भारतीय वायु सेना की सामरिक बढ़त
भारतीय वायु सेना (IAF) लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों के अधिग्रहण और विकास के माध्यम से अपनी सामरिक क्षमताओं को सक्रिय रूप से बढ़ा रही है। यह भारत की हवाई प्रभुत्व और सामरिक प्रतिरोधक क्षमताओं को सुनिश्चित करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
हाल की उपलब्धियां और परिचालन सफलताएं
- भारतीय वायुसेना ने हाल ही में 300 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित एक निगरानी विमान को मार गिराकर एक रिकार्ड बनाया।
- ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस, स्कैल्प, रैम्पेज और क्रिस्टल मेज मिसाइलों जैसे लंबी दूरी की मिसाइलों के सफल प्रयोग का प्रदर्शन किया गया।
- इन हथियारों ने भारतीय वायुसेना को चीनी HQ-9 प्रणालियों जैसे दुश्मन की हवाई सुरक्षा को दरकिनार करते हुए 200 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक के लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम बनाया।
भविष्य की आवश्यकताएं और विकास
- 200 किलोमीटर से अधिक मारक क्षमता वाली हवा से जमीन और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें हासिल करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
- भारतीय वायुसेना ने डीआरडीओ से अस्त्र मिसाइल के लंबी दूरी वाले संस्करण के विकास में तेजी लाने का अनुरोध किया है।
- रूसी R-37 मिसाइल में रुचि दिखाई गई है, जो 200 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता के लिए जानी जाती है।
- डीआरडीओ के नेतृत्व में प्रोजेक्ट कुशा का लक्ष्य स्वदेशी लंबी दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली विकसित करना है।
- भारतीय वायुसेना रूसी S-400 ट्रायम्फ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के अतिरिक्त स्क्वाड्रन खरीदने की योजना बना रही है।
प्रभाव और रणनीतिक निवारण
- S-400 प्रणालियों की तैनाती ने पाकिस्तानी वायु सेना जैसे विरोधियों की परिचालन रणनीति को बदल दिया है।
- भविष्य की योजनाओं में अतिरिक्त राफेल लड़ाकू जेट और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हासिल करना शामिल है।
- ये कदम वायु सेना की हवाई श्रेष्ठता और सामरिक प्रतिरोध क्कोषमता बनाए रखने के लिए भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण प्रयासों का हिस्सा हैं।