भारत-अमेरिका संबंध पर एक नजर
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों को साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों और मज़बूत जन-जन संबंधों पर आधारित एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के रूप में वर्णित किया जाता है। विभिन्न परिवर्तनों और चुनौतियों के बावजूद यह साझेदारी विकसित और मज़बूत हुई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणियाँ
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय आयात पर 25% टैरिफ के साथ-साथ "प्लस पेनल्टी" की घोषणा की है।
- उन्होंने भारत के उच्च टैरिफ और गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाओं को व्यापार करने में बाधा बताया।
भारत के विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
- विदेश मंत्रालय ने भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती पर जोर दिया।
- इसमें भारत द्वारा 1998 में किए गए परमाणु परीक्षणों के बाद प्रतिबंधों और प्रौद्योगिकी बाधाओं जैसी पिछली चुनौतियों के बावजूद संबंधों की मजबूती का हवाला दिया गया।
- इसमें दोहराया गया कि भारत और रूस के बीच "स्थिर और समय-परीक्षित साझेदारी" है।
- इसमें द्विपक्षीय संबंधों के प्रति भारत के स्वतंत्र दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला गया तथा इस बात पर बल दिया गया कि इन्हें तीसरे देशों के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।
ब्रिक्स और ऊर्जा स्रोत
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने ब्रिक्स में भारत की भागीदारी की आलोचना की, जिसे अमेरिका विरोधी माना जाता है।
- रूस से ऊर्जा स्रोत के संबंध में विदेश मंत्रालय ने बाजार की उपलब्धता और राष्ट्रीय आवश्यकताओं के आधार पर भारत के व्यावहारिक दृष्टिकोण पर जोर दिया।
रक्षा और सैन्य साझेदारियां
- भारत ने अमेरिका के साथ एक मजबूत रक्षा साझेदारी विकसित की है।
- अमेरिका-भारत कॉम्पैक्ट पहल का उद्देश्य सैन्य साझेदारी, वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के लिए अवसरों को उत्प्रेरित करना है।
- विदेश मंत्रालय ने इस साझेदारी में और वृद्धि की संभावना पर टिप्पणी की।
- रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं द्वारा निर्देशित होती है।