तालिबान सरकार को रूस की मान्यता
3 जुलाई, 2025 को रूसी विदेश मंत्रालय ने औपचारिक रूप से अफगानिस्तान इस्लामिक अमीरात (IEA) सरकार को मान्यता दे दी, जो तालिबान के प्रति रूस के कूटनीतिक रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।
ऐतिहासिक संदर्भ और पिछले संबंध
- तालिबान के पहले शासन (1996-2001) के दौरान, रूस ने उन्हें शत्रुतापूर्ण माना और उनकी सरकार को मान्यता नहीं दी।
- वर्ष 2000 में तालिबान द्वारा चेचन गणराज्य इचकेरिया को मान्यता देने से संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो गये।
- रूस ने नॉर्दर्न अलायन्स का समर्थन किया तथा 9/11 के बाद अमेरिका के नेतृत्व वाले आतंकवाद विरोधी प्रयासों में शामिल हुआ।
रणनीतिक बदलाव
- 2010 के दशक में, रूस ने अफगानिस्तान में अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए तालिबान के साथ अनौपचारिक संपर्क शुरू किया, जिसका ध्यान सुरक्षा और IS-K तथा मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने पर था।
- संयुक्त राष्ट्र की ब्लैकलिस्ट में तालिबान के शामिल होने के बावजूद, रूस ने उन्हें मॉस्को फॉर्मेट और इंट्रा-अफगान सम्मेलनों में शामिल किया।
वर्तमान राजनयिक गतिशीलता
- IS-K द्वारा रूसी स्थलों पर आतंकवादी हमलों के बावजूद, रूस तालिबान को आतंकवाद के विरुद्ध संभावित सहयोगी के रूप में देखता है।
- रूस द्वारा IEA को मान्यता देना प्रतीकात्मक है, इससे कोई तत्काल लाभ या क्षेत्रीय प्रभाव में वृद्धि की गारंटी नहीं मिलती।
क्षेत्रीय निहितार्थ
- रूस की मान्यता से मध्य एशियाई देश और चीन भी ऐसा ही करने के लिए प्रभावित हो सकते हैं।
- तालिबान की सरकार की समावेशिता और मानवाधिकारों पर मास्को का रुख क्षेत्र के लिए एक व्यावहारिक मिसाल कायम कर सकता है।
भारत पर प्रभाव
- भारत तालिबान के साथ बिना किसी औपचारिक मान्यता के राजनयिक संबंध बनाए रखता है।
- नई दिल्ली कश्मीर में आतंकवाद के मुद्दे पर तालिबान के साथ खड़ी है तथा प्रत्यक्ष समर्थन के बजाय उससे जुड़ने को तरजीह दे रही है।