संयुक्त ऋण व्यवस्था (JCM) पर भारत-जापान सहयोग ज्ञापन
भारत के प्रधानमंत्री ने टोक्यो में 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और जापान के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते की घोषणा की। दोनों देशों ने अगस्त 2025 में संयुक्त ऋण व्यवस्था (JCM) पर केंद्रित एक सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
JCM का अवलोकन
- जापानी पहल: JCM एक ऐसी योजना है जिसके तहत जापान विकासशील देशों में कम कार्बन प्रौद्योगिकियों में निवेश करता है तथा उत्सर्जन में कमी के लिए कार्बन क्रेडिट प्राप्त करता है।
- वैश्विक पहुंच: जापान के 30 अन्य देशों के साथ JCM समझौते हैं।
भारत के लिए लाभ
- निवेश और प्रौद्योगिकी प्रवाह: निम्न-कार्बन परियोजनाओं के लिए क्षमता निर्माण सहित निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करता है।
- घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र विकास: इसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी का स्थानीयकरण करना तथा उपकरणों, प्रणालियों और बुनियादी ढांचे में उच्च तकनीक हस्तक्षेप लागू करना है।
भारत की प्रतिबद्धताओं के साथ संरेखण
- ग्रीनहाउस गैस न्यूनीकरण: सतत विकास में योगदान देने वाली जीएचजी न्यूनीकरण परियोजनाओं को सुगम बनाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार: पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.2 के तहत कार्बन क्रेडिट के व्यापार की अनुमति देता है, जो भारत के NDCs के साथ संरेखित है।
भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs)
- 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करना (2005 के स्तर से)।
- 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% विद्युत ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना।
- वनरोपण के माध्यम से 2030 तक 2.5-3 बिलियन टन CO2 समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करना।
राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (NDA)
- भूमिका: परियोजनाओं को मंजूरी देने, उत्सर्जन में कमी का मूल्यांकन करने और भारतीय कार्बन बाजार की देखरेख करने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करना।
भविष्य की कार्रवाइयाँ
- कार्यान्वयन के नियम: केंद्रीय मंत्रिमंडल को अनुच्छेद 6.2 के तहत अन्य देशों के साथ नियमों और समझौतों को अंतिम रूप देने के लिए अधिकृत किया गया।
- परामर्श प्रक्रिया: इसमें संबंधित भारतीय मंत्रालय और विदेश मंत्रालय शामिल होते हैं।