भारत का रक्षा विनिर्माण परिवर्तन
भारत ने आयातित रक्षा उपकरणों पर अपनी निर्भरता काफी कम कर दी है और अब 65% उत्पादन घरेलू स्तर पर ही हो रहा है। लक्ष्य इसे बढ़ाकर 100% करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी सशस्त्र बलों के उपकरण स्थानीय स्तर पर ही बनाए जाएँ।
उत्पादन लाइनों का उद्घाटन
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नासिक में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस MK1A के लिए तीसरी उत्पादन लाइन और हिंदुस्तान टर्बो ट्रेनर-40 (HTT40) के लिए दूसरी लाइन का उद्घाटन किया।
- इस सुविधा में निर्मित पहले LCA को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया तथा इसकी पहली सार्वजनिक उड़ान संचालित की गई।
नीतिगत परिवर्तन और निजी क्षेत्रक की भागीदारी
- रक्षा विनिर्माण में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए नीतिगत परिवर्तन किए जा रहे हैं।
- प्रस्तावों में रक्षा अनुबंधों के लिए विदेशी कंपनियों की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों को भारतीय कंपनियों के समान माना जाना शामिल है।
नासिक सुविधा का संक्रमण
- नासिक संयंत्र, जो ऐतिहासिक रूप से रूसी मूल के मिग और सुखोई विमानों का उत्पादन करता रहा है, अब एलसीए और HTT40 जैसे स्वदेशी प्लेटफार्मों पर केंद्रित है।
- नये विमान इंजन अमेरिकी कम्पनियों से प्राप्त किये गये हैं - एलसीए के लिए जीई तथा HTT40 के लिए हनीवेल।
रणनीतिक लक्ष्य
- भारत का लक्ष्य विदेशी निर्भरता को कम करना तथा आत्मनिर्भरता के लिए प्रौद्योगिकी तक पहुंच बनाना है।
- लक्ष्यों में 2029 तक रक्षा विनिर्माण को 3 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाना और निर्यात को 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाना शामिल है।
राष्ट्रीय सुरक्षा में एचएएल की भूमिका
- ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु सेना (IAF) को परिचालन सहायता प्रदान करने तथा लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए HAL की सराहना की गई।
- उल्लेखनीय प्रयासों में सुखोई 30MKI लड़ाकू विमानों में ब्रह्मोस मिसाइलों को एकीकृत करना शामिल है, जो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा उपकरण बनाने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करता है।