प्रधान मंत्री इंटर्नशिप योजना (PMIS)
प्रधान मंत्री इंटर्नशिप योजना का उद्देश्य व्यापक इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करके भारत के युवाओं को उद्योग-संबंधित कौशल से लैस करना है। अक्टूबर 2024 से एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रही इस योजना का उद्देश्य अगले पाँच वर्षों में भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं को साल भर की इंटर्नशिप प्रदान करना है।
कार्यक्रम कार्यान्वयन और उद्योग की भागीदारी
- भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) द्वारा इस योजना के बारे में कंपनियों और प्रशिक्षुओं दोनों को जागरूक करने के लिए साप्ताहिक ऑनलाइन सत्र और FAQ आयोजित किए जा रहे हैं।
- शिकायत निवारण के लिए एक इंटर्नशिप पोर्टल बनाया गया है तथा राज्यों से फीडबैक और निगरानी के लिए नोडल व्यक्तियों की नियुक्ति करने को कहा गया है।
वित्तीय पहलू और वजीफा
- यह योजना वित्तीय सहायता पैकेज प्रदान करती है, जिसमें शामिल होने पर 6,000 रुपये का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और 5,000 रुपये मासिक वजीफा शामिल है। इसमें 4,500 रुपये सरकार द्वारा और 500 रुपये कंपनी के CSR फंड द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
- प्रशिक्षुओं ने बताया कि बड़े शहरों में रहने के खर्च को पूरा करने के लिए वजीफा अपर्याप्त है तथा प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रशिक्षुओं के लिए वजीफे में असमानताएं पाई जाती हैं।
कार्यक्रम का प्रभाव और भविष्य की संभावनाएँ
- इस योजना से प्रतिभागियों की रोजगार क्षमता में वृद्धि हुई है तथा कुछ प्रतिभागियों से अन्य कम्पनियों और स्टार्टअप्स द्वारा नौकरियों के लिए संपर्क किया गया है।
- इंटर्नशिप के बाद अस्पष्ट परिणाम और उच्च जीवन-यापन लागत जैसी चुनौतियाँ प्रतिभागियों के लिए बाधाएं हैं।
संसदीय अंतर्दृष्टि और सिफारिशें
- वित्त संबंधी स्थायी समिति ने समावेशिता सुनिश्चित करने तथा विविध प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए स्वतंत्र मूल्यांकन तथा जीवन-यापन व्यय के लिए सहायता बढ़ाने की सिफारिश की।
निष्कर्ष
चुनौतियों के बावजूद, PMIS को एक परिवर्तनकारी अवसर के रूप में देखा जा रहा है। सरकार फीडबैक के आधार पर कार्यक्रम को और बेहतर बना रही है। साथ ही, प्रतिभागियों में इस योजना को एक मूल्यवान शिक्षण और अन्वेषण के अवसर के रूप में बढ़ावा देने के लिए उत्साह है।