UPSC सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का सामान्य अध्ययन पेपर 2 (GS 2) आपकी स्मृति की मात्र एक परीक्षा नहीं है—यह आपकी समझ, विश्लेषणात्मक सोच और नीतिगत जागरूकता की एक कसौटी है। भारतीय संविधान, शासन, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर केंद्रित यह पेपर रटने वाले छात्रों को वास्तविक विश्लेषकों से अलग करता है।
250 अंकों के लिए और बहु-आयामी समझ की मांग करने वाले प्रश्नों के साथ, GS 2 एक संभावित गेम-चेंजर है यदि इसे रणनीतिक रूप से अपनाया जाए। यह ब्लॉग UPSC 2025 GS Paper 2 का गहराई से विश्लेषण करता है—इसकी संरचना, इसने जिन वैचारिक चुनौतियों को प्रस्तुत किया, प्रश्न-निर्माण में रुझान, और, सबसे महत्वपूर्ण बात, भविष्य के अभ्यर्थी अपनी तैयारी को कैसे संरेखित कर सकते हैं।
पेपर अवलोकन: संरचना और विषयों पर एक नज़र
- कुल अंक: 250
- अवधि: 3 घंटे
- कुल प्रश्न: 20 (10 x 10 अंक + 10 x 15 अंक)
पाठ्यक्रम से व्यापक विषय
- भारतीय संविधान और राजव्यवस्था
- शासन और सामाजिक न्याय
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR)
यह पेपर Static, Dynamic, Applied समझ के मिश्रण का परीक्षण करता है, जिसमें समकालीन विकास से लिए गए मुद्दे-आधारित प्रश्नों की ओर स्पष्ट बदलाव देखा गया है।

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Questions from UPSC GS 2 paper
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के उद्देश्य में 'भ्रष्ट आचरण' की विवेचना कीजिए। विश्लेषण कीजिए कि क्या विधायकों एवं/अथवा उनके सहयोगियों की आय के ज्ञात स्रोतों के विपरीत अनुपात में हुई संपत्ति 'अनुचित प्रभाव' उत्पन्न करती है और परिणामतः 'भ्रष्ट आचरण' है।
(उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) 10 - न्यायालय प्रणाली की तुलना में प्रशासनिक अधिकरणों की आवश्यकता पर टिप्पणी कीजिए। 2021 में अधिकरणों के विलोपीकरण/पुनर्गठन द्वारा किए गए हाल सुधारों के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
(उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) 10 - भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में क्षमा शक्ति की तुलना कीजिए तथा विसंगतियों को स्पष्ट कीजिए। क्या दोनों देशों में इसकी कोई सीमाएँ हैं? 'अग्रिम माफी' क्या होती है?
(उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) 10 - जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के बाद, जम्मू-कश्मीर विधान-सभा की प्रकृति का विवेचन कीजिए। केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधान-सभा की शक्तियों तथा कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
(उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) 10 - "भारत के महाधिवक्ता (एटर्नी जनरल) केन्द्र सरकार को कानूनी ढांचे का मार्गदर्शन करने और सुशासन सुनिश्चित करने में ठोस सलाह उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।" इस संदर्भ में उनकी जिम्मेदारियों, अधिकारों और सीमाओं का विवेचन कीजिए।
(उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) 10 - महिलाओं की सामाजिक पूंजी सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने में सहायक है। समझाइए।
(उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) 10 - ई-शासन परियोजनाओं में उपयोगकर्ता-केंद्रित डिजाइन की तुलना में प्रौद्योगिकी और बैक-एंड के प्रति अंतर्निहित पूर्वाग्रह है। परीक्षा कीजिए।
(उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) 10 - 8. नागरिक समाज संगठनों को गैर-राज्य अभिनेताओं की तुलना में प्रायः राज्य-विरोधी अभिनेताओं माना जाता है। क्या आप सहमत हैं? औचित्य सिद्ध कीजिए।
(उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) 10
9. भारत-अफ्रीका डिजिटल साझेदारी आपसी सम्मान, सह-विकास और दीर्घकालिक संस्थागत साझेदारी प्राप्त कर रही है। विस्तार से बताइए।
(उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) 10
10. “वैश्वीकरण के क्षीण होने के साथ, शीत युद्ध के बाद की दुनिया संप्रभु राष्ट्रवाद का स्थल बनती जा रही है।” इस पर विवेचना कीजिए।
(उत्तर 150 शब्दों में दीजिए) 10
11. “संविधानिक नैतिकता एक आत्मव है जो कि उच्च पदाधिकारीयों और नागरिकों पर समान रूप से आवश्यक नियंत्रण का कार्य करता है…।”
सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त कथन के संदर्भ में, संविधानिक नैतिकता की अवधारणा तथा भारत में न्यायपालिका की स्वतंत्रता एवं न्यायिक उत्तरदायित्व के मध्य संतुलन सुनिश्चित करने में इसकी प्रयोज्यता का व्याख्यान कीजिए।
(उत्तर 250 शब्दों में दीजिए) 15
12. भारतीय संविधान ने कुछ प्रक्रमात्मक अवरोधों के साथ सामान्य विधायी संस्थाओं को संविधान संशोधन की शक्ति प्रदान की है। इस कथन को दृष्टिगत कर संसद के संविधान संशोधन की शक्ति पर प्रक्रमात्मक एवं वस्तुनिष्ठ सीमाओं का परीक्षण कीजिए।
(उत्तर 250 शब्दों में दीजिए) 15
13. भारत में कोलेजियम प्रणाली के विकास की विवेचना कीजिए। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली के फायदे और नुकसान का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
(उत्तर 250 शब्दों में दीजिए) 15
14. भारत में नियोजित विकास के संदर्भ में केन्द्र-राज्य वित्तीय संबंधों के विकसित होते स्वरूप (पैटर्न) का परीक्षण कीजिए। हाल के सुधारों ने भारत के राजकोषीय संघवाद को किस हद तक प्रभावित किया है?
(उत्तर 250 शब्दों में दीजिए) 15
15. पर्यावरण दबाव समूह क्या है? भारत में जागरूकता बढ़ाने, नीतियों को प्रभावित करने और पर्यावरण संरक्षण की वकालत करने में उनकी भूमिका का विवेचन कीजिए।
(उत्तर 250 शब्दों में दीजिए) 15
16. संसाधनों के स्वामित्व पैटर्न में असमानता गरीबी का एक प्रमुख कारण है। 'गरीबी के विरोधाभास' के संदर्भ में चर्चा कीजिए।
(उत्तर 250 शब्दों में दीजिए) 15
17. “समकालीन विकास मॉडलों में, निर्णय लेने और समस्या-समाधान की जिम्मेदारियां सूचना के स्रोत और क्रियान्वयन के निकट नहीं होतीं और (वे) विकास के उद्देश्यों को विफल कर देती हैं।” समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
(उत्तर 250 शब्दों में दीजिए) 15
18. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को डिजिटल युग में बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना होगा। मौजूदा नीतियों की समीक्षा कीजिए और मुद्दे से निपटने के लिए आयोग द्वारा शुरू किए जा सकने वाले उपायों के सुझाव दीजिए।
(उत्तर 250 शब्दों में दीजिए) 15
19. “ऊर्जा सुरक्षा भारत की विदेश नीति का प्रमुख स्तंभ है, और मध्य पूर्व देशों में भारत के व्यापक प्रभाव से जुड़ा हुआ है।” आने वाले वर्षों में भारत की विदेश नीति की दिशा के साथ ऊर्जा सुरक्षा को कैसे एकीकृत करेंगे?
(उत्तर 250 शब्दों में दीजिए) 15
20. “संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के बीच सुधार प्रक्रिया अभी भी अनसुलझी है, यू.एस.ए. बनाम रूस-चीनी गठबंधन के बीच उलझाव के कारण पूर्व और पश्चिम के बीच नाजुक असंतुलन है।” इस संदर्भ में पूर्व-पश्चिम नीति टकरावों की जाँच और आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
(उत्तर 250 शब्दों में दीजिए) 15
Year-wise comparison: 2025 में क्या बदला?
Year-on-Year Comparison: What Changed in 2025?

Overall Trend of GS 2 paper UPSC Mains 2025:
2025 का GS Paper 2 UPSC के मूल्यांकन दर्शन में एक निश्चित बदलाव का प्रतीक है। Static स्मरण और पारंपरिक व्याख्या से आगे बढ़ते हुए, इस वर्ष के पेपर ने एक नीति-उन्मुख, शासन-संचालित दृष्टिकोण पर जोर दिया। प्रश्नों को जटिल प्रशासनिक चुनौतियों, संवैधानिक दुविधाओं और बहुध्रुवीय तनावों के बीच भारत की विकसित होती कूटनीतिक स्थिति का आकलन करने के लिए जटिल रूप से तैयार किया गया था। विशेष रूप से, डिजिटल युग में सहकारी संघवाद, नैतिक शासन, और बहुध्रुवीय तनावों के बीच भारत की पुनर्संरेखित विदेश नीति जैसे मुद्दों की ओर स्पष्ट झुकाव था। यह विकास UPSC के इरादे का संकेत देता है कि वह न केवल अकादमिक समझ का परीक्षण करे बल्कि एक भविष्य-तैयार मानसिकता का भी परीक्षण करे - जिसमें उम्मीदवारों को सिद्धांत को नीति नवाचार, वास्तविक समय के शासन सुधारों और सूक्ष्म कूटनीति के साथ जोड़ने की मांग की गई है। भविष्य के उम्मीदवारों के लिए, यह Dynamic ढाँचों, विश्लेषणात्मक गहराई और एक अंतःविषय लेंस के साथ तैयारी करने का आह्वान है।
Topic-Wise Breakdown & Question Classification (Mains 2025)
A. भारतीय संविधान और राजव्यवस्था
- No. of Questions: ___
- Weightage: ___
- Overall Difficulty: ___
फोकस क्षेत्र:
- शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत
- व्यवहार में संघवाद (जैसे राज्यपाल की भूमिका, राजकोषीय संबंध)
- न्यायिक जवाबदेही और सक्रियता
- हाल के संवैधानिक संशोधन
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों की व्याख्या
Trend Insight:
इस वर्ष, राजव्यवस्था के प्रश्न Static सामग्री से हट गए। इसके बजाय, उन्होंने हाल की घटनाओं में सिद्धांतों की व्याख्या का परीक्षण किया।
VISIONIAS :
- मासिक करेंट अफेयर्स:
- मेन्स 365:
- साप्ताहिक फोकस:
- मूल्यवर्धित सामग्री:
B. शासन और सामाजिक न्याय
- No. of Questions: ___
- Weightage: ___
- Overall Difficulty: ___
फोकस क्षेत्र:
- पारदर्शिता और आरटीआई की प्रभावशीलता
- पीएम-आयुष्मान भारत, पीएम-गतिशक्ति जैसी कल्याणकारी योजनाएं
- एनजीओ और एसएचजी की भूमिका
- डिजिटल शासन (जैसे कोविन, डीबीटी)
- सामाजिक समता मुद्दे (लिंग, शिक्षा, गरीबी)
Trend Insight:
इन प्रश्नों का वर्तमान नीतिगत कदमों के साथ गहरा जुड़ाव था। उम्मीदवारों को न केवल योजनाओं का उल्लेख करना था, बल्कि उनके प्रदर्शन का गंभीर रूप से मूल्यांकन करना था, सुधार के लिए सुझाव भी देना था। जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) त्रिमूर्ति की प्रभावकारिता पर एक 15-अंक वाला प्रश्न विशेष रूप से विश्लेषणात्मक था।
VISIONIAS स्रोत:
- मासिक करेंट अफेयर्स:
- मेन्स 365:
- साप्ताहिक फोकस:
- मूल्यवर्धित सामग्री:
C. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR)
- No. of Questions: ___
- Weightage: ___
- Overall Difficulty: ___
फोकस क्षेत्र:
- भारत-चीन सीमा विवाद और कूटनीतिक रणनीति
- पश्चिम एशिया और हिंद-प्रशांत के साथ भारत का जुड़ाव
- महामारी के बाद प्रवासी की भूमिका
- संयुक्त राष्ट्र सुधारों की प्रासंगिकता
- बहुपक्षवाद और क्षेत्रीय समूह (I2U2, QUAD, BRICS)
Trend Insight:
पहले के वर्षों के विपरीत जहाँ प्रश्न अक्सर द्विपक्षीय संबंधों या वैश्विक निकायों में भारत के रुख के बारे में होते थे, 2025 के IR प्रश्नों ने बहु-ध्रुवीय दुनिया में भारत की विकसित होती कूटनीतिक प्राथमिकताओं के आकलन के लिए पूछा।
VISIONIAS स्रोत:
- मासिक करेंट अफेयर्स:
- मेन्स 365:
- साप्ताहिक फोकस:
- मूल्यवर्धित सामग्री:
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Difficulty Level Assessment
यह पेपर मध्यम से उच्च कठिनाई वाला था, मुख्य रूप से इसके कारण:
- Application-oriented framing : अधिकांश प्रश्नों में गंभीर सोच की मांग थी। किसी भी विषय की सतही समझ अपर्याप्त थी।
- Dense content requirements: छात्रों से हाल के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों, सरकारी रिपोर्टों, या समकालीन केस स्टडीज का उल्लेख करने की अपेक्षा की गई थी।
- समय की कमी: 3 घंटे में 20 सुव्यवस्थित उत्तर लिखना—प्रत्येक साक्ष्य या सैद्धांतिक ढांचे द्वारा समर्थित—वास्तविक चुनौती थी।
Key Takeaways for Future Aspirants
राजव्यवस्था और शासन
- न्यायिक और विधायी विकास: हाल के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों (जैसे, गोपनीयता, चुनावी सुधारों पर) और महत्वपूर्ण विधायी उपायों पर जोर दें जो शासन को प्रभावित करते हैं। इन विकासों की भावना और प्रभाव दोनों को समझना महत्वपूर्ण है।
- Applied Constitutional Understanding: प्रावधानों को याद करने के बजाय, इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि संघीयता या शक्तियों के पृथक्करण जैसे संवैधानिक सिद्धांत वास्तविक परिदृश्यों में कैसे प्रकट होते हैं, जैसे कि केंद्र-राज्य समन्वय या संस्थानों की विकसित होती निगरानी भूमिका, जैसा कि हाल के
- लोक प्रशासन में नैतिकता: जवाबदेही तंत्र और सिविल सेवकों के सामने आने वाली नैतिक दुविधाएँ जैसे विषय बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न क्षेत्र बनते हैं। इन्हें समसामयिक विषयों के साथ जोड़ने से उत्तरों की गुणवत्ता निखरती है।
- तुलनात्मक संवैधानिक अंतर्दृष्टि: भारत की संवैधानिक विशेषताओं और अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देशों के बीच समानताएं खींचने से वैचारिक स्पष्टता मजबूत होती है - विशेष रूप से धर्मनिरपेक्षता या न्यायिक सक्रियता जैसे विषयों के लिए।
सामाजिक न्याय
- योजनाओं से परे - संरचनात्मक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें: कल्याणकारी योजनाओं को केवल सूचीबद्ध करने के बजाय, उनकी प्रणालीगत चुनौतियों पर गहराई से विचार करें—जैसे कि निजीकरण स्वास्थ्य या शिक्षा क्षेत्रों में सुलभता को कैसे प्रभावित करता है। यह दृष्टिकोण UPSC की उभरती अपेक्षाओं के अनुरूप एक गहरी समझ को दर्शाता है।
- जमीनी स्तर के दृष्टिकोण: सफल समुदाय-नेतृत्व वाली पहलों, समावेशी विकास मॉडलों और गैर-सरकारी संगठनों के हस्तक्षेपों पर उदाहरणों और लघु-केस अध्ययनों को शामिल करें। ये उत्तरों को व्यक्तिगत बनाने और गहराई लाने में मदद करते हैं।
- एकीकृत दृष्टिकोण: सामाजिक मुद्दों - जैसे लैंगिक समानता, गरीबी उन्मूलन और डिजिटल समावेशन - के वास्तविक दुनिया के मूल्यांकन के साथ वैचारिक स्पष्टता का संयोजन, उम्मीदवारों को सामाजिक न्याय अनुभाग में सूक्ष्म और व्यावहारिक उत्तर लिखने के लिए सक्षम करेगा।
अंतरराष्ट्रीय संबंध
- विदेश नीति में वैचारिक स्पष्टता का निर्माण करें: भारत की विदेश नीति के सिद्धांतों, रणनीतिक सिद्धांतों और उसकी वैश्विक गतिविधियों के पीछे के तर्कों की एक मज़बूत समझ विकसित करें । यह आधारभूत ज्ञान परीक्षा में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रश्नों की बदलती और अक्सर अप्रत्याशित प्रकृति को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- वर्तमान और प्रासंगिक बने रहें: समसामयिक पत्रिकाओं और विश्वसनीय मूल्यवर्धित सामग्री के नियमित अध्ययन के माध्यम से समकालीन अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों के साथ तालमेल बनाए रखें । वैश्विक मंचों, द्विपक्षीय संबंधों और प्रमुख राजनयिक हस्तक्षेपों में भारत की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करें।
- विविध दृष्टिकोणों को समाहित करें: संपादकीय, विशेषज्ञ स्तंभ और अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक की रिपोर्ट पढ़कर अपने दृष्टिकोणों को समृद्ध बनाएँ। इससे संतुलित तर्क प्रस्तुत करने में मदद मिलती है जो भारत के राष्ट्रीय हितों और वैश्विक वास्तविकताओं, दोनों को प्रतिबिंबित करते हैं।
- सैद्धांतिक समझ को वास्तविक समय के अपडेट और महत्वपूर्ण दृष्टिकोणों के साथ एकीकृत करके, अभ्यर्थी अपने उत्तरों की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं - अंतर्राष्ट्रीय संबंध अनुभाग में अपने उत्तरों में गहराई, प्रासंगिकता और सुसंगतता ला सकते हैं।
निष्कर्ष
2025 के GS पेपर 2 ने एक बार फिर एक केंद्रीय सत्य की पुष्टि की है: UPSC उन आलोचनात्मक विचारों को पुरस्कृत करता है जो स्थिर पाठ्यक्रम से आगे जा सकते हैं। चाहे विदेश नीति में बदलावों को समझना हो, कल्याणकारी योजनाओं का मूल्यांकन करना हो, या न्यायिक जवाबदेही पर विचार करना हो—GS2 गहराई, सूक्ष्मता और अंतर्दृष्टि का पेपर बना हुआ है।
एक संरचित रणनीति और वैचारिक स्पष्टता के साथ, GS2 एक उच्च स्कोरिंग पेपर बन सकता है - और सिविल सेवा में सफलता की दिशा में एक निर्णायक कदम हो सकता है।