यूके-भारत मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चिंताएं
भारत में बौद्धिक संपदा कानून के विशेषज्ञ और नागरिक समाज समूह यूके-भारत मुक्त व्यापार समझौते को लेकर चिंतित हैं। यह चिंता विशेष रूप से अनिवार्य लाइसेंसिंग मानदंडों और सस्ती दवाओं तक पहुंच पर इसके प्रभाव के संबंध में है।
अनिवार्य लाइसेंसिंग और सार्वजनिक हित
- भारतीय पेटेंट अधिनियम, जनहित में राष्ट्रीय आपात स्थितियों के दौरान जीवनरक्षक दवाओं के अनिवार्य लाइसेंसिंग की अनुमति देता है।
- यह प्रावधान घरेलू जेनेरिक निर्माताओं को आवश्यकता पड़ने पर आवश्यक दवाओं का उत्पादन और आपूर्ति करने में सक्षम बनाता है।
यूके-भारत FTA का संभावित प्रभाव
- FTA में ट्रिप्स-प्लस प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं, जो विश्व व्यापार संगठन के मानकों से अधिक होंगे तथा दवाओं तक पहुंच को जोखिम में डाल देंगे।
- FTA स्वैच्छिक लाइसेंसिंग पर जोर देता है, जो संभवतः भारत के अनिवार्य लाइसेंसिंग के अधिकार को कमजोर करता है।
भारत के पेटेंट सुरक्षा उपाय
- चिंताओं के बावजूद, FTA का उद्देश्य भारत की बौद्धिक संपदा व्यवस्था को सार्वजनिक स्वास्थ्य हितों के साथ संतुलित करना है।
- पेटेंट एवरग्रीनिंग को रोकने वाले भारत के महत्वपूर्ण प्रावधान, जैसे- भारतीय पेटेंट अधिनियम की धारा 3(d) बरकरार हैं।