2035 के लिए जलवायु लक्ष्य और प्रतिबद्धताएँ
बेलेम में आगामी जलवायु वार्ता के साथ, केवल सीमित संख्या में देशों ने 2035 के लिए अपने जलवायु लक्ष्य प्रस्तुत किए हैं। यह सारांश इन प्रस्तुतियों की वर्तमान स्थिति और निहितार्थों पर प्रकाश डालता है।
वर्तमान प्रस्तुतियाँ और उत्सर्जन अवलोकन
- 193 देशों में से केवल 64 देशों ने ही 2035 के लिए अपने लक्ष्य प्रस्तुत किये हैं।
- ये देश वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का केवल 30% ही उत्सर्जन करते हैं।
- चीन, यूरोपीय संघ और भारत जैसे प्रमुख उत्सर्जकों ने अभी तक 2035 के लिए अपने लक्ष्य या राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) प्रस्तुत नहीं किए हैं।
पेरिस समझौते में 2025 का महत्व
- वर्ष 2025 पेरिस समझौते के कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की बढ़ती महत्वाकांक्षा में महत्वपूर्ण है।
- सितंबर के अंत तक 2035 NDCs प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि थी, ताकि संयुक्त राष्ट्र उत्सर्जन में कमी और संभावित तापमान वृद्धि का अनुमान लगा सके।
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान और रुझान
प्रस्तुतियों की धीमी गति के बावजूद, वैश्विक स्तर पर उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों में वृद्धि के साथ रुझान सकारात्मक बना हुआ है।
- अधूरे प्रस्तुतीकरण के कारण UNFCCC सामूहिक प्रभाव पर अनुमान प्रदान करने में असमर्थ रहा है।
- जलवायु नेताओं के शिखर सम्मेलन की घोषणाओं के साथ, 64 NDCs उत्सर्जन में कमी के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता का संकेत देते हैं।
अपेक्षित परिणाम और चुनौतियाँ
संयुक्त राष्ट्र जलवायु प्रमुख साइमन स्टील के अनुसार:
- 2019 की तुलना में 2035 तक वैश्विक उत्सर्जन में लगभग 10% की कमी आने की उम्मीद है।
- तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखने के लिए उत्सर्जन में 60% की कमी लाने की आवश्यकता है।
बहुपक्षवाद और भविष्य के कदम
स्टील ने जलवायु कार्रवाई में बहुपक्षवाद की भूमिका पर जोर दिया:
- उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से उत्सर्जन कम होने लगा है, हालांकि यह पर्याप्त गति से नहीं हो रहा है।
- विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए प्रयासों और संसाधन प्रावधान में वृद्धि करने का आग्रह किया गया।
वर्तमान NDCs का विश्लेषण
- संश्लेषण रिपोर्ट में 64 देशों के NDCs का विश्लेषण किया गया है।
- इन प्रतिबद्धताओं के परिणामस्वरूप 2035 तक उनके उत्सर्जन में सामूहिक रूप से 17% की कमी आएगी।