2025 में भारतीय रुपये का अवमूल्यन
कैलेंडर वर्ष 2025 में भारतीय रुपये (INR) में अमेरिकी डॉलर (USD) के मुकाबले 4.3% की महत्वपूर्ण गिरावट आई है, जिससे यह एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है।
INR को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
- अन्य मुद्राओं के साथ तुलना:
- भारतीय रुपये का प्रदर्शन चीनी युआन और इंडोनेशियाई रुपिया जैसी मुद्राओं की तुलना में कमज़ोर रहा है, लेकिन जापानी येन और कोरियाई वोन जैसी संरचनात्मक रूप से कमज़ोर मुद्राओं की तुलना में बेहतर है।
- वैश्विक डॉलर की मजबूती का प्रभाव:
- रुपये की चाल घरेलू बुनियादी बातों की बजाय वैश्विक डॉलर की मजबूती से अधिक प्रभावित हो रही है।
- पूंजी बहिर्वाह:
- चालू खाते के अनुकूल स्थिति के बावजूद, पूंजी बहिर्वाह के कारण भारतीय रुपये पर मूल्यह्रास का दबाव है।
व्यापार और आर्थिक प्रभाव
- अमेरिकी टैरिफ और व्यापार समझौते की अनिश्चितता:
- अमेरिकी टैरिफ ने भारतीय निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, जिसके कारण अक्टूबर 2025 में व्यापार घाटा रिकॉर्ड 41.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।
- अमेरिका के साथ प्रत्याशित व्यापार समझौते में देरी से बाजार की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- सोने की कीमतें:
- सोने की कीमतों में वृद्धि से सोने में निवेश बढ़ा है, जिससे सोने के आयात बिल में काफी वृद्धि हुई है।
बाजार की प्रतिक्रियाएं और पूर्वानुमान
- मुद्रा स्तर:
- नवंबर 2025 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 89.66 के निचले स्तर पर पहुंच गया है, तथा यदि व्यापार समझौता नहीं सुलझा तो इसके 90 तक गिरने की संभावना है।
- विदेशी निवेश:
- अमेरिका में टैरिफ अनिश्चितताओं और AI-संचालित बाजार गतिविधियों के कारण विदेशी निवेश प्रवाह कम रहा है
भविष्य का दृष्टिकोण
- अनुमानित आर्थिक समायोजन:
- यदि व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाता है तो टैरिफ अंतराल को कम करके अन्य एशियाई समकक्षों के बराबर लाने की संभावना है, जिससे संभवतः भारतीय रुपया 88 के स्तर पर स्थिर हो जाएगा।
- बाह्य आर्थिक स्थितियाँ:
- अमेरिकी टैरिफ और बहुमूल्य धातुओं की बढ़ती कीमतों जैसे बाह्य झटके भारत के व्यापार संतुलन को प्रभावित कर रहे हैं।