हीटवेव और कार्बन उत्सर्जन
इस अध्ययन में प्रमुख जीवाश्म ईंधन कंपनियों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन के कारण हाल ही में आई भीषण गर्मी के विनाशकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है।
व्यापक हीटवेव
- 2023 में उत्तर प्रदेश के बलिया में भीषण गर्मी: कम से कम 68 मौतें।
- 2021 प्रशांत नॉर्थवेस्ट पर हीट डोम: सैकड़ों मौतें।
- 2003 में यूरोप में भीषण गर्मी: 30,000 मौतें।
10 सितम्बर को नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इन हीटवेव के साथ-साथ 210 अन्य हीटवेव का संबंध दुनिया की सबसे बड़ी जीवाश्म ईंधन कम्पनियों, जैसे- एक्सॉनमोबिल और शेवरॉन से होने वाले उत्सर्जन से है।
अध्ययन के निष्कर्ष
- अध्ययन में 2000 से 2023 तक की 213 हीटवेव का विश्लेषण किया गया।
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण 2000 और 2009 के बीच हीटवेव की संभावना 20 गुना अधिक हो गई तथा 2010 और 2019 के बीच 200 गुना अधिक हो गई।
- 213 हीटवेव में से 55 की संभावना वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण कम-से-कम 10,000 गुना अधिक थी।
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण 2000 से 2009 तक की हीटवेव 1.4°C अधिक गर्म थीं तथा 2010 से 2019 तक की हीटवेव 1.7°C अधिक गर्म थीं।
जीवाश्म ईंधन कंपनियों का प्रभाव
- शोध में 14 प्रमुख कंपनियों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम से कम 50 हीटवेव से जोड़ा गया है, जो जलवायु परिवर्तन के बिना नहीं होतीं।
- इन कम्पनियों के उत्सर्जन ने पूर्व-औद्योगिक काल से लेकर अब तक हीटवेव की तीव्रता में हुई वृद्धि में लगभग आधे का योगदान दिया है।
- सऊदी अरामको के उत्सर्जन से 51 हीटवेव की संभावना कम से कम 10,000 गुना बढ़ गयी है।
कानूनी महत्व
इन निष्कर्षों को जीवाश्म ईंधन कंपनियों को जलवायु संबंधी नुकसानों के लिए जवाबदेह ठहराने की कानूनी कार्यवाही में सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने फैसला दिया है कि देशों और कंपनियों को जलवायु प्रभावों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिससे मुआवज़े के दावों का रास्ता साफ़ हो गया है।
निष्कर्ष
यह अध्ययन प्रमुख कार्बन उत्सर्जकों और जलवायु परिवर्तन के बीच सीधे संबंध को रेखांकित करता है तथा इससे होने वाले नुकसान के लिए जवाबदेही और क्षतिपूर्ति की मांग को बल देता है।