HIV/एड्स के खिलाफ भारत की लड़ाई
भारत ने व्यापक राष्ट्रीय रोकथाम और उपचार कार्यक्रमों के माध्यम से HIV/एड्स से निपटने में उल्लेखनीय प्रगति की है। राष्ट्रीय एड्स एवं यौन संचारित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) के अंतर्गत उपलब्धियों में 2010 से नए संक्रमणों में लगभग 50% की कमी, एड्स से संबंधित मौतों में 80% से अधिक की गिरावट, और उपचार प्राप्त लोगों में 97% से अधिक वायरल दमन शामिल हैं। देश ने डॉल्यूटग्रेविर-आधारित उपचारों को अपनाया है, जिससे यह उपचार प्रभावकारिता में वैश्विक अग्रणी देशों में शामिल हो गया है।
वर्तमान चुनौतियाँ
- सफलताओं के बावजूद, भारत में HIV महामारी का प्रसार बढ़ रहा है, तथा कुछ क्षेत्रों में इसके मामलों में वृद्धि देखी जा रही है।
- असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और पंजाब जैसे राज्यों में HIV के मामले बढ़ रहे हैं, जिसका मुख्य कारण इंजेक्शन द्वारा नशीली दवाओं का प्रयोग है।
- नशीली दवाओं का इंजेक्शन लेने वाले लोगों में HIV का प्रसार राष्ट्रीय औसत से 40 गुना अधिक है, तथा कुछ हॉटस्पॉट में इसमें अत्यधिक वृद्धि दर्ज की गई है।
- आकस्मिक या नियमित साथी से HIV संक्रमित व्यक्तियों में नए संक्रमण तेजी से हो रहे हैं, जो पारंपरिक प्रमुख आबादी से परे बदलाव का संकेत देता है।
- युवा जनसांख्यिकी, जिसमें 2.25 करोड़ किशोर प्रतिवर्ष 15-25 आयु वर्ग में प्रवेश करते हैं, जोखिमपूर्ण यौन व्यवहार और मादक द्रव्यों के सेवन के प्रति संवेदनशील बने रहते हैं।
NACP-VI में रणनीतिक बदलाव
NACP-VI का लक्ष्य सबसे साहसिक और सबसे दूरदर्शी HIV रणनीति बनना है, जो 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा मानकर उसे समाप्त करने के लिए एसडीजी 3.3 के साथ संरेखित है। यह चार प्रमुख बदलावों पर केंद्रित है:
- रोकथाम में बदलाव: पारंपरिक उच्च-जोखिम समूहों से आगे बढ़कर, एक-दूसरे से जुड़ी कमज़ोरियों को दूर करना। इसमें हॉटस्पॉट या सुपर-स्प्रेडर्स पर नज़र रखने के लिए एआई-संचालित स्व-जोखिम आकलन, वर्चुअल आउटरीच और रोग निगरानी का उपयोग शामिल है।
- शीघ्र पहचान और उपचार: आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) और टेलीमेडिसिन जैसे डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके शीघ्र निदान और उपचार में प्रतिधारण पर जोर देना।
- ऊर्ध्वाधर संचरण को समाप्त करना: जनसांख्यिकीय कारकों की परवाह किए बिना सार्वभौमिक जांच और उपचार के साथ हर गर्भवती महिला तक पहुंचना।
- कलंक का अंत: निदान और उपचार में बाधा डालने वाले कलंक का मुकाबला करना। HIV और एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 2017, कलंक-मुक्त वातावरण को बढ़ावा देता है।
भारत की प्रगति और भविष्य का दृष्टिकोण
भारत ने HIV महामारी की दिशा बदल दी है, एक पीढ़ी को इसके प्रभावों से बचाया है और आर्थिक विकास में योगदान दिया है। जीवंत जैव प्रौद्योगिकी और दवा उद्योग दवा, टीके और नैदानिक विकास के लिए सहायता प्रदान करता है। हालाँकि, HIV/एड्स को समाप्त करने के लिए अंतिम प्रयास के रूप में सामाजिक, डिजिटल और संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है।
NACP-VI तकनीकी रूप से आधुनिक, महामारी विज्ञान की दृष्टि से सटीक और सामाजिक रूप से आधारित रोडमैप प्रस्तुत करता है, जिसे मजबूत सरकारी प्रतिबद्धता और एक लचीली सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का समर्थन प्राप्त है।