AI मॉडल का प्रसार और अपनाना
हाल के वर्षों में दुनिया भर में AI मॉडलों का तेज़ी से विस्तार हुआ है, और निजी व्यक्तियों, कंपनियों और सरकारों द्वारा इन्हें अलग-अलग तरीकों से अपनाया गया है। भारत में, ये मॉडल अक्सर मुफ़्त या न्यूनतम लागत पर पेश किए जाते हैं, क्योंकि तकनीकी कंपनियाँ मॉडल प्रशिक्षण के लिए उपयोगकर्ता और डेटा एकत्र करना चाहती हैं।
AI मॉडल साझेदारी और सुलभता
- कई प्रौद्योगिकी कंपनियां दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ सहयोग करती हैं, जिससे उन्हें अनेक ग्राहकों तक पहुंच मिलती है।
- उदाहरण : गूगल चुनिंदा जियो उपयोगकर्ताओं को 18 महीने के लिए जेमिनी प्रो मुफ्त में उपलब्ध कराता है।
- उदाहरण : एयरटेल उपभोक्ता निःशुल्क पर्प्लेक्सिटी प्रो सदस्यता प्राप्त कर सकते हैं।
डेटा उपयोग और निहितार्थों पर चिंताएँ
- AI मॉडल द्वारा अपलोड किए गए डेटा और निकाले गए निष्कर्षों के संबंध में सरकार की चिंताएं।
- डेटा को "AI इंजन के लिए तेल" के रूप में देखना, वैश्विक फर्मों और भारत के लिए इसके निहितार्थ पर सवाल उठाना।
- प्रश्नों और कार्यों का संभावित दुरुपयोग, जैसे प्राथमिकताओं का मूल्यांकन करना या शक्तियों और कमजोरियों का आकलन करना।
- वित्त मंत्रालय ने आधिकारिक उपकरणों पर चैटजीपीटी और डीपसीक जैसे एआई उपकरणों के उपयोग के प्रति चेतावनी दी है।
तकनीकी राष्ट्रवाद और स्वदेशी विकास
- बढ़ते तकनीकी राष्ट्रवाद के बीच, चीन ने एआई डेटा केंद्रों में स्वदेशी चिप्स को अपनाने का आग्रह किया है।
- भारत के केंद्रीय आईटी मंत्री ने ज़ोहो के ऑफिस सुइट में स्थानांतरण की घोषणा की।
- सरकार की AI मिशन के तहत स्वदेशी भाषा मॉडल विकसित करने की पहल, जिसका उद्देश्य बाजार के विकल्पों को व्यापक बनाना है।
- उपयोगकर्ताओं की प्राथमिकता बेहतर नवाचार और सेवाएं प्रदान करने वाले प्लेटफार्मों की ओर अधिक होगी।
विनियमन और मानदंडों की आवश्यकता
AI मॉडल को अपनाने की दर में वृद्धि के साथ नियामक सुरक्षा स्थापित करना और बुनियादी मानदंडों का पालन करना महत्वपूर्ण है।