मत्स्य पालन सब्सिडी पर विश्व व्यापार संगठन समझौता
अत्यधिक मत्स्यन को कम करने के उद्देश्य से विश्व व्यापार संगठन (WTO) समझौता सोमवार को लागू हो गया। यह समझौता देशों को समुद्री वन्यजीवों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मछली पकड़ने वाले बेड़े को दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती करने का निर्देश देता है।
प्रमुख विशेषताएँ
- उद्देश्य: अत्यधिक मत्स्यन के कारण मछली भंडार में होने वाली कमी को सीमित करना।
- महत्व: विश्व व्यापार संगठन द्वारा महासागरीय स्थिरता और पर्यावरण पर केंद्रित पहला बहुपक्षीय समझौता।
- अनुमोदन: यह 112 देशों से अनुमोदन के बाद प्रभावी हुआ, जो कि WTO के 166 सदस्यों के आवश्यक दो-तिहाई से थोड़ा अधिक है।
भाग लेने वाले और भाग नहीं लेने वाले लेने वाले देश
- हस्ताक्षरकर्ता: चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देश।
- भारत और इंडोनेशिया।
वित्तीय और पर्यावरणीय प्रभाव
- सब्सिडी में कमी: यह समझौता 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वैश्विक सब्सिडी में से कुछ को विनियमित करेगा, जो मछली भंडार की कमी को बढ़ावा देती है।
- कार्यान्वयन सहायता: समझौते के कार्यान्वयन में विकासशील देशों की सहायता के लिए एक "फिश फंड" बनाया जाएगा।
वर्तमान और भविष्य के पहलू
- वर्तमान फोकस: वर्तमान चरण का उद्देश्य अवैध मछली पकड़ने और अत्यधिक मत्स्यन वाले स्टॉक के लिए सब्सिडी को लक्षित करना है।
- लंबित चरण: अंतिम रूप दिए जाने की प्रतीक्षा में, दूसरे चरण में बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने के उद्योग में अतिरिक्त क्षमता को बढ़ाने वाली सब्सिडी पर ध्यान दिया जाएगा।
विशेषज्ञों की राय
- अत्यधिक मत्स्यन की चिंता: विशेषज्ञों का कहना है कि मछलियों की संख्या में कमी आ रही है तथा वैश्विक स्टॉक का 38% अत्यधिक मत्स्यन के कारण समाप्त हो गया है।
- दीर्घकालिक दृष्टिकोण: इस समझौते को एक ऐसे आधार के रूप में देखा जा रहा है जिसे अत्यधिक मत्स्यन और अत्यधिक क्षमता से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए और अधिक विकास की आवश्यकता है।