भारत-यूके व्यापक आर्थिक व्यापार समझौता (CETA)
भारत और यूके ने एक व्यापक आर्थिक व्यापार समझौते (CETA) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य संवेदनशीलता और शक्तियों के बीच संतुलन स्थापित करना तथा भारत को अधिक परिपक्व अर्थव्यवस्था की ओर ले जाना है।
मुख्य विशेषताएं और सुरक्षा
- मूल्य के हिसाब से यूके के केवल 25% निर्यात को ही भारत में तत्काल शुल्क मुक्त पहुंच प्राप्त होगी।
- भारत ने निम्नलिखित संवेदनशील क्षेत्रों को संरक्षित किया है:
- डेयरी, अनाज, बाजरा, दालें और सब्जियां
- सोना, आभूषण और प्रयोगशाला में विकसित हीरे जैसी उच्च मूल्य वाली वस्तुएं
- आवश्यक तेल, महत्वपूर्ण ऊर्जा ईंधन, समुद्री जहाज और पहने हुए कपड़े
- महत्वपूर्ण पॉलिमर, मोनोफिलामेंट्स, स्मार्टफोन और ऑप्टिकल फाइबर
- रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्पादों को पांच, सात और दस वर्ष की अवधि में रियायतें दी जाएंगी।
रणनीतिक विचार
- यह समझौता भारत के उन क्षेत्रों में प्रवेश करने की दिशा में बदलाव को दर्शाता है, जो पहले अन्य व्यापार समझौतों में शामिल नहीं थे तथा यह भारत को विकसित देश का दर्जा प्राप्त करने में सहायता करता है।
- भारत का लक्ष्य व्यवसायों के लिए पारस्परिक लाभ और पूर्वानुमान सुनिश्चित करके "टैरिफ किंग" लेबल को हटाना है।
पारस्परिक मान्यता और बाजार पहुंच
- भारत और यूके नर्सों, अकाउंटेंट्स और वास्तुकारों जैसे पेशेवरों की यूके में आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए पारस्परिक मान्यता समझौतों (MRAs) पर बातचीत करेंगे।
- गैर-टैरिफ बाधाओं को कम किया जाएगा तथा विनियामक प्रणालियों में सुधार किया जाएगा।
CETA एक व्यापक समझौता है, जिसका उद्देश्य भारत की निर्यात क्षमता को समर्थन देना तथा संवेदनशील घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करते हुए पारस्परिक लाभ सुनिश्चित करना है।