तालिबान 2.0 के साथ भारत की कूटनीतिक भागीदारी
भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को पूर्ण राजनयिक मिशन में उन्नत करने की घोषणा की है, जो तालिबान 2.0 को संभावित मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उच्च स्तरीय बैठक
- विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नई दिल्ली में तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की।
- यह बैठक 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पहली उच्च स्तरीय बैठक है।
- मुत्ताकी ने तालिबान द्वारा एक राजनयिक की नियुक्ति तथा अंततः नई दिल्ली में एक राजदूत की नियुक्ति की योजना की घोषणा की।
क्षेत्रीय गतिशीलता और सुरक्षा
यह बैठक काबुल और इस्लामाबाद के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुई, जिसके मुख्य बिंदु इस प्रकार थे:
- अफगानिस्तान में पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से किये गए हमले।
- मुत्ताकी ने अफगानी लचीलेपन की परीक्षा लेने के विरुद्ध चेतावनी दी है, जिसमें सोवियत संघ, अमेरिका और नाटो के बीच हुए ऐतिहासिक संघर्षों का हवाला दिया गया है।
- अफगान क्षेत्र को किसी अन्य देश के खिलाफ इस्तेमाल न करने देने पर जोर दिया गया तथा पाकिस्तान के साथ बातचीत का आग्रह किया गया।
आतंकवाद-रोधी और शांति प्रयास
- दोनों देशों ने क्षेत्रीय आतंकवाद की निंदा की तथा शांति, स्थिरता और आपसी विश्वास के महत्व पर बल दिया।
- पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करने के लिए अफगानिस्तान को धन्यवाद दिया गया।
विकास और सहयोग पहल
- भारत निम्नलिखित परियोजनाओं के माध्यम से विकास सहायता बढ़ाने की योजना बना रहा है:
- काबुल में 30 बिस्तरों वाला एक अस्पताल, एक ऑन्कोलॉजी सेंटर और एक ट्रॉमा सेंटर।
- पक्तिका, खोस्त और पक्तिया में पाँच प्रसूति क्लीनिक।
- अतिरिक्त सहायता में 20 एम्बुलेंस, अफगान नागरिकों के लिए चिकित्सा उपचार तथा भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण में सहायता शामिल है।
रणनीतिक और आर्थिक सहयोग
- मुत्ताकी ने बगराम अड्डे को अमेरिका के लिए पुनः खोलने की संभावना से इनकार किया तथा इसके स्थान पर राजनयिक संबंधों का सुझाव दिया।
- ईरान के चाबहार बंदरगाह को भारत के साथ व्यापार के लिए महत्वपूर्ण बताया तथा संबंधित प्रतिबंधों को हटाने पर संभावित सहयोग पर प्रकाश डाला।
- जलविद्युत परियोजनाओं, व्यापार विस्तार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर सहयोग बढ़ाने के लिए समझौते, जिनमें क्रिकेट जैसे खेलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।