कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर वैश्विक समझौता
जोहान्सबर्ग में जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री द्वारा "कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर वैश्विक समझौते" का आह्वान, AI के तीव्र विस्तार और इससे जुड़े जोखिमों के प्रबंधन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।
प्रधानमंत्री द्वारा उठाई गई प्रमुख चिंताएँ
- मानवीय निगरानी: AI प्रणालियों पर मजबूत मानवीय निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- सुरक्षा-द्वारा-डिज़ाइन प्रणालियाँ: सुरक्षा को प्राथमिकता के रूप में रखकर डिज़ाइन की गई प्रणालियों की वकालत करना।
- पारदर्शिता: AI संचालन और निर्णय लेने में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- हानिकारक उपयोगों पर प्रतिबंध: डीपफेक, आपराधिक और आतंकवादी गतिविधियों में AI पर सख्त प्रतिबंध लगाने का आह्वान।
इन चिंताओं की तात्कालिकता इस पूर्वानुमान से उजागर होती है कि अगले वर्ष तक लगभग 90% ऑनलाइन सामग्री AI द्वारा निर्मित हो सकती है, जिससे गलत सूचना का खतरा बढ़ जाएगा।
बहुपक्षीय समन्वय प्रयास
वैश्विक स्तर पर AI शासन को समन्वित करने के प्रयास चल रहे हैं:
- संयुक्त राष्ट्र ने सुरक्षित और भरोसेमंद AI प्रणालियों के लिए “AI गवर्नेंस पर वैश्विक संवाद” शुरू किया है।
- भारत के AI गवर्नेंस दिशा-निर्देश सुरक्षा, जवाबदेही, पारदर्शिता और जिम्मेदार नवाचार पर जोर देते हैं।
वैश्विक AI शासन में चुनौतियाँ
प्रभावी AI नियम स्थापित करने में दुनिया को कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है:
- खराब प्रतिनिधित्व: 100 से अधिक देश, विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण में, प्रमुख AI शासन पहलों का हिस्सा नहीं हैं।
- कमजोर समन्वय: विभिन्न देशों और संगठनों द्वारा विविध और अक्सर परस्पर विरोधी AI नियम बनाए जाते हैं।
- सीमित कार्यान्वयन: चुनौतियों में क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए अनुकूलन शामिल हैं।
प्रस्तावित समाधान
इन चुनौतियों से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय प्रस्तावित हैं:
- उच्च जोखिम वाली AI प्रणालियों के लिए साझा सुरक्षा मानकों और स्वतंत्र ऑडिट की स्थापना करना।
- पारदर्शी डेटा प्रथाओं को लागू करना और हानिकारक AI उपयोगों पर सख्त प्रतिबंध लगाना।
- विकासशील देशों को ओपन-सोर्स मॉडल और किफायती कंप्यूटिंग संसाधनों तक पहुंच प्रदान करना।
भारत की भूमिका और अवसर
आगामी AI इम्पैक्ट समिट के मेज़बान के रूप में, भारत के पास एक समावेशी वैश्विक AI रणनीति को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाने का अवसर है। भारत के विशाल प्रौद्योगिकी पेशेवर वैश्विक समाधानों में योगदान दे सकते हैं, बशर्ते प्रमुख शक्तियाँ साझा ज़िम्मेदारियों के लिए प्रतिबद्ध हों।