जलवायु जोखिम सूचकांक रिपोर्ट - भारत
जर्मनवाच की नवीनतम जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 30 वर्षों में जलवायु संबंधी आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित देशों में भारत 9वें स्थान पर है।
रैंकिंग में बदलाव
- 2023 में पिछली रैंक: 8वीं
- वर्तमान रैंक: 9वीं
- वार्षिक सूचकांक में 2023 में 10वें स्थान से अब 15वें स्थान तक सुधार देखा गया है, जो संभावित लचीलेपन में सुधार का संकेत देता है।
वैश्विक और राष्ट्रीय प्रभाव
- वैश्विक स्तर पर, 1995 से 2024 तक चरम मौसम के कारण 8.32 लाख लोगों की जान चली गई।
- भारत में 80,000 मौतें दर्ज की गईं, जो वैश्विक मृत्यु संख्या का 9.6% है।
आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव
- पिछले तीन दशकों में भारत ने सूखा, चक्रवात, लू और बाढ़ सहित 430 चरम मौसम की घटनाओं का अनुभव किया है।
- इन घटनाओं के परिणामस्वरूप 170 बिलियन अमरीकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।
उल्लेखनीय चरम मौसम घटनाएँ
- 1998 गुजरात चक्रवात और 1999 ओडिशा चक्रवात।
- चक्रवात हुदहुद (2014) और अम्फान (2020)।
- 1993 उत्तरी भारत बाढ़, उत्तराखंड बाढ़ (2013), और 2019 में गंभीर बाढ़।
- 1998, 2002, 2003 और 2015 जैसे वर्षों में 50°C से अधिक तापमान वाली गर्म लहरें।