महबूबाबाद जिले में इनोवेटिव स्कूल टॉयलेट समाधान
महबूबाबाद जिले के राजोले स्थित जिला परिषद हाई स्कूल (1947 में स्थापित) को लड़कों के लिए शौचालय की सुविधा की कमी से संबंधित एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। हालांकि, स्कूल में लगभग 200 छात्र पढ़ते हैं, जिनमें 80 लड़कियों के पास शौचालय की सुविधा है, लेकिन हाल ही तक लड़कों को खुले में ही शौच करना पड़ता था।
समस्या की पहचान
- निजी भूमि पर पेशाब करने के कारण डांटे जाने के बाद रोते हुए लौटे एक लड़के ने समाधान की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
कम लागत वाला अभिनव समाधान
- फिजिकल डायरेक्टर पिल्ली काशीनाथ ने पांच लीटर के प्लास्टिक तेल के डिब्बों का उपयोग करके अस्थायी यूरिनल के निर्माण का नेतृत्व किया।
- 2,000 रुपये के बजट से एक यूरिनल क्षेत्र बनाया गया। इसमें 10 पुन: उपयोग किए गए डिब्बे बच्चों के अनुकूल ऊंचाई पर लगाए गए।
- डिब्बों को क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर काट, निकास पाइपों के लिए टोंटी का कनेक्शन तथा एक नली और वाल्व का उपयोग करके एक फ्लश प्रणाली के साथ जोड़ा गया।
समुदाय और छात्रों की भागीदारी
- कक्षा 8 के छात्र कार्तिक, लोकेश और कोमाराम पुली ने अन्य छात्रों और शिक्षकों के साथ मिलकर इस परियोजना में योगदान दिया।
- एस्बेस्टस रूफ शीट, रेत और पत्थर जैसी सामग्रियों को स्कूल से ही लिया गया, जबकि पाइप ज्वाइंट्स और सीमेंट जैसी आवश्यक वस्तुएं खरीदी गईं।
तैयारी और शुरुआत
- इस सुविधा का उद्घाटन जिला शिक्षा अधिकारी ए. रविन्द्र रेड्डी ने मार्च में किया था और इसे स्थानीय मीडिया में कवरेज भी मिला था।
- स्कूल की योजना छत पर चादरें लगाने की है, ताकि बारिश के दौरान उनका उपयोग किया जा सके।
चिंतन और चुनौतियाँ
- प्रधानाध्यापक ए. रवि कुमार ने सरकारी हस्तक्षेप की प्रतीक्षा करने के बजाय स्वयं समाधान पर जोर दिया।
- आधिकारिक रिपोर्टों से पता चलता है कि नए शौचालयों के निर्माण को मंजूरी दी गई थी, लेकिन कार्यान्वयन के लिए कथित तौर पर धन उपलब्ध नहीं था।