रीसस मैकाक संरक्षण की बहाली
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (SC-NBWL) की स्थायी समिति ने रीसस मैकाक प्रजाति के बंदरों के संरक्षण के संबंध में एक महत्वपूर्ण सिफारिश पेश की है।
अनुशंसा विवरण
- सिफारिश में रीसस मैकाक को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची II के अंतर्गत पुनः शामिल करने की वकालत की गई है।
- इसका उद्देश्य वैधानिक संरक्षण को बढ़ाना, अवैध कब्जे और क्रूरता के विरुद्ध नियमों को लागू करना तथा प्रजातियों के वैज्ञानिक प्रबंधन को सक्षम बनाना है।
- इस परिवर्तन के लिए मुख्य अनुरोध भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और भारतीय पशु संरक्षण संगठन महासंघ की ओर से आए।
औचित्य और विचार-विमर्श
- जिन राज्यों में यह प्रजाति प्रचलित है, वहां के आंतरिक विचार-विमर्श और विचारों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
- पर्यावरण मंत्रालय ने संघर्षरत वन्यजीव प्रजातियों से निपटने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा 11 के तहत राज्यों को दी गई शक्तियों पर प्रकाश डाला।
- भूपेन्द्र यादव ने स्थल-विशिष्ट प्रबंधन और संरक्षण योजनाओं की आवश्यकता पर बल दिया।
समर्थन और विरोध करने वाले राज्य
- इनसे से समर्थन:
- सदस्य सचिव, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण
- सदस्य सचिव, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
- मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य
- विरोध:
- असम, राजस्थान, मेघालय, उत्तर प्रदेश, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य
- विरोध के कारणों में प्रजातियों की गैर-संकटग्रस्त स्थिति और संघर्ष प्रबंधन संबंधी चिंताएं शामिल हैं।
कार्यान्वयन और भविष्य के कदम
- राज्य सरकारों को विस्तृत, स्थल-विशिष्ट शमन योजनाएं बनाने का कार्य सौंपा गया है।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान से प्राप्त जानकारी के आधार पर एक आधारभूत अध्ययन विकसित करना।
- यह मामला पहले नीतिगत सलाह के लिए 85वीं SC-NBWL बैठक में रखा गया था।