NISAR: नासा-इसरो सहयोग
राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का सिंथेटिक अपर्चर रडार, जिसे निसार के नाम से जाना जाता है, अमेरिका और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच पहला संयुक्त उपग्रह मिशन है।
लॉन्च विवरण
- इस उपग्रह को भू-तुल्कायलिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा।
- स्थान: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
- जीएसएलवी-एफ16 निसार को 98.40 डिग्री के झुकाव के साथ 743 किमी सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा में स्थापित करेगा।
तकनीकी निर्देश
2,392 किलोग्राम वजन वाला निसार उपग्रह, दोहरी आवृत्ति सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) युक्त एक अद्वितीय पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है:
- नासा का एल-बैंड
- इसरो का एस-बैंड
- इसमें नासा के 12 मीटर लंबे अनफर्लेबल मेश रिफ्लेक्टर एंटीना का उपयोग किया गया है, जो इसरो के संशोधित I3K सैटेलाइट बस के साथ एकीकृत है।
क्षमताओं
NISAR स्वीपSAR तकनीक का उपयोग करता है और उच्च स्थानिक रिज़ॉल्यूशन पर 242 किलोमीटर के दायरे से पृथ्वी का निरीक्षण कर सकता है। यह पूरे विश्व का स्कैन करता है और 12 दिनों के अंतराल पर सभी मौसमों, दिन और रात का डेटा प्रदान करता है। इसकी प्रमुख क्षमताओं में शामिल हैं:
- पृथ्वी की सतह में छोटे परिवर्तनों का पता लगाना
- भू-विरूपण, बर्फ की चादर की गति और वनस्पति गतिशीलता की निगरानी
- समुद्री बर्फ वर्गीकरण, जहाज का पता लगाने, तटरेखा निगरानी, तूफान लक्षण वर्णन में अनुप्रयोग
- मृदा की नमी में परिवर्तन पर नज़र रखना, सतही जल संसाधनों का मानचित्रण और निगरानी, आपदा प्रतिक्रिया
सहयोगात्मक प्रयास
NISAR परियोजना इसरो और नासा/जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला टीमों के बीच एक दशक के तकनीकी सहयोग का प्रतिनिधित्व करती है।