भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी रूपरेखा समझौता
भारत और अमेरिका ने एक रूपरेखा समझौते को औपचारिक रूप दिया है जो अगले दशक के लिए एक प्रमुख रक्षा साझेदारी की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। इस समझौते का उद्देश्य एशिया, अफ्रीका और हिंद महासागर क्षेत्र में साझेदारों के लिए क्षमता निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है।
समझौते के प्रमुख घटक
- वैश्विक चुनौतियाँ और सहयोग:
- अंतरिक्ष एवं मिसाइल रक्षा में संयुक्त प्रयास।
- सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार की रोकथाम।
- हथियारों के लिए निर्यात लाइसेंस अनुमोदन को प्राथमिकता देना।
- विकास संबंधी पहलें:
- रसद, रख-रखाव, मरम्मत और ओवरहाल के लिए एक केंद्र के रूप में भारत के लिए समर्थन।
प्रमुख नेताओं के वक्तव्य
- राजनाथ सिंह: भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में साझेदारी पर जोर दिया, रणनीतिक अभिसरण पर ध्यान केंद्रित किया और एक स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत को सुनिश्चित किया।
- पीट हेगसेथ: भारत को अमेरिकी रक्षा सहयोग के लिए एक प्राथमिकता वाला देश बताया तथा समन्वय, सूचना साझाकरण और तकनीकी सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।
फ्रेमवर्क का विजन और लक्ष्य
- रणनीतिक अभिसरण: यह रूपरेखा जून 2015 में हस्ताक्षरित पिछले समझौते के आधार पर अगले दशक के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करती है।
- रक्षा साझेदारी में वृद्धि: निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करते हुए सूचना साझाकरण और औद्योगिक सहयोग में साझेदारी को गति प्रदान करना:
- एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा करना।
- विभिन्न डोमेन में अंतर-संचालनीयता को मजबूत करना।
- क्वाड जैसे मंचों के माध्यम से सहयोग का विस्तार करना।
- सभी प्रकार के आतंकवाद को हराना।
सैन्य समन्वय और प्रतिक्रिया
- क्षेत्रीय खतरों और आपदाओं का त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए दोनों देशों की सेनाओं की क्षमता में वृद्धि करना।