ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना
ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना, नरेंद्र मोदी सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य ग्रेट निकोबार को हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री और हवाई संपर्क के एक महत्वपूर्ण केंद्र में बदलना है। इसमें एक अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल, एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा और एक गैस एवं सौर ऊर्जा आधारित बिजली संयंत्र सहित कई विकास पहलुओं को एकीकृत किया गया है।
परियोजना के प्रमुख घटक
- 14.2 मिलियन टीईयू क्षमता वाला अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (ICTT)।
- 450 MVA गैस और सौर-आधारित बिजली संयंत्र।
- ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा।
- यह टाउनशिप 16,610 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है।
पर्यावरणीय और जनजातीय विचार
- परियोजना का दावा है कि इससे निकोबारी और शोम्पेन जैसे स्थानीय जनजातीय समूहों और क्षेत्र की जैव विविधता को कोई खतरा नहीं होगा।
- निर्माण और संचालन चरणों के दौरान संभावित प्रभावों को कम करने के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और पर्यावरणीय प्रबंधन योजना (EMP) विकसित की गई।
- जोखिम मूल्यांकन तथा सुभेद्यता एवं आपदा प्रबंधन योजना पूरी कर ली गई है।
- वन्यजीव संरक्षण योजनाओं के लिए 81.55 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
जनजातीय कल्याण और परामर्श
- शोम्पेन और निकोबारी जनजातियों से संबंधित मुद्दों की देखरेख के लिए एक समिति स्थापित की गई है।
- यह परियोजना मौजूदा जनजातीय आबादी को विस्थापित नहीं करेगी, बल्कि उनके कल्याण और अखंडता को सुनिश्चित करेगी।
- जनजातीय कल्याण के लिए पर्याप्त बजटीय प्रावधान किए गए हैं, जो 2004 की जारवा नीति और 2015 की शोम्पेन नीति जैसी मौजूदा नीतियों के अनुरूप हैं।
- प्रयासों में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय और अन्य संबंधित निकायों के साथ परामर्श शामिल है।
भूमि आवंटन और पर्यावरणीय उपाय
- कुल 166.10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का विकास प्रस्तावित है, जिसका चरणबद्ध क्रियान्वयन 2025 से 2047 तक किया जाएगा।
- 73.07 वर्ग किलोमीटर जनजातीय आरक्षित भूमि को गैर-अधिसूचित किया जाएगा तथा 76.98 वर्ग किलोमीटर भूमि को पुनः अधिसूचित किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप जनजातीय आरक्षित क्षेत्र में शुद्ध वृद्धि होगी।
- इस परियोजना में 130.75 वर्ग किलोमीटर वन भूमि का परिवर्तन शामिल है, जो क्षेत्र के कुल वन क्षेत्र का 1.82% है।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपर्याप्त गैर-वन भूमि के कारण अन्य राज्यों में प्रतिपूरक वनरोपण किया जाएगा।
- स्थानीय जैव विविधता की सुरक्षा के लिए वन्यजीव गलियारे और अन्य पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय शामिल किए गए हैं।
सामरिक और राष्ट्रीय महत्व
- यह परियोजना सामरिक, रक्षा और राष्ट्रीय महत्व की है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी।
- इससे आर्थिक विकास में तेजी आने, रोजगार सृजन होने तथा पर्यावरणीय मानकों का पालन करते हुए समग्र विकास सुनिश्चित होने की उम्मीद है।
ग्रेट निकोबार परियोजना आर्थिक विकास और पारिस्थितिक संरक्षण के बीच संतुलन का उदाहरण है, जो यह सुनिश्चित करती है कि रणनीतिक और विकासात्मक हित पर्यावरण संरक्षण के अनुरूप हों।