एच-1बी वीज़ा आवेदकों पर अमेरिकी नीति का प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीज़ा आवेदकों पर 1,00,000 डॉलर का शुल्क लगाने का आदेश वैश्विक प्रतिभाओं के लिए ख़तरा है और अमेरिकी प्रयोगशालाओं और स्टार्टअप्स से प्रतिभा पलायन का कारण बन सकता है। इन उपायों से कंपनियों की परिचालन लागत बढ़ती है और विशिष्ट कौशल तक पहुँच सीमित होती है, जिससे नवाचार में बाधा आती है।
भारत के लिए निहितार्थ
- अमेरिका के सामने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के कारण प्रौद्योगिकी और उद्यमशीलता में अपना नेतृत्व खोने का खतरा है, जबकि आगामी दशकों में वैश्विक विकास में दो-तिहाई योगदान ग्लोबल साउथ का होगा।
- इससे भारत के लिए कुशल पेशेवरों, वरिष्ठ चिकित्सकों, तकनीकी विशेषज्ञों और संस्थापकों को आकर्षित करने का अवसर पैदा होता है।
भारत में प्रतिभाओं को आकर्षित करने की आवश्यकताएं
- भारत को ऐसे शहरों का विकास करने की आवश्यकता है, जो गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छ हवा और पानी, विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन, किफायती आवास, विश्व स्तरीय अनुसंधान संस्थान और पूर्वानुमानित विनियमन प्रदान करें।
भारतीय शहरी विकास के लिए चुनौतियाँ और रणनीतियाँ
- वर्तमान में, 15 भारतीय शहर भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 30% का योगदान करते हैं। इन शहरों में सुधार से विकास को बढ़ावा मिल सकता है और भारत को 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
- चुनौतियों में वायु प्रदूषण, जल की कमी, शहरी बाढ़, कचरा संचय और शासन संबंधी मुद्दे शामिल हैं।
- प्रस्तावित समाधानों में शामिल हैं:
- प्रदूषण से निपटने के लिए सार्वजनिक परिवहन का विद्युतीकरण और निर्माण से उत्पन्न होने वाली धूल का सख्त नियमन।
- अपशिष्ट प्रबंधन: केवल 25% ठोस अपशिष्ट का ही वैज्ञानिक रूप से प्रसंस्करण किया जाता है; बुनियादी ढांचे और जवाबदेही नीतियों में निवेश महत्वपूर्ण है।
- जल प्रबंधन: बड़े पैमाने पर जल पुन: उपयोग और बेहतर संचरण दक्षता के माध्यम से तीव्र जल की कमी का समाधान करना।
- शहरी नियोजन: शहरों के प्रसार को कम करने और भूमि उपयोग में सुधार करने के लिए फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) में वृद्धि करना।
सफल मॉडल और भविष्य की संभावनाएँ
इंदौर का उदाहरण: कुशल अपशिष्ट प्रबंधन और जल लचीलापन अन्य शहरों के लिए एक मॉडल है।
भारत का शहरीकरण समृद्धि के लिए बेहद ज़रूरी है। 2030 तक, 35 करोड़ लोग शहरों की ओर रुख करेंगे और 2036 तक शहरी विकास, जनसंख्या वृद्धि का 73% हिस्सा होगा।
निष्कर्ष: भारत को वैश्विक आर्थिक नेता बनने और अपने नागरिकों के लिए उच्च गुणवत्ता वाला जीवन सुनिश्चित करने के लिए सतत शहरीकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए।