भारत-कनाडा संबंध: हालिया घटनाक्रम
दो साल के व्यापक व्यवधान के बाद, भारत और कनाडा ने दिल्ली और ओटावा में उच्चायुक्तों को बहाल करके राजनयिक संबंधों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की है। यह घटनाक्रम G7 आउटरीच सत्र के दौरान भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के नवनिर्वाचित प्रधान मंत्री मार्क कार्नी के बीच चर्चा के बाद हुआ है।
राजनयिक संबंधों की बहाली
- प्रधान मंत्री मोदी और कार्नी ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने के लिए कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।
- इस बहाली में एक दूसरे की राजधानियों में उच्चायुक्तों की नियुक्ति भी शामिल है।
- व्यापार और संपर्क जैसे क्षेत्रों में वरिष्ठ और कार्यकारी स्तर की वार्ता पुनः शुरू हो गई है।
व्यापार और आर्थिक समझौते
- नेताओं ने प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (EPTA) पर वार्ता पुनः शुरू करने पर चर्चा की।
- इन वार्ताओं का उद्देश्य व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) के लिए आधार तैयार करना है।
सहयोगात्मक क्षेत्र
- संभावित सहयोगों में स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल परिवर्तन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, एलएनजी, खाद्य सुरक्षा, महत्वपूर्ण खनिज, उच्च शिक्षा, गतिशीलता और आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन शामिल हैं।
पृष्ठभूमि और संदर्भ
यह मेल-मिलाप कनाडा में खालिस्तानी कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से उपजे तनावपूर्ण संबंधों के दौर के बाद हुआ है। पिछली कनाडाई सरकार ने भारत पर इसमें शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसके कारण राजनयिकों को निष्कासित कर दिया गया था और वीज़ा सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था।
वर्तमान एवं भविष्य के निहितार्थ
- इस बैठक को वर्षों के तनाव और आरोप-प्रत्यारोप के बाद एक सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
- कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा द्वारा निज्जर मामले पर एक रिपोर्ट जारी किये जाने की उम्मीद है, जिसका द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव पड़ सकता है।
- प्रधान मंत्री कार्नी का निर्वाचन कनाडा के नेतृत्व में बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की संभावना है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
- अमेरिका तथा ब्रिटेन और जर्मनी जैसे अन्य देशों ने कार्यकर्ताओं के कथित दमन और उन्हें निशाना बनाये जाने पर चिंता जताई है।
- जी-7 के संयुक्त वक्तव्य में असंतुष्टों और प्रवासी समुदायों के विरुद्ध हिंसा और उत्पीड़न की निंदा की गई।