राष्ट्रपति के वक्तव्य के बीच अमेरिका-भारत संबंध
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के बारे में कई विवादास्पद टिप्पणियाँ कीं, जिन पर भारत में विदेश मंत्रालय (MEA) की ओर से कूटनीतिक प्रतिक्रिया आई हैं। उनकी टिप्पणियों में भारत-पाकिस्तान युद्धविराम का श्रेय खुद को देना, भारत को एक "मृत अर्थव्यवस्था" कहना, भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा करना और रूस के साथ भारत के संबंधों की आलोचना करना शामिल था।
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
- विदेश मंत्रालय ने भारत-अमेरिका साझेदारी की मजबूती और लचीलेपन पर प्रकाश डाला तथा साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और लोगों के बीच मजबूत संबंधों पर जोर दिया।
- भारत ने अमेरिका के साथ साझा किए गए "महत्वपूर्ण एजेंडे" के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर प्रगति करना है।
भारत-अमेरिका रक्षा संबंध
- विदेश मंत्रालय ने भारत और अमेरिका के बीच मजबूत और बढ़ती रक्षा साझेदारी को दोहराया, तथा 21वीं सदी के लिए भारत-अमेरिका समझौते के तहत आगे और विकास की संभावना का उल्लेख किया।
भारत-रूस संबंध और ऊर्जा सुरक्षा
- भारत ने रूस के साथ अपने ऊर्जा और रक्षा संबंधों का बचाव करते हुए कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं और रणनीतिक आकलन पर आधारित हैं।
- विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत की ऊर्जा खरीद बाजार की पेशकश और वैश्विक परिस्थितियों द्वारा निर्देशित होती है।
व्यापार संबंध और शुल्क
- भारत को कूटनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वह अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है, जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति भारत की व्यापार नीतियों की आलोचना कर रहे हैं।
- भारत निष्पक्ष एवं संतुलित व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध है।
कूटनीतिक रणनीतियाँ
- भारत का लक्ष्य संयम बनाए रखना तथा अमेरिका के साथ सार्वजनिक टकराव से बचना है।
- भारतीय वार्ताकारों को दीर्घकालिक कूटनीतिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी गई है।