निर्यात संवर्धन मिशन (EPM)
केंद्रीय मंत्रिमंडल समिति ने 25,060 करोड़ रुपये के परिव्यय और निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना के विस्तार हेतु 20,000 करोड़ रुपये के निधि आवंटन के साथ छह वर्षीय निर्यात संवर्धन मिशन (EPM) को मंजूरी दी।
प्रमुख विशेषताऐं
- वैश्विक टैरिफ वृद्धि से प्रभावित क्षेत्रों को प्राथमिकता सहायता, जिसमें वस्त्र, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पाद शामिल हैं।
- ब्याज समकारी योजना (IES) और बाजार पहुंच पहल (MAI) जैसी निर्यात सहायता योजनाओं का समेकन।
- इसका उद्देश्य निर्यात ऑर्डर को बनाए रखना, नौकरियों की सुरक्षा करना तथा नए भौगोलिक क्षेत्रों में विविधीकरण को समर्थन देना है।
कार्यान्वयन अवधि
यह मिशन वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक चलेगा, जिसका लक्ष्य निर्यात संवर्धन के लिए एक व्यापक, लचीला और डिजिटल रूप से संचालित ढांचा तैयार करना है।
रणनीतिक बदलाव
- अनेक खंडित योजनाओं से एकल, परिणाम-आधारित और अनुकूली तंत्र में परिवर्तन।
- रूपरेखा को अंतिम रूप देने में विभिन्न सरकारी निकायों और उद्योग संघों की भागीदारी।
उप-योजनाओं
- निर्यात प्रोत्साहन: ब्याज अनुदान, निर्यात फैक्टरिंग और ऋण वृद्धि सहायता के माध्यम से MSME के लिए किफायती व्यापार वित्त पर ध्यान केंद्रित करता है।
- निर्यात दिशा: निर्यात गुणवत्ता समर्थन, अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडिंग और व्यापार खुफिया पहल जैसे गैर-वित्तीय सक्षमताओं पर जोर देती है।
उद्देश्य
- MSME के लिए व्यापार वित्त की सुविधा प्रदान करना।
- भारतीय उत्पादों के लिए निर्यात तत्परता और बाजार पहुंच को बढ़ाना।
- गैर-परंपरागत जिलों और क्षेत्रों से निर्यात को बढ़ावा देना।
- विनिर्माण, रसद और संबद्ध सेवाओं में रोजगार सृजन करना।
निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (CGSE)
MSME सहित पात्र निर्यातकों के लिए 20,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त ऋण सुविधाओं के लिए सदस्य ऋणदाता संस्थानों को राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड द्वारा 100% ऋण गारंटी प्रदान करने को मंजूरी दी गई।
फ़ायदे
- भारतीय निर्यातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि।
- नये बाजारों में विविधीकरण का समर्थन करता है।
- संपार्श्विक-मुक्त ऋण पहुंच को सुगम बनाता है, तरलता को मजबूत करता है।
- 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात लक्ष्य और आत्मनिर्भर भारत पहल में योगदान।
निर्यात संवर्धन के कारण
- वित्त वर्ष 2025 तक निर्यात सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 21% का योगदान देता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- निर्यातोन्मुख उद्योगों में 45 मिलियन से अधिक लोग कार्यरत हैं।
- भारत से कुल निर्यात में MSME का हिस्सा लगभग 45% है।
- सतत निर्यात वृद्धि भारत के चालू खाता संतुलन और व्यापक आर्थिक स्थिरता को समर्थन प्रदान करती है।