंधान और प्रशिक्षण संगठन के रूप में, VisionIAS भी सरदार पटेल के जीवन और कार्य में निहित मूल्यों एवं सिद्धांतों को बढ़ावा देने में अत्यधिक महत्त्व देता है।

नवाचार और उत्कृष्टता संबंधी सरदार पटेल के दर्शन से प्रेरित होकर, VisionIAS सिविल सेवा के अभ्यर्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। नवीन और अनुकूलतम शिक्षण कार्यक्रमों के साथ, हमने अनगिनत अभ्यर्थियों को प्रतिष्ठित भारतीय सिविल सेवाओं में शामिल होने के उनके लक्ष्य को साकार करने में सफलतापूर्वक मार्गदर्शन किया है।

हम शिक्षण का एक प्रौद्योगिकी आधारित इकोसिस्टम प्रदान करते हैं, जो UPSC परीक्षा के लिए आवशयक मौलिक अवधारणाओं का निर्माण करता है; कौशल को दक्षता में और क्षमता को प्रदर्शन में बदलता है। हमारे ऑनलाइन और ऑफलाइन कार्यक्रम UPSC सिलेबस को करेंट अफेयर्स सहित व्यापक रूप से कवर करते हैं।

जिस प्रकार हम राष्ट्रीय एकता दिवस मनाते हैं और महान सरदार वल्लभभाई पटेल को याद करते हैं, उसी प्रकार आइए हम उनके अदम्य साहस, कुशल कूटनीति, तेज बुद्धि और ज्ञान से प्रेरणा लें।

ये गुण न केवल राष्ट्र को एकीकृत करते हैं बल्कि सिद्धांतों की एक विरासत का भी निर्माण करते हैं, जो हमारे वर्तमान दुनिया में गहरी प्रासंगिकता रखते हैं।

अमृत काल में इस राष्ट्रीय एकता दिवस पर, आइए हम भारत और इसके लोगों को समृद्धि के उच्चतम स्तर तक ले जाने के अपने प्रयासों में लोक सेवा और उत्कृष्टता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करें।

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