रोवमारी-डोंडुवा आर्द्रभूमि: रामसर स्थल का दर्जा पाने का प्रयास
रौमारी-डोंडुवा आर्द्रभूमि, मध्य असम के नागांव जिले में 70.13 वर्ग किलोमीटर के लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्य में स्थित है, जो काजीरंगा बाघ अभयारण्य का हिस्सा है। संरक्षणवादी, वन्यजीव अधिकारी, शिक्षाविद और छात्र इसके पारिस्थितिक महत्व के कारण इसे रामसर स्थल घोषित करने की वकालत कर रहे हैं।
महत्व और जैव विविधता
- रामसर स्थल की परिभाषा: ईरान में 1971 में हस्ताक्षरित रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि।
- रोउमारी-डोंडुवा परिसर में प्रतिवर्ष औसतन 120 प्रजातियों के आवास और प्रवासी पक्षी दर्ज किए जाते हैं, जिनमें नॉब-बिल्ड डक , ब्लैक-नेक्ड स्टॉर्क और फेरुजिनस पोचार्ड जैसी वैश्विक रूप से संकटग्रस्त प्रजातियां शामिल हैं।
पारिस्थितिक महत्व
- लाओखोवा और बुरहाचापोरी वन्यजीव अभयारण्य काजीरंगा टाइगर रिजर्व और ओरंग राष्ट्रीय उद्यान के बीच वन्यजीवों के लिए संपर्क गलियारे के रूप में काम करते हैं।
भारत के रामसर स्थल
- भारत में 13.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 93 रामसर स्थल हैं, जो जैव विविधता और बाढ़ नियंत्रण जैसी महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी सेवाओं को बढ़ावा देते हैं।
- तमिलनाडु 20 रामसर स्थलों के साथ सबसे आगे है, उसके बाद उत्तर प्रदेश 10 के साथ दूसरे स्थान पर है।