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नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार/ NISAR) उपग्रह को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया | Current Affairs | Vision IAS
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नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार/ NISAR) उपग्रह को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया

Posted 31 Jul 2025

1 min read

यह पहला ड्यूल फ्रीक्वेंसी रडार इमेजिंग मिशन है, जो भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग में एक प्रमुख मील का पत्थर है।

निसार (NISAR) के बारे में

  • भू-प्रेक्षण उपग्रह (EOS): यह प्रत्येक 12 दिनों में द्वीपों और चयनित महासागरों सहित वैश्विक भूमि एवं बर्फ से ढकी सतहों की इमेजिंग करेगा। यह प्रत्येक 97 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा करेगा।
  • वजन: 2,392 किलोग्राम। 
  • प्रक्षेपण यान: इसे इसरो के भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV)-F16 से प्रक्षेपित किया गया है।
  • कक्षा: सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा।  
    • यह पहली बार है, जब GSLV रॉकेट को 743 किलोमीटर की सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (SSO) में उपग्रह स्थापित करने के लिए उपयोग किया गया है।
      • सामान्यत: GSLV का उपयोग जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (कक्षा) में उपग्रह स्थापित करने के लिए किया जाता है। यह कक्षा पृथ्वी से 35,786 किमी ऊपर है। 
  • इसकी प्रमुख विशेषताएं
    • NISAR उपग्रह इसरो द्वारा विकसित I-3K स्पेसक्राफ्ट बस का उपयोग करके बनाया गया है। 
    • सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR): यह L (नासा) और S (इसरो) दोनों बैंड्स पर संचालित होने वाला ड्यूल बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार है। 
      • SAR एक उपकरण है, जो पृथ्वी की सतह से परावर्तित ऊर्जा को रिकॉर्ड करता है और रडार मोशन के माध्यम से हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज जनरेट करता है।
        • यह अपने पथ में आने वाले विविध स्थानों से प्राप्त रडार संकेतों को प्रोसेस करता है, जिससे एक बड़ा "सिंथेटिक" एपर्चर बनता है।
    • स्वीप SAR तकनीक: इससे विस्तृत और अलग-अलग भूभाग की हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज ली जा सकती हैं।
  • अपेक्षित मिशन उपयोग अवधि: कम-से-कम 5 वर्ष।
  • ओपन-डेटा नीति: इस उपग्रह द्वारा एकत्रित जानकारी वैज्ञानिक समुदाय के लिए नि:शुल्क उपलब्ध होगी, जिससे विकासशील देशों को लाभ होगा।

सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (SSO) और ध्रुवीय कक्षा के बारे में

  • सूर्य तुल्यकालिक कक्षा (SSO): सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा एक विशेष प्रकार की ध्रुवीय कक्षा है। इस कक्षा में स्थापित उपग्रह ध्रुवीय क्षेत्रों पर से गमन करते हुए, सूर्य के साथ समकालिक होता है। इसका अर्थ यह है कि उपग्रह हमेशा समान स्थानीय समय पर समान स्थान के ऊपर से गुजरता है।
  • ध्रुवीय कक्षा: यह निम्न भू-कक्षा (पृथ्वी से 2000 किमी से कम ऊंचाई) का एक प्रकार है .इसमें आमतौर पर 200 से 1000 किमी के बीच स्थापित उपग्रह की कक्षा पृथ्वी के एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव से होती हुई गुजरती है।
  • Tags :
  • GSLV
  • NISAR
  • निसार
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