भारत की आर्थिक स्थिति
भारत, ब्रिटेन जैसे पूर्व आर्थिक नेताओं को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अनुमान बताते हैं कि 1-2 साल के भीतर भारत जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। यह संवृद्धि महामारी के बाद महत्वपूर्ण आर्थिक विस्तार की अवधि के बाद हुई है, जिससे भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया है।
GDP संवृद्धि
- पिछले तीन वर्षों में भारत की GDP लगभग 8% वार्षिक दर से बढ़ी है।
- आर्थिक उछाल के बावजूद, प्रति व्यक्ति आधार पर भारत एक निम्न मध्यम आय वाला देश बना हुआ है, जो नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद में 143वें स्थान पर तथा PPP प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में 125वें स्थान पर है।
अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ तुलना
चीन की तरह भारत का आर्थिक प्रभाव प्रति व्यक्ति आय के बजाय समग्र GDP के रूप में निर्धारित होता है। निम्न प्रति व्यक्ति GDP के बावजूद, चीन का वैश्विक स्तर पर पर्याप्त प्रभाव है।
- अमेरिकी अर्थव्यवस्था का आकार 30 ट्रिलियन डॉलर , चीन की 19 ट्रिलियन डॉलर तथा भारत की 3.9 ट्रिलियन डॉलर है।
आर्थिक लक्ष्य और चुनौतियां
- 2018 में, भारत सरकार ने 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन महामारी के प्रभाव के कारण यह लक्ष्य 2029 तक स्थगित कर दिया गया।
- वर्ष 2024-25 तक भारत की GDP इस लक्ष्य से 1.1 ट्रिलियन डॉलर तक कम रहने का अनुमान है।
क्षेत्रक आधारित विश्लेषण
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
- भारत चैटजीपीटी का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और विश्व की 16% AI प्रतिभा यहां मौजूद है।
- भारत में स्वदेशी आधारभूत भाषा मॉडल का अभाव है तथा घरेलू AI चिप्स विकसित करने में उसे 3-5 वर्ष का समय लगेगा।
- भारत ने निजी AI क्षेत्रक में केवल 1.2 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित किया, जबकि अमेरिका ने 109 बिलियन डॉलर और चीन ने भारत से सात गुना अधिक निवेश किया।
उत्पादन
- एप्पल अपने 20% स्मार्टफोन भारत में असेंबल कर रहा है तथा इसका विस्तार करने की योजना बना रहा है।
- हालांकि इसके अधिकांश घटकों का निर्माण चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया में किया जाता है।
अनुसंधान एवं विकास (R&D)
- भारत का अनुसंधान एवं विकास व्यय सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.64% है, जबकि चीन का 2.4% और अमेरिका का 3.5% है ।
- फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्रक में, जेनेरिक दवाओं का प्रमुख आपूर्तिकर्ता होने के बावजूद, भारत 70% सक्रिय दवा सामग्री चीन से आयात करता है।