भारत में AI के भविष्य को आकार देना
AI की तैनाती के साथ-साथ ही छंटनी की खबरें भी आ रही है, भारत के सामने यह सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कार्य है कि नौकरियों, उत्पादकता और अर्थव्यवस्था पर AI का प्रभाव समावेशी और लाभकारी हो। विभिन्न रिपोर्टों से प्राप्त प्रमुख जानकारियाँ इस परिवर्तन का रोडमैप प्रस्तुत करती हैं।
रोजगार पर AI का प्रभाव
- सर्विसनाउ (ServiceNow)-पियर्सन AI स्किल्स रिसर्च 2025 रिपोर्ट के अनुमानों से पता चलता है कि AI 2030 तक भारत में 10.35 मिलियन से अधिक नौकरियों को नया रूप दे सकता है और 3 मिलियन नई तकनीकी भूमिकाएं पैदा कर सकता है।
- 2025 के ILO अध्ययन से पता चलता है कि AI से नौकरियों के लुप्त होने के बजाय उनमें वृद्धि होने की संभावना है।
- सेवा जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र ने वित्त वर्ष 24 में सकल घरेलू उत्पाद में 55% और रोजगार में 31% का योगदान दिया था। इस क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
- कौशल विकास की धीमी गति और दक्षताओं को कम अपनाने से, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्रों में, प्रभावी AI तैनाती में बाधा उत्पन्न होती है।
AI मार्ग: स्वचालन बनाम संवर्धन
- अर्थशास्त्री डारोन ऐसमोग्लू ने दो AI मार्गों पर प्रकाश डाला है:
- स्वचालन: मानव श्रमिकों को प्रतिस्थापित करना, कार्यकुशलता को बढ़ाना लेकिन नौकरी छूटने का जोखिम।
- संवर्धन: रोजगार को संरक्षित या विस्तारित करते हुए उत्पादकता में वृद्धि करना।
भारत को कौशल विकास को प्राथमिकता देकर, समावेशी बुनियादी ढांचे के माध्यम से असमानता को कम करके और उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर संवर्द्धन मार्ग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
सफलता की कहानियाँ और रणनीतियाँ
- AI संवर्धन के उदाहरण:
- टाटा स्टील: AI को-पायलट इंजीनियरों को सहयोग प्रदान करते हैं।
- इंफोसिस: बड़े पैमाने पर पुनः कौशलीकरण पहल।
- सीमेंस: उत्पादकता बढ़ाने के लिए जनरेटिव AI
- आजीवन सीखने पर ध्यान केंद्रित करना और शैक्षिक संस्थानों में डिजिटल दक्षताओं को शामिल करना आवश्यक है।
- शिक्षा-उद्योग-सरकार साझेदारी को मजबूत करना महत्वपूर्ण है।
AI इकोसिस्टम और बाजार प्रतिस्पर्धा
- ICRIER AI मार्केट्स एंड कॉम्पिटिशन रिपोर्ट में प्लेटफॉर्म-युग की विकृतियों और कुछ कंपनियों द्वारा बाजार में प्रभुत्व के खिलाफ चेतावनी दी गई है।
- खुले और प्रतिस्पर्धी बाजार सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित की आवश्यकता होगी:
- क्लाउड और एज कंप्यूटिंग तक प्रतिस्पर्धी पहुंच।
- खुले APIs और अंतर-संचालनीय प्रणालियाँ।
- AI मॉडल और स्थानीय उपकरणों का स्वदेशी विकास।
- सार्वजनिक निवेश को यूनिकॉर्न से आगे बढ़कर टिकाऊ उद्यमों को समर्थन देना चाहिए।
निष्कर्ष: समावेशी विकास के लिए एक प्रेरक शक्ति के रूप में AI
यद्यपि AI कुछ नौकरियों को समाप्त कर सकता है, लेकिन सही नीतिगत विकल्पों, संस्थागत समर्थन और बुनियादी ढांचे के साथ यह समावेशी विकास को बढ़ावा दे सकता है, जिससे MSMEs रोजगार-समृद्ध विकास के शक्तिशाली इंजन बन सकते हैं।