राष्ट्रीय डेटा केंद्र नीति
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने राष्ट्रीय डेटा सेंटर नीति के मसौदे पर नए सिरे से विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। इस नीति की घोषणा 2020 में की गई थी, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है। इस नीति का उद्देश्य एकल-खिड़की अनुमति, सुव्यवस्थित अनुमोदन, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा और प्रोत्साहनों के प्रावधान के माध्यम से डेटा केंद्रों की स्थापना को सरल बनाकर निवेश आकर्षित करना है।
उद्देश्य और विशेषताएँ
- एकल खिड़की मंजूरी: डेटा सेंटर प्रतिष्ठानों के लिए अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी लाना।
- समर्पित डेटा सेंटर आर्थिक क्षेत्र (DCEZ): डेटा केंद्रों के भौगोलिक वितरण को संतुलित करने के लिए चार क्षेत्र स्थापित करें।
- प्रोत्साहन: वित्तीय और विनियामक प्रोत्साहनों के माध्यम से निवेश को प्रोत्साहित करें।
- अवसंरचना का दर्जा: 5 मेगावाट या उससे अधिक क्षमता वाले डेटा केंद्रों को अवसंरचना का दर्जा दिया गया है।
वर्तमान घटनाक्रम
- हाल ही में नई दिल्ली में हितधारक परामर्श में उद्योग प्रतिनिधियों ने पिछले पांच वर्षों में क्षेत्र में हुए परिवर्तनों के अनुरूप नीति को अद्यतन करने के लिए सिफारिशें प्रदान कीं।
- सरकार विशेष रूप से कम शहरीकृत क्षेत्रों में छोटे एज डेटा केंद्रों का लाभ उठाने के लिए डी.सी.ई.जेड. की स्थापना में रुचि रखती है।
राज्य की भागीदारी
- कम से कम 10 राज्यों ने डेटा सेंटर नीतियां लागू की हैं।
- महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्य एकल खिड़की मंजूरी प्रदान करते हैं।
उद्योग सांख्यिकी
- जुलाई तक भारत में 153 डेटा सेंटर थे, जिनकी क्षमता 1,263 मेगावाट थी।
- 20-25 बिलियन डॉलर के निवेश से 2030 तक क्षमता 4,500 मेगावाट से अधिक होने का अनुमान है।
- मुख्य क्षमता संकेन्द्रण मुंबई (41%), चेन्नई (23%), और दिल्ली एनसीआर (14%) में है।
ये घटनाक्रम भारत को डेटा सेंटरों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाने की सरकार की रणनीति को दर्शाते हैं, जो उद्योग की जरूरतों और उभरते तकनीकी रुझानों पर प्रतिक्रिया देगा।