लाल सागर में समुद्र के नीचे केबल कट
एशिया और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में इंटरनेट की पहुँच में हाल ही में आई रुकावटों का संबंध लाल सागर में समुद्र के नीचे केबल कटने से है। यहाँ एक विस्तृत अवलोकन दिया गया है:
इंटरनेट कनेक्टिविटी पर प्रभाव
- इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के पास आमतौर पर ट्रैफ़िक को पुनर्निर्देशित करने के लिए कई एक्सेस पॉइंट होते हैं, यदि एक पॉइंट खराब हो जाता है, लेकिन इससे उपयोगकर्ताओं के लिए एक्सेस धीमा हो सकता है।
- माइक्रोसॉफ्ट ने फाइबर कटौती के कारण मध्य पूर्व में विलंबता में वृद्धि की सूचना दी है, हालांकि इस क्षेत्र से होकर न गुजरने वाला यातायात अप्रभावित रहता है।
- नेटब्लॉक्स ने इस बात पर प्रकाश डाला कि समुद्र के नीचे केबल की खराबी के कारण कनेक्टिविटी में गिरावट आई है, जिसका असर विशेष रूप से भारत और पाकिस्तान जैसे देशों पर पड़ा है।
प्रभावित केबल सिस्टम
- SMW4 (दक्षिण पूर्व एशिया-मध्य पूर्व-पश्चिमी यूरोप 4) केबल, जिसका प्रबंधन टाटा कम्युनिकेशंस द्वारा किया जाता है।
- IMEWE (भारत-मध्य पूर्व-पश्चिमी यूरोप) केबल, जिसका पर्यवेक्षण अल्काटेल सबमरीन नेटवर्क्स सहित एक संघ द्वारा किया जाता है।
सरकारों और निगमों की प्रतिक्रियाएं
- पाकिस्तान दूरसंचार ने सार्वजनिक बयान में केबल कटौती की बात स्वीकार की।
- सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सरकारों ने आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की, हालांकि UAE में उपयोगकर्ताओं ने राज्य के स्वामित्व वाले नेटवर्क पर धीमी इंटरनेट गति की सूचना दी।
- टाटा कम्युनिकेशंस और अल्काटेल सबमरीन नेटवर्क्स दोनों ने पूछताछ का जवाब नहीं दिया।
संभावित कारण और भू-राजनीतिक संदर्भ
- ये केबल कनेक्शन यमन के हूती विद्रोहियों के बीच चल रहे संघर्षों के समय में काटे गए हैं, जो गाजा में इज़राइल-हमास युद्ध को लेकर इज़राइल को निशाना बना रहे हैं।
- यद्यपि केबलों को जानबूझकर निशाना बनाए जाने की चिंताएं रही हैं, लेकिन हूथियों ने ऐसी कार्रवाइयों के इतिहास के बावजूद जिम्मेदारी से इनकार किया है।
- ऐतिहासिक संदर्भ में जहाजों पर पिछले हमले तथा हौथियों और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के बीच युद्ध विराम वार्ता शामिल है।
व्यापक भू-राजनीतिक निहितार्थ
- यह स्थिति मध्य पूर्व में तनाव को उजागर करती है, विशेष रूप से ईरान, इजरायल और अमेरिका के बीच, तथा परमाणु कार्यक्रम वार्ता भी अधर में लटकी हुई है।
- इस संघर्ष का प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय समुद्री और संचार अवसंरचना तक फैला हुआ है, जो क्षेत्रीय भू-राजनीतिक परिदृश्य की जटिलता को दर्शाता है।