पृष्ठभूमि
वसीम अहमद भट ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2022 में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 7 हासिल की थी। इनकी सफलता की पूरी राह दृढ़ संकल्प और बेहतर रणनीति के साथ UPSC CSE की तैयारी को दर्शाती है।
वसीम जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले के खूबसूरत शहर डोरू शाहाबाद से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, श्रीनगर से 2019 में सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली में Vision IAS के फाउंडेशन कोर्स क्लासरूम प्रोग्राम में एनरोल किया और सिविल सेवा सेवक बनने के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।
UPSC CSE की तैयारी
इसमें कोई शक नहीं है कि UPSC CSE एक कठिन परीक्षा है। इसलिए इसमें सफल होने के लिए वसीम अहमद भट की तैयारी की राह भी दृढ़ता और सामंजस्य बनाये रखने से भरी हुई थी। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ईमानदारी के साथ UPSC CSE की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने 2020 में अपना पहला अटेम्प्ट दिया जिसमें उन्होंने 225वीं रैंक हासिल की।
हालांकि, उन्हें 2021 में एक बड़ा झटका लगा, जब उनकी उम्मीदों के विपरीत वह प्रीलिम्स पास नहीं कर सके। इस परिणाम ने उनके दृढ़ संकल्प की परीक्षा ली। इस असफलता से वे घबराए नहीं और उन्होंने 2022 के प्रीलिम्स के लिए अपनी रणनीति पर फिर से विचार किया और तैयारी को एक नई दिशा दी।
हर अटेम्प्ट से सिख लेते हुए वसीम ने अपने अनुभवों का लाभ उठाया और अपनी तैयारी की रणनीतियों को बेहतर बनाया एवं अपने कौशल को और निखारने पर काम किया, खासकर एंथ्रोपोलॉजी (Anthropology) के वैकल्पिक विषय पर। उनकी निरंतर सीखने और परिस्थितियों के अनुरूप अपनी प्लानिंग में बदलाव करने की रणनीति का शानदार नतीजा 2022 की परीक्षा में देखने को मिला।
उनकी यह कहानी भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक में केवल उच्च रैंक प्राप्त करने के बारे में नहीं है; बल्कि इसमें बार-बार किए गए प्रयासों और समय के साथ रणनीतियों को बेहतर करके हासिल की गई बौद्धिकता और अनुभव को बताया गया है। यह ब्लॉग आर्टिकल (या टॉपर्स टॉक) आपको UPSC प्रीलिम्स की तैयारी के लिए वसीम अहमद भट के अनुभवों से सीखने का एक अवसर है, जिसने दृढ़ निश्चय और तैयारी की रणनीतिक योजना ने वसीम को UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सफलता दिलाई।
UPSC प्रीलिम्स के संबंध में कुछ जरूरी सीख
1. इंटीग्रेटेड एप्रोच और रिवर्स इंजीनियरिंग: वसीम अहमद की तैयारी की रणनीतिक सोच ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा में उनकी सफलता में काफी बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने प्रीलिम्स 2022 के लिए पढ़ाई की एक ऐसी इंटीग्रेटेड योजना बनाई, जिसमें प्रीलिम्स और मेन्स दोनों की तैयारी एक साथ की गई। इससे उन्हें विशाल सिलेबस को अच्छे से कवर करने में मदद मिली।
वह शुभम कुमार (CSE 2020 में AIR 1) से प्रेरित एक खास रणनीति के बारे में भी बताते हैं। इसमें तैयारी हेतु रिवर्स इंजीनियरिंग की रणनीति का उपयोग किया जाता है। इसका मतलब है कि सिर्फ स्टैंडर्ड किताबें पढ़ने के बजाय, मॉडल आंसर्स, टॉपर्स की कॉपियों का मंथन करना और परीक्षा में उत्तर की अपेक्षा को समझना भी शामिल है।
2. प्रीलिम्स का स्कोर और लक्ष्य: वसीम अहमद के पिछले वर्षों के GS प्रीलिम्स के स्कोर पर एक नज़र डालते हैं- 2020: 116 अंक; 2021: 84 अंक; और 2022: 106 अंक। वह इस बात पर ज़ोर देते हैं कि प्रीलिम्स में एक ऐसा टारगेट स्कोर सेट करना जरूरी है ताकि मेन्स में पहुंचा जा सके। उनका मानना है कि वर्तमान में प्रीलिम्स के पेपर थोड़े कठिन हो गए हैं, इसलिए लगभग 100-110 का स्कोर एक अच्छा टारगेट माना जा सकता है।
3. UPSC प्रीलिम्स के लिए रिसोर्सेज और रणनीति: वसीम अहमद बताते हैं कि UPSC के GS प्रीलिम्स में सफलता के लिए यह जरूरी है कि आप बेहतर और सही रिसोर्सेज को चुनें एवं हर विषय के लिए एक खास तरीके से पढ़ाई की योजना बनाएं। उनकी बातों से पता चलता है कि खासकर मुख्य विषयों, जैसे- राजव्यवस्था, इतिहास, अर्थव्यवस्था आदि के लिए विशेष रणनीति बनाना जरूरी है। इससे यह पता चलता है कि विषयों को पढ़ते समय अपनी तैयारी की रणनीति को लेकर स्पष्ट और आश्वस्त रहना जरूरी होता है।
- राजव्यवस्था: वसीम ने राजव्यवस्था के लिए एम. लक्ष्मीकांत की “भारतीय राजव्यवस्था” जैसी मानक किताब पर भरोसा किया। उन्होंने भारतीय राजनीतिक संरचना और उसकी संस्थाओं को अच्छी तरह से समझने पर ज़ोर दिया।
- इतिहास: जब हम इतिहास से जुड़े प्रश्नों की बात करते हैं तो इसमें प्राचीन से लेकर आधुनिक काल, कला और संस्कृति के प्रश्न भी शामिल होते हैं। इसके लिए, वसीम ने रिसोर्सेज हेतु सिर्फ क्लास नोट्स को पढ़ने की रणनीति अपनाई। इसके पीछे उनका मकसद ढेर सारी किताबों और उपलब्ध स्टडी मटेरियल के अंबार से बचना था।
- अर्थव्यवस्था: अर्थव्यवस्था में महारत हासिल करने के लिए, वसीम ने रटने से ज्यादा अवधारणाओं को समझने पर ज़ोर दिया। वह मजबूत बुनियादी समझ बनाने के लिए NCERT की किताबों, खासकर “समष्टि अर्थशास्त्र: एक परिचय” और “भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास (कक्षा 11, NCERT)” से शुरुआत करने का सुझाव देते हैं। इसके बाद, वह बजट और आर्थिक सर्वेक्षण जैसे ज़रूरी डाक्यूमेंट्स के सारांशों को पढ़ने की सलाह देते हैं, ताकि सैद्धांतिक ज्ञान को मौजूदा आर्थिक नीतियों और ट्रेंड्स से जोड़कर उन्हें समझा जा सके।
- पर्यावरण: पर्यावरण के लिए, वह किसी भी स्टैंडर्ड किताब या नोट्स को मुख्य रिसोर्स के रूप में इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। वसीम पर्यावरण से संबंधित ढेर सारे मुद्दों और नीतियों को समझने तथा उन्हें याद रखने के लिए नियमित रिवीजन पर ज़ोर देते हैं।
- भूगोल: भूगोल के लिए, वसीम NCERT की किताबों पर ध्यान देने की सलाह देते हैं। साथ ही, वह बताते हैं कि G.C. Leong (केवल अंग्रेजी में उपलब्ध) की किताब का इस्तेमाल परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण टॉपिक्स, जैसे- भू-आकृतियों पर नोट्स बनाने के लिए कर सकते हैं।
- करेंट अफेयर्स: वसीम सिलेबस के स्टैटिक हिस्सों के साथ करेंट अफेयर्स को जोड़कर पढ़ने पर ज़ोर देते हैं। वह मासिक समसामयिकी, PT 365 जैसे रिसोर्सेज का इस्तेमाल करने और द इंडियन एक्सप्रेस या द हिंदू जैसे अखबारों को पढ़ने की भी सलाह देते हैं ताकि समसामयिक घटनाओं को व्यापक रूप से समझा जा सके।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए, वसीम इस बात पर ज़ोर देते हैं कि इंजीनियरिंग के छात्रों को भले ही आत्मविश्वास हो, लेकिन उन्हें फिर भी बुनियादी अवधारणाओं पर ध्यान देना चाहिए। वह PT 365 जैसे रिसोर्सेज का इस्तेमाल करने और बुनियादी अवधारणाओं पर पकड़ बनाने के लिए NCERT की किताबों को पढ़ने की सलाह देते हैं। इस तरीके से एक मजबूत समझ बनती है, जिससे सीधे पूछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब देने के साथ-साथ ऐसे प्रश्नों के जवाब देने में भी आसानी हो जाती है, जो अलग-अलग संदर्भों में वैज्ञानिक सिद्धांतों के बारे में अभ्यर्थी की क्षमता का परीक्षण करते हैं।
4. CSAT की तैयारी हेतु रणनीति: वसीम की व्यापक लर्निंग और परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने की प्रवृत्ति CSAT की तैयारी में भी लागू होती है। उनका मानना है कि विभिन्न प्रकार के प्रश्नों को समझने और प्रैक्टिस करने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाना महत्वपूर्ण है। वसीम CSAT की तैयारी के लिए दो महत्वपूर्ण पहलुओं, जैसे- कॉम्प्रिहेंशन रीडिंग और लॉजिकल रीजनिंग (तार्किक कौशल) एवं मैथमेटिक्स पर जोर देते हैं। इन दोनों में महारत हासिल करने के लिए अलग-अलग रणनीति की जरूरत होती है।
कॉम्प्रिहेंशन रीडिंग के लिए-
- वसीम अभ्यर्थियों को सलाह देते हैं कि वे विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों में पूछे गए परिच्छेद या पैसेज को पढ़ें, ताकि पूछे जाने वाले प्रश्नों और परिच्छेद की प्रवृत्ति से ठीक से रूबरू हो सके।
- वह कॉम्प्रिहेंशन (बोधगम्यता) स्किल और उसकी गति बढ़ाने के लिए किताबें पढ़ने की सलाह देते हैं। इससे परीक्षा में आने वाले जटिल और अलग-अलग तरह के परिच्छेद से जुड़े प्रश्नों को हल करने में अभ्यर्थी को काफी सहायता मिलती है।
लॉजिकल रीजनिंग एवं मैथमेटिक्स के लिए-
- उन्होंने एक टार्गेटेड रणनीति बनाई, जिसमें उन्होंने प्रश्नों को हल करने के लिए विभिन्न तरीकों पर संक्षिप्त नोट्स बनाए और विगत वर्ष के प्रश्न-पत्रों का गहन अध्ययन किया। इससे CSAT के पेपर में बार-बार आने वाले टॉपिक्स, जैसे- कैलेंडर से जुड़े प्रश्न, सीटिंग अरेंजमेंट, विभाज्यता आदि से जुड़े प्रश्नों को आइडेंटिफाई करना आसान हो जाता है।
- उनका कहना है कि इनमें से प्रत्येक टॉपिक में प्रश्नों को हल करने का एक खास तरीका होता है, जिन्हें एक बार सीख लेने के बाद प्रश्नों को जल्दी और सटीक ढंग से हल करने में काफी मदद मिलती है।
5. टेस्ट सीरीज और विगत वर्षों के प्रश्न-पत्र: वसीम खुद के मूल्यांकन और तैयारी के लिए टेस्ट सीरीज एवं विगत वर्षों के प्रश्नों (PYQs) के महत्त्व को भी बताते हैं।
- विगत वर्षों के प्रश्नों (PYQs) का संकलन: उन्होंने टॉपिक्स और विषय के आधार पर छांट कर बनाए गए विगत वर्षों के प्रश्नों के संकलन को काफी उपयोगी माना है। इन प्रश्नों को विषयों के हिसाब से अलग-अलग करने से प्रश्नों के पैटर्न, उनकी बारंबारता और कठिनाई के स्तर को समझने में मदद मिलती है।
- विगत वर्षों के प्रश्नों का गहन अध्ययन: उन्होंने पाया कि PYQs का अध्ययन करना काफी लाभदायक होता है, क्योंकि ऐसी संभावना होती है कि UPSC अगले वर्ष की परीक्षा में उसी विषय को और ज्यादा गहराई से पूछ ले। उदाहरण के लिए- एक बार क्लाउड सीडिंग पर आसान सवाल पूछने के बाद, ऐसी संभावना है कि UPSC अगले साल इसी टॉपिक पर ज्यादा जटिल सवाल पूछ सकता है।
- 35 कॉम्प्रिहेंसिव टेस्ट: उन्होंने सेक्शनल और फुल-लेंथ टेस्ट, दोनों तरह के फॉर्मेट 35 कॉम्प्रिहेंसिव टेस्ट्स दिए थे। उन्होंने हर विषय की बुनियादी समझ को परखने के लिए सेक्शनल टेस्ट्स के महत्त्व पर जोर दिया।
- टेस्ट सीरीज शुरू करने का समय: प्रीलिम्स परीक्षा से कम-से-कम तीन महीने पहले टेस्ट सीरीज शुरू कर देनी चाहिए। इससे समय रहते धीरे-धीरे सुधार करने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है।
- टेस्ट में भाग लेने का महत्त्व: नियमित रूप से टेस्ट देने से परीक्षा के लिए तैयार रहने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है, जिससे वास्तविक परीक्षा के दौरान प्रदर्शन पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
6. UPSC प्रीलिम्स में कितने सवाल हल करने चाहिए: वसीम UPSC प्रीलिम्स के दौरान हल किए जाने वाले प्रश्नों की संख्या को मैनेज करने के रणनीतिक पहलू पर भी प्रकाश डालते हैं।
- प्रश्न हल करने हेतु दो एप्रोच: हल करने के तरीके के आधार पर अभ्यर्थियों को दो बड़े समूहों में बांटा जा सकता है:
- जो अभ्यर्थी सटीकता को प्राथमिकता देते हैं, उनके लिए 60-70 प्रश्न काफी होते हैं।
- वहीं, कुछ लोग (जैसे- वसीम खुद) 90-100 सवालों को हल करने का लक्ष्य रखते हैं।
- प्रश्नों को हल करने और उत्तर की सटीकता के बीच संतुलन बनाना जरूरी: वसीम ने सिर्फ 48 प्रश्नों को हल करने से लेकर आत्मविश्वास के साथ 90 प्रश्न हल करने तक का सफर तय किया। इससे पता चलता है कि अधिक नंबर लाने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रश्न हल करने के साथ-साथ सटीकता को भी बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण होता है।
- आवश्यकता के अनुसार दृष्टिकोण में बदलाव: वसीम एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी प्रकाश भी डालते हैं, जो अभ्यर्थियों को अपने मजबूत पक्ष के अनुसार प्रश्नों का चयन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस प्रकार सटीकता और हल किए गए प्रश्नों की संख्या का उचित संतुलन, दोनों ही सफलता की संभावना को बढ़ाते हैं।
7. पोस्ट टेस्ट एनालिसिस: वसीम अहमद UPSC प्रीलिम्स की तैयारी के दौरान टेस्ट सीरीज को हल करने और उसके बाद पोस्ट टेस्ट एनालिसिस के महत्त्व पर काफी बल देते हैं। उनका मानना है कि हर टेस्ट के बाद अपनी परफॉरमेंस की गहन जांच करनी चाहिए। इसमें प्रश्नों के संबंध में कुछ पहलुओं को लेकर अभ्यर्थी को अपने प्रदर्शन के बारे स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए, जैसे- किस प्रश्न को आपने बिना किसी संदेह के हल किया, किस प्रश्न को हल करने में आपको थोड़ा संदेह हुआ और किस प्रश्न को हल करने में आप बिल्कुल आश्वस्त नहीं थे।
यह विश्लेषण करने का तरीका आपको अपनी परफॉरमेंस को बारीकी से परखने में मदद करता है। इससे न सिर्फ आप कमजोर पक्षों की पहचान कर पाते हैं बल्कि गलतियां करने के पैटर्न को भी समझ पाते हैं। साथ ही, इस विश्लेषण से आप परीक्षा के दौरान समय प्रबंधन के अपने कौशल को निखार सकते हैं और निर्णय लेने की क्षमता को भी बेहतर बना सकते हैं।
8. UPSC के बदलते पैटर्न को अपनाना: UPSC प्रीलिम्स की अप्रत्याशित प्रकृति को ध्यान में रखते हुए वसीम सलाह देते हैं कि अभ्यर्थियों को अपने अध्ययन के तरीकों में आवश्यकता के अनुसार बदलाव करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
- वह सिलेबस से परे भी ज्ञान के दायरे को व्यापक बनाने पर जोर देते हैं ताकि व्यक्तित्व का समग्र विकास हो सके।
- उनके लिए पढ़ने की आदत डालना, ज्ञानवर्धक डाक्यूमेंट्री देखना और वैश्विक घटनाओं से खुद को अपडेट रखना सफलता के लिए महत्वपूर्ण था। उदाहरण के लिए- “प्लैनेट अर्थ” सीरीज देखने से उन्हें पर्यावरण के मुद्दों की गहरी समझ हासिल हुई।
9. मानसिक तैयारी: आखिर में, वह परीक्षा की तैयारी के मानसिक पहलू पर भी बात करते हैं। UPSC परीक्षा के भारी दबाव को स्वीकार करते हुए, वह सलाह देते हैं कि अभ्यर्थियों को अपना संयम बनाए रखना चाहिए और परेशान नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी परफॉर्मेंस काफी प्रभावित हो सकती है।
निष्कर्ष
संक्षेप में, वसीम की तैयारी की यात्रा से साझा किए गए बहुमूल्य पहलू UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक रणनीतिक योजना और परिस्थिति के अनुसार आवश्यक बदलाव करने की क्षमता को उजागर करते हैं।
“ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।”
मुहम्मद इक़बाल की उक्त शायरी से प्रेरित वसीम की यह कहानी अभ्यर्थियों को अपनी नियति को आकार देने वाली उत्कृष्टता और आत्मविश्वास के स्तर को हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करती है। उनकी सलाह UPSC की तैयारी के लिए तार्किक और व्यवस्थित एप्रोच हेतु एक व्यापक रोडमैप का रास्ता दिखाती है, जिसमें व्यक्तिगत विकास के महत्त्व पर भी बल दिया गया है।