UPSC सिविल सेवा परीक्षा (CSE) भारत की सबसे प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक है। विभिन्न विषयों में से, भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान UPSC प्रारंभिक परीक्षा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि यह शासन और प्रशासन की रीढ़ है। संविधान, राजनीतिक व्यवस्था और शासन की मजबूत समझ अभ्यर्थियों के लिए आवश्यक है। यह ब्लॉग UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 में भारतीय राजव्यवस्था के पाठ्यक्रम, प्रश्नों के ट्रेंड और तैयारी की रणनीति पर एक व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 के लिए भारतीय राजव्यवस्था का पाठ्यक्रम
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय राजव्यवस्था और शासन संविधान, राजनीतिक व्यवस्था, पंचायती राज, लोक नीति, अधिकार संबंधी मुद्दे, आदि।प्रारंभिक परीक्षा के लिए UPSC उपर्युक्त व्यापक रूपरेखा के अलावा कोई स्पष्ट पाठ्यक्रम परिभाषित नहीं करता है। हालांकि, पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों के आधार पर, भारतीय राजव्यवस्था के लिए निम्नलिखित विषय महत्वपूर्ण हैं:
- भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- संविधान का निर्माण और संविधान सभा
- संविधान की प्रमुख विशेषताएं
- संविधान की प्रस्तावना
- मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व (DPSP)
- केंद्र और राज्य सरकार: राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद, संसद और राज्य विधानमंडल
- न्यायपालिका: सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय
- संघवाद: केंद्र-राज्य संबंध, आपातकालीन प्रावधान
- संवैधानिक और गैर-संवैधानिक निकाय (CAG, निर्वाचन आयोग, UPSC आदि)
- स्थानीय सरकार: पंचायती राज और नगरपालिकाएं
- संविधान संशोधन और मूल संरचना
- महत्वपूर्ण निर्णय और सिद्धांत (केशवानंद भारती, एसआर बोम्मई आदि)
- राजव्यवस्था से संबंधित समसामयिक घटनाएं
इन विषयों के बीच अंतर्संबंध को समझना भारतीय राजव्यवस्था को व्यापक रूप से समझने के लिए आवश्यक है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा में भारतीय राजव्यवस्था का ट्रेंड एनालिसिस
1. राजव्यवस्था के प्रश्नों का भारांश (Weightage)
पिछले 10 वर्षों में, UPSC प्रारम्भिक परीक्षा के प्रश्नों में भारतीय राजव्यवस्था का हिस्सा लगातार 15-20% रहा है। प्रश्नों का कठिनाई स्तर तथ्यात्मक (Factual) से लेकर अवधारणात्मक (Conceptual) और अनुप्रयोग-आधारित (Application-Based) तक होता है।

2. प्रश्नों की प्रकृति
प्रश्नों को मोटे तौर पर निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- पॉलिटी सेक्शन के अधिकांश प्रश्न स्थिर और मानक स्रोतों से आते हैं, जिससे समग्र कठिनाई स्तर मध्यम रहता है।
- UPSC ने राजनीतिक दर्शन पर आधारित प्रश्न पूछना जारी रखा है, जैसे संवैधानवाद/संविधान, न्यायिक समीक्षा में उपयोग किए गए सिद्धांतों का सार, आदि।
- समसामयिक मुद्दों की ओर बढ़ता रुझान। कुछ प्रश्न समाचार पत्रों और समसामयिक घटनाओं से जुड़े होते हैं, जैसे लोकसभा की एथिक्स समिति, आदि।
- गवर्नेंस सेक्शन में, विविध समसामयिक घटनाओं से जुड़े विषयों जैसे जेल अधिनियम 1894, पुराने-लेकिन-महत्वपूर्ण अधिनियम जैसे आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, आदि से कई प्रश्न पूछे गए।
- 2023 में, UPSC ने एक अलग पैटर्न अपनाया, जिसमें विकल्पों को बदलकर और एलिमिनेशन तकनीकों को सीमित करके प्रश्न पूछे गए। हालांकि, 2024 में प्रश्न पैटर्न 2023 की तुलना में अपेक्षाकृत सरल और पारंपरिक था, जिसमें पाठ्यक्रम के स्थिर भागों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

- अभ्यर्थियों को जानबूझकर और अवलोकनात्मक (Intentional & Observational) ज्ञान प्राप्त करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि सतही अध्ययन पर। उन्हें समाचार पत्र पढ़ना चाहिए और समसामयिक घटनाओं को व्यापक रूप से तैयार करना चाहिए, क्योंकि स्थिर प्रश्नों को पूछने की प्रेरणा भी समसामयिक घटनाओं से मिलती है।
- पॉलिटी की मानक पाठ्यपुस्तकें और समग्र कवरेज, UPSC द्वारा अपनाए गए लगभग सभी पैटर्न में सफलता की कुंजी बनी रहेगी।
Example Question (2024 Prelims):
लोक सभा में आचार समिति के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
- शुरू में यह एक तदर्थ समिति थी।
- केवल लोक सभा का सदस्य ही लोक सभा के किसी सदस्य के अनैतिक आचरण से संबंधित शिकायत कर सकता है।
- यह समिति किसी ऐसे मामले पर विचार नहीं कर सकती जो विचाराधीन हो।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
Answer – (C) केवल 1 और 3
UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 में भारतीय राजव्यवस्था के लिए तैयारी की रणनीति
1. NCERT और मानक पुस्तकों में महारत:

Vision IAS Value Addition Material
2. अवधारणात्मक स्पष्टता पर फोकस
- संवैधानिक प्रावधानों के अनुप्रयोग की समझ: अभ्यर्थियों को केवल अनुच्छेद और प्रावधानों को याद करने के बजाय उनके वास्तविक अनुप्रयोग एवं प्रभाव को समझना चाहिए। उदाहरण के लिए, राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों को जानना आवश्यक है, लेकिन इन शक्तियों का उपयोग विभिन्न परिस्थितियों में कैसे किया जाता है- जैसे कि त्रिशंकु संसद या विधानसभा के दौरान; यह समझना UPSC के प्रश्नों के उत्तर देने में उपयोगी बनाता है।
- वास्तविक परिस्थितियों में शासन तंत्र कैसे काम करता है, इस पर फोकस करें: संसदीय प्रक्रियाओं, न्यायिक समीक्षा और संवैधानिक निकायों के कामकाज जैसे विषयों का अध्ययन सिर्फ सिद्धांत तक सीमित नहीं होना चाहिए। हाल के उदाहरणों का विश्लेषण करें, जैसे चुनाव आयोग की भूमिका, सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक सक्रियता, या हाल के संवैधानिक विकास का प्रभाव।
- अवधारणाओं को समसामयिक घटनाओं से जोड़ना: अभ्यर्थियों को राजनीतिक घटनाक्रमों पर नज़र रखनी चाहिए, जैसे "एक राष्ट्र, एक चुनाव" पर 129वां संशोधन विधेयक, जो संसद और चुनाव आयोग की शक्तियों को उजागर करता है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, जैसे निजता के अधिकार और राजद्रोह कानून, संवैधानिक अनुप्रयोग के व्यावहारिक पहलुओं को समझने में मदद करते हैं।
3. नोट्स बनाना और रिवीजन करना
- त्वरित रिवीजन के लिए शॉर्ट नोट्स और माइंड मैप तैयार करना: UPSC प्रारंभिक परीक्षा में विस्तृत पाठ्यक्रम को याद रखने की आवश्यकता होती है। मौलिक अधिकार, राज्य के नीति निर्देशक तत्व (DPSP), और संविधान संशोधन जैसे टॉपिक्स के लिए शॉर्ट माइंड मैप बनाने से याद करने और व्यवस्थित रूप से सोचने में मदद मिलती है।
- बेहतर याद रखने के लिए प्रमुख अनुच्छेदों और प्रावधानों को संक्षेप में लिखिए: प्रमुख संवैधानिक अनुच्छेदों, ऐतिहासिक निर्णयों और महत्वपूर्ण सिद्धांतों को एक संरचित प्रारूप में सूचीबद्ध करने से आप महत्वपूर्ण टॉपिक्स को लंबे समय तक याद रखेंगे और नहीं भूलेंगे।
- परीक्षा से पहले कम से कम तीन बार रिवीजन: एक व्यवस्थित रिवीजन प्लान आवश्यक है। Vision IAS के क्विक रिवीजन मटेरियल या अपने स्वयं के संकलित नोट्स का उपयोग करके कम से कम तीन बार रिवीजन का प्रयास कीजिए ताकि प्रमुख अवधारणाओं को मजबूत किया जा सके और अंतिम समय में Overload से बचा जा सके।
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4. PYQs का विश्लेषण और हल करना
- UPSC प्रारंभिक परीक्षा के पिछले 10 वर्षों के राजव्यवस्था (पॉलिटी) के प्रश्नों का विश्लेषण: पैटर्न और ट्रेंड को समझने के लिए विगत वर्षों के प्रश्नों का अध्ययन कीजिए। पूछे गए प्रश्नों की प्रवृत्ति एवं प्रकृति को समझने से परीक्षा की तैयारी बेहतर होती है।
- PYQs से UPSC के पैटर्न और प्रश्नों की फ्रेमिंग को समझने में सहायता: यह विश्लेषण सुनिश्चित करता है कि अभ्यर्थी परीक्षा के कठिनाई स्तर और प्रश्न संरचना से परिचित हों। प्रारंभिक परीक्षा में कई प्रश्न पिछले प्रश्नों के समान होते हैं, जो विगत वर्षों के प्रश्नों के ट्रेंड एनालिसिस के महत्व को रेखांकित करते हैं।
- समय-सीमा में PYQs को हल कीजिए: Accuracy और दक्षता (Efficiency) बढ़ाने के लिए इन्हें मिनी-मॉक टेस्ट के रूप में हल कीजिए। इससे परीक्षा जैसी मानसिकता विकसित करने में मदद मिलती है।
10 – Year UPSC PYQ Analysis
5. परीक्षा के माहौल में मॉक-टेस्ट अभ्यास:
- टेस्ट सीरीज: ऑल इंडिया प्रीलिम्स टेस्ट सीरीज से अभ्यास शुरू कीजिए। अंतिम 1.5 या 1 महीने तक इंतजार न करें।
- परीक्षा के माहौल का अनुकरण: समयबद्ध वातावरण में अभ्यास करने से परीक्षा का टेम्परामेंट (Temperament) विकसित होता है और समय प्रबंधन कौशल में सुधार होता है। वास्तविक परीक्षा की स्थिति में - बिना किसी व्याकुलता के और निर्धारित समय सीमा के भीतर - मॉक टेस्ट देने से आप दबाव को प्रभावी ढंग से संभालने की क्षमता विकसित करते हैं।
- गलतियों का विश्लेषण: गलतियों की सूची (Error log) बनाइए, गलत उत्तरों से सीखिए और कमजोर क्षेत्रों पर फिर से फोकस कीजिए। जितनी जल्दी आप शुरू करेंगे, आपकी Accuracy उतनी ही बेहतर होगी।
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6. पॉलिटी से संबंधित करेंट अफेयर्स से अपडेट
- हाल के विधायी विकास से अवगत रहने के लिए के लिए दैनिक समाचार पत्र जैसे द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस और PRS इंडिया का अध्ययन।
- राज्यसभा टीवी पर Debates, ऑल इंडिया रेडियो न्यूज प्रोग्राम, PIB अपडेट और सर्वोच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णयों पर नजर रखनी चाहिए।
- संवैधानिक संशोधन, नीतियों और शासन में परिवर्तनों पर फोकस करना चाहिए।
- पिछले एक साल के करेंट अफेयर्स पर फोकस: UPSC पिछले 12-18 महीनों की समसामयिक घटनाओं पर अधिक बल देता है।
- क्विज और नोट्स के माध्यम से रिवीजन: स्वयं के बनाए नोट्स और दैनिक क्विज के माध्यम से करेंट अफेयर्स का रिवीजन करते रहें।
- VisionIAS द्वारा करेंट अफेयर्स: न्यूज टुडे, मासिक मैगजीन, PT365 की सहायता से करेंट अफेयर्स से अपडेट रहते हुए रिवीजन कीजिए।
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7. पॉलिटी को अन्य विषयों से Interlink करना
- इकोनोमी एवं पॉलिटी: भारत के आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य में राजकोषीय संघवाद, वित्त आयोग की भूमिका और GST परिषद के कार्यप्रणाली जैसे अवधारणाओं को समझिए।
- इतिहास एवं पॉलिटी: ब्रिटिश शासन के दौरान संवैधानिक विकास का अध्ययन कीजिए, जैसे भारत सरकार अधिनियम (1909, 1919, 1935), जिन्होंने भारतीय संविधान की नींव रखी।
- भूगोल एवं पॉलिटी: संघीय व्यवस्था और अंतर्राज्यीय विवादों का विश्लेषण कीजिए, जैसे जल-साझाकरण विवाद और राज्यों के बीच अधिकार क्षेत्र से जुड़े मुद्दे, जो शासन और नीतिगत निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
सामान्य गलतियाँ जिनसे बचना चाहिए:
- NCERT को नजरअंदाज करना और सीधे एडवांस पुस्तकों को पढ़ना: NCERT अवधारणात्मक स्पष्टता (Conceptual Clarity) प्रदान करती है; इसे छोड़ने से समझ में कमी या कठिनाई आ सकती है।
- करेंट अफेयर्स को नजरअंदाज करना: कई पॉलिटी के प्रश्न हाल के कानूनी और शासन संबंधी विकास से जुड़े होते हैं।
- कथन-आधारित प्रश्नों का अभ्यास न करना: UPSC अक्सर Tricky कथन-आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न पूछता है।
- केवल सिद्धांत पर ध्यान देना और अनुप्रयोग - आधारित प्रश्नों को नजरअंदाज करना: वास्तविक परिस्थितियों में प्रावधानों को कैसे लागू किया जाता है, यह समझना महत्वपूर्ण है।
- रिवीजन की कमी: बिना बार-बार रिवीजन के अनुच्छेदों और प्रावधानों को याद रखना मुश्किल हो जाता है।
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान UPSC प्रारंभिक परीक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसका परीक्षा में महत्वपूर्ण भारांश रहता है। इस विषय में महारत हासिल करने के लिए NCERT, मानक पुस्तकों, पिछले वर्षों के प्रश्नों (PYQs), करेंट अफेयर्स और मॉक टेस्ट को कवर करने वाला एक सुव्यवस्थित दृष्टिकोण आवश्यक है। अवधारणात्मक स्पष्टता, रणनीतिक रिवीजन और विषयों को आपस में जोड़ने से UPSC प्रारंभिक परीक्षा 2025 में सफलता सुनिश्चित होगी। फोकस रहिए, लगन एवं मेहनत से अभ्यास कीजिए और एक सुनियोजित रणनीति के साथ इस विषय को समझें ताकि परीक्षा में सफलता मिल सके।
अंतिम सुझाव:
पॉलिटी UPSC प्रारंभिक परीक्षा में सबसे अधिक स्कोरिंग विषयों में से एक है। इसमें महारत हासिल कीजिए, और आपके IAS बनने के सपने की पहली बाधा को पार करने में सबसे अधिक लाभ मिलेगा!