यह पहला ड्यूल फ्रीक्वेंसी रडार इमेजिंग मिशन है, जो भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग में एक प्रमुख मील का पत्थर है।
निसार (NISAR) के बारे में
- भू-प्रेक्षण उपग्रह (EOS): यह प्रत्येक 12 दिनों में द्वीपों और चयनित महासागरों सहित वैश्विक भूमि एवं बर्फ से ढकी सतहों की इमेजिंग करेगा। यह प्रत्येक 97 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा करेगा।
- वजन: 2,392 किलोग्राम।
- प्रक्षेपण यान: इसे इसरो के भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV)-F16 से प्रक्षेपित किया गया है।
- कक्षा: सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा।
- यह पहली बार है, जब GSLV रॉकेट को 743 किलोमीटर की सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (SSO) में उपग्रह स्थापित करने के लिए उपयोग किया गया है।
- सामान्यत: GSLV का उपयोग जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (कक्षा) में उपग्रह स्थापित करने के लिए किया जाता है। यह कक्षा पृथ्वी से 35,786 किमी ऊपर है।
- यह पहली बार है, जब GSLV रॉकेट को 743 किलोमीटर की सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (SSO) में उपग्रह स्थापित करने के लिए उपयोग किया गया है।
- इसकी प्रमुख विशेषताएं
- NISAR उपग्रह इसरो द्वारा विकसित I-3K स्पेसक्राफ्ट बस का उपयोग करके बनाया गया है।
- सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR): यह L (नासा) और S (इसरो) दोनों बैंड्स पर संचालित होने वाला ड्यूल बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार है।
- SAR एक उपकरण है, जो पृथ्वी की सतह से परावर्तित ऊर्जा को रिकॉर्ड करता है और रडार मोशन के माध्यम से हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज जनरेट करता है।
- यह अपने पथ में आने वाले विविध स्थानों से प्राप्त रडार संकेतों को प्रोसेस करता है, जिससे एक बड़ा "सिंथेटिक" एपर्चर बनता है।
- SAR एक उपकरण है, जो पृथ्वी की सतह से परावर्तित ऊर्जा को रिकॉर्ड करता है और रडार मोशन के माध्यम से हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज जनरेट करता है।
- स्वीप SAR तकनीक: इससे विस्तृत और अलग-अलग भूभाग की हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज ली जा सकती हैं।
- अपेक्षित मिशन उपयोग अवधि: कम-से-कम 5 वर्ष।
- ओपन-डेटा नीति: इस उपग्रह द्वारा एकत्रित जानकारी वैज्ञानिक समुदाय के लिए नि:शुल्क उपलब्ध होगी, जिससे विकासशील देशों को लाभ होगा।

सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (SSO) और ध्रुवीय कक्षा के बारे में
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