भारत में निवेश और आर्थिक विकास
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के अध्यक्ष एस महेंद्र देव ने कहा कि निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
वर्तमान आर्थिक स्थितियाँ
- भारत की निवेश दर वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद का 31-32% है।
- 7% की विकास दर हासिल करने के लिए इसे सकल घरेलू उत्पाद के 34-35% तक बढ़ाने की आवश्यकता है।
- निजी क्षेत्र की कंपनियां ऋण मुक्त हैं और उनके पास पर्याप्त नकदी भंडार है, लेकिन निवेश में अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है।
निर्यात का महत्व
- भारत जैसे उभरते बाजारों को उच्च आर्थिक विकास दर बनाए रखने के लिए मजबूत निर्यात वृद्धि की आवश्यकता है।
- भारत का निर्यात सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20% है, जबकि घरेलू मांग अर्थव्यवस्था का 80% है।
- उच्च टैरिफ के जवाब में रणनीतियों में निर्यात में विविधता लाना, मुक्त व्यापार समझौतों में तेजी लाना, तथा अमेरिका जैसे प्रमुख व्यापार साझेदारों के साथ बातचीत करना शामिल है।
सरकार की भूमिका और पूंजीगत व्यय
- सरकारी पूंजीगत व्यय बढ़ रहा है, जिसका अर्थव्यवस्था पर गुणात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
- निवेश का वित्तपोषण घरेलू बचत और विदेशी निवेश के माध्यम से किया जाता है; घरेलू बचत को बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विनिर्माण क्षेत्र की चुनौतियाँ
- अधिक श्रम को अवशोषित करने के लिए श्रम-प्रधान विनिर्माण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना।
- विनिर्माण क्षेत्र में "लापता मध्य" की समस्या का समाधान करना, जहां पर्याप्त मध्यम आकार की कंपनियों का अभाव है।
- कई कम्पनियां छोटी हैं, जिनमें से अधिकांश 10 से भी कम कर्मचारियों के साथ काम करती हैं।
भविष्य का आर्थिक दृष्टिकोण
- अनुमान है कि 2043 तक विश्व सकल घरेलू उत्पाद में भारत की हिस्सेदारी 25% होगी।
- कम मुद्रास्फीति, ब्याज दरों में कटौती, तथा पूंजीगत व्यय में वृद्धि और कर सुधार जैसे राजकोषीय उपायों से मांग और निवेश में वृद्धि होने की उम्मीद है।