अमेरिका की व्यापार नीति में बदलाव: चीन से भारत की ओर
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी व्यापार नीति का ध्यान चीन से हटाकर भारत पर केंद्रित कर दिया है, तथा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ में उल्लेखनीय वृद्धि कर दी है।
टैरिफ और व्यापार अधिशेष
- तीन महीनों में चीनी वस्तुओं पर टैरिफ 245% से घटकर 30% हो गया।
- एक नए कार्यकारी आदेश के तहत 28 अगस्त तक भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ दोगुना होकर 50% हो जाएगा।
- 2024 में अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष 49.5 बिलियन डॉलर होगा, जो चीन के अधिशेष का लगभग छठा हिस्सा होगा।
भारत की चुनौतियाँ और प्रतिक्रियाएँ
- व्यापार पर भारत का रुख, रूसी तेल खरीद, तथा भारत-पाकिस्तान के संबंध में ट्रम्प के शांति दावे तनाव के प्रमुख बिंदु हैं।
- भारत को रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता किए बिना अमेरिका की अपेक्षाओं को पूरा करना होगा।
संभावित रणनीतिक कदम
- ब्राजील के नेतृत्व में ब्रिक्स देश अमेरिका की टैरिफ नीतियों का मुकाबला करने के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण पर विचार कर रहे हैं।
- चीन को अमेरिकी रक्षा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी संसाधनों पर नियंत्रण के कारण अनुकूल शर्तें मिल सकती हैं।
ऊर्जा और कृषि संबंधी विचार
- भारत के तेल उद्योग ने रूसी कच्चे तेल के साथ तालमेल बिठा लिया है, जिससे कोई भी बदलाव राजनीतिक और व्यावसायिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो गया है।
- भारत स्थानीय किसानों के हितों को प्राथमिकता देते हुए अमेरिकी कृषि उत्पादों को खरीदने के दबाव का विरोध कर रहा है।
- संभावित रूप से प्रीमियम उत्पादों का आयात करने से स्थानीय किसानों को प्रभावित किए बिना नए बाजार खुल सकते हैं।
सामरिक स्वायत्तता और भू-राजनीतिक गतिशीलता
- भारत का लक्ष्य अमेरिका-चीन तनाव और जटिल अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बीच रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना है।
- ऐतिहासिक संदर्भ से पता चलता है कि चीन के साथ सीमा तनाव अक्सर अमेरिका-चीन कूटनीतिक प्रयासों के साथ मेल खाता है।