अनियमित पेय: भारत में शराब नियंत्रण पर पुनर्विचार | Current Affairs | Vision IAS

Daily News Summary

Get concise and efficient summaries of key articles from prominent newspapers. Our daily news digest ensures quick reading and easy understanding, helping you stay informed about important events and developments without spending hours going through full articles. Perfect for focused and timely updates.

News Summary

Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat

अनियमित पेय: भारत में शराब नियंत्रण पर पुनर्विचार

15 min read

भारत में शराब की खपत

भारत में शराब की खपत बायोसाइकोसोशल, वाणिज्यिक और नीति-स्तरीय कारकों के जटिल संबंधों से प्रभावित होती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) से पता चलता है कि सुरक्षित सेवन सीमा शून्य मिलीलीटर होने के बावजूद 23% भारतीय पुरुष और 1% महिलाएँ शराब का सेवन करते हैं। भारत में अत्यधिक शराब पीने की दर बहुत अधिक है, जिसके कारण कई लोगों को नैदानिक ​​और सामाजिक सहायता की आवश्यकता होती है। शराब का सेवन विभिन्न स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों से जुड़ा हुआ है, जिसमें चोट लगना, मानसिक बीमारी, गैर-संचारी रोग और वित्तीय संकट शामिल हैं। 

बायोसाइकोसोशल कारक 

  • बायोलॉजिकल कारक: व्यसन के प्रति आनुवंशिक प्रवृत्ति और मस्तिष्क की रिवॉर्ड सिस्टम (reward system) का सक्रिय होना।
  • मनोवैज्ञानिक कारक: तनाव और चिंता से निपटने के लिए एक तंत्र के रूप में उपयोग करना।
  • सामाजिक कारक: शहरी जीवनशैली, साथियों का दबाव तथा मीडिया में शराब के सेवन को सामान्यीकृत करने वाले चित्रण। 

वाणिज्यिक कारक

  • शराब उद्योग ने अपनी पेशकश का विस्तार करते हुए इसमें फलों के स्वाद वाले स्पिरिट और पूर्व-मिश्रित कॉकटेल जैसे विभिन्न प्रकार के आकर्षक उत्पाद शामिल कर लिए हैं। 
  • मार्केटिंग रणनीतियों का उपयोग कर सरोगेट विज्ञापन, उत्पाद प्लेसमेंट और ब्रांड स्पॉन्सरशिप के माध्यम से विज्ञापन संबंधी प्रतिबंधों को दरकिनार कर दिया जाता हैं। 
  • 'हैप्पी ऑवर्स' जैसी रणनीतियाँ और सोशल मीडिया एल्गोरिदम शराब से संबंधित सामग्री को बढ़ावा देते हैं। 

नीति-स्तरीय कारक 

  • शराब उद्योग, उत्पाद शुल्क के माध्यम से राज्य के राजस्व में अपने योगदान को बढ़ा चढ़ा कर बताता है और विनियमन को प्रभावित करता है। 
  • शराब का विनियमन राज्य के अधिकार क्षेत्र में है, जिसके कारण कानूनों में भिन्नताएं हैं, कुछ राज्य निषेध लागू करते हैं, जबकि अन्य बिक्री को बढ़ावा देते हैं। 
  • कोई एकीकृत राष्ट्रीय नीति नहीं है; विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों द्वारा अलग अलग प्रयास किए जाते हैं।

शराब के सेवन का प्रभाव

  • 2021 में, शराब के उपयोग ने भारत में लगभग 2.6 मिलियन डिसेबिलिटी-एडजस्टेड लाइफ ईयर्स (DALYs) का योगदान दिया।  
  • शराब से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की सामाजिक लागत ₹6.24 ट्रिलियन आंकी गई है। 
  • पिछले दो दशकों में शराब की खपत में लगभग 240% की वृद्धि हुई है, जिसका अधिकांश हिस्सा दर्ज नहीं किया गया है। 

विनियामक चुनौतियाँ और सिफ़ारिशें

  • शराब से संबंधित मुद्दों के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय शराब नियंत्रण नीति आवश्यक है। 
  • सामर्थ्य, स्वास्थ्य करों के आवंटन, पहुंच, विज्ञापन विनियमन, आकर्षण में कमी और लोक जागरूकता पर केंद्रित प्रयास किए जाने चाहिए।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता डिजिटल सामग्री को विनियमित करने और शराब के बारे में गलत सूचना को दबाने में मदद कर सकती है। 

भारत में राष्ट्रीय शराब नियंत्रण नीति और कार्यक्रम की आवश्यकता पर बल दिया गया है, ताकि उद्योग के मुनाफे और राजस्व की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा सके।

  • Tags :
  • Alcohol Consumption
Subscribe for Premium Features