भारत की ऊर्जा आकांक्षाएं और परमाणु रणनीति
भारत का लक्ष्य अपनी स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक "विकसित" का दर्जा प्राप्त करना है, जो 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य के साथ जुड़ा हुआ है। इसके लिए प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपयोग को बनाए रखने के लिए एक मजबूत रणनीति की आवश्यकता है और 0.95 का मानव विकास सूचकांक प्राप्त करना है, जिसके लिए प्रतिवर्ष लगभग 28,000 TWh स्वच्छ ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
स्वच्छ ऊर्जा स्रोत
- नवीकरणीय ऊर्जा, बड़ी जलविद्युत परियोजनाएं और परमाणु ऊर्जा प्राथमिक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत हैं।
- अन्य स्रोतों की सीमाओं के कारण परमाणु ऊर्जा का योगदान प्रतिवर्ष कम से कम 20,000 TWh होना चाहिए।
परमाणु ऊर्जा पर फोकस
- वर्तमान में भारत की कुल ऊर्जा खपत प्रतिवर्ष लगभग 9,800 TWh है, जो मुख्यतः जीवाश्म ईंधनों से प्राप्त होती है।
- भारत का लक्ष्य है कि आने वाले 45 वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को 70 गुना तक बढ़ाया जाए, जिसमें से 70% योगदान परमाणु ऊर्जा से प्राप्त किया जाए।
तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम
- यह कार्यक्रम भारत के वैज्ञानिक डॉ. होमी भाभा द्वारा दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
- सिद्ध प्रौद्योगिकी के रूप में घरेलू स्तर पर प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर्स (PHWRs) पर आधारित है।
- इस कार्यक्रम को गति देने हेतु तेजी से तैनाती और कई संस्थानों की भागीदारी की आवश्यकता है।
यूरेनियम और ऊर्जा सुरक्षा
- यूरेनियम विखंडनीय पदार्थ का एकमात्र प्राकृतिक स्रोत है।
- भारत के पास यूरेनियम के सीमित भंडार हैं और उसके अयस्कों में यूरेनियम की सांद्रता भी कम है, फिर भी यह राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
- भारत का 100 गीगावाट वाले परमाणु मिशन के लिए प्रतिवर्ष 20,000 टन यूरेनियम की आवश्यकता होती है, जिससे भू-राजनीतिक चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं।
थोरियम और फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBRs)
- भारत में थोरियम के विशाल भंडार हैं; पुनः उपयोग किए गए यूरेनियम और प्लूटोनियम की ओर रुख करना आवश्यक है।
- फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) की तैनाती में देरी से PHWRs में थोरियम का इरैडिएशन (प्रकाशन) करना आवश्यक हो गया है।
- मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर्स (MSRs) में थोरियम आधारित अपशिष्ट ईंधन का पुनर्चक्रण ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकियां
- ऐसा अनुमान है कि स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) की तकनीक को परिपक्व होने में अभी कई दशक लग सकते हैं।
- अनुसंधान का ध्यान थोरियम आधारित MSR-SMRs पर तथा परमाणु विकास के दूसरे और तीसरे चरण को आगे बढ़ाने पर केंद्रित होना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और भविष्य की संभावनाएं
- हाई असे लो एनरिच्ड यूरेनियम (HALEU) PHWRs में थोरियम को प्रभावी रूप से शामिल करने के लिए आवश्यक है।
- HALEU और ANEEL ईंधन विकास पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से भारत और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को लाभ हो सकता है।
- 100 गीगावॉट (GWe) परमाणु मिशन केवल एक ऊर्जा लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह नेट-ज़ीरो एमिशन और विकसित भारत (Viksit Bharat) के सपने को साकार करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है।