सऊदी अरब में कफ़ाला प्रणाली का अंत
सऊदी अरब ने अपने लंबे समय से चले आ रहे कफ़ाला प्रणाली , जो एक विवादास्पद श्रम प्रायोजन मॉडल था, को समाप्त करने की घोषणा की है।
- इस सुधार का अनावरण जून 2025 में किया गया और इससे लगभग 13 मिलियन विदेशी श्रमिकों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिनमें 2.6 मिलियन से अधिक भारतीय शामिल हैं।
सऊदी अरब की कफ़ाला प्रणाली क्या थी?
कफाला प्रणाली, जिसका अरबी में अर्थ "प्रायोजन" होता है, में स्थानीय नियोक्ता या कफील, विदेशी कर्मचारी के वीजा और निवास की कानूनी जिम्मेदारी लेता था।
- 1950 के दशक में तेल उछाल के दौरान विदेशी श्रम प्रवाह को प्रबंधित करने के लिए इसकी शुरुआत की गई थी।
कफाला प्रणाली को अपमानजनक क्यों माना गया?
समय के साथ यह व्यवस्था शोषण और असंतुलन का पर्याय बन गई।
- नियोक्ता अक्सर पासपोर्ट जब्त कर लेते थे, वेतन में देरी करते थे और यात्रा पर प्रतिबंध लगा देते थे।
- श्रमिक अपने प्रायोजक की सहमति के बिना नौकरी नहीं बदल सकते थे या देश नहीं छोड़ सकते थे।
- मानवाधिकार समूहों ने इसकी तुलना "आधुनिक दासता" से की है, जो विशेष रूप से घरेलू कामगारों को प्रभावित करती है।
सऊदी अरब में विदेशी श्रम पर निर्भरता
सऊदी अरब का कार्यबल काफी हद तक प्रवासियों पर निर्भर है, जिसमें लगभग 42% विदेशी श्रमिक हैं।
- इनमें से अधिकांश भारत, बांग्लादेश, नेपाल और फिलीपींस जैसे देशों से आते हैं।
कफ़ाला प्रणाली का उन्मूलन
यह निर्णय कतर के श्रम सुधारों और विजन 2030 से प्रभावित अंतर्राष्ट्रीय जांच और क्षेत्रीय बदलावों के बाद लिया गया है।
- विज़न 2030 का उद्देश्य समाज का आधुनिकीकरण और अर्थव्यवस्था में विविधता लाना है।
प्रवासी श्रमिकों के लिए परिवर्तन
नई प्रणाली अनुबंध आधारित होगी।
- श्रमिक नियोक्ता की मंजूरी के बिना नौकरी बदल सकते हैं और बिना निकासी वीजा के देश छोड़ सकते हैं।
- दुर्व्यवहार की रिपोर्ट करने के लिए श्रम न्यायालयों और शिकायत प्लेटफार्मों तक पहुंच का विस्तार किया गया।
भारतीय श्रमिकों पर प्रभाव
यह सुधार निर्माण और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में भारतीयों के लिए रोजगार के अनुभव को बदल सकता है।
- भारत का विदेश मंत्रालय भारतीय श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सऊदी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।