डिजिटल बैंकिंग चैनलों पर RBI के दिशा-निर्देश
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के संबंध में व्यापक निर्देश जारी किए हैं, जिनमें ग्राहकों की सहमति और जोखिम प्रबंधन पर ज़ोर दिया गया है। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य ग्राहकों के अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए बैंकों द्वारा डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने के तरीके को विनियमित करना है।
मुख्य दिशा-निर्देश
- स्पष्ट सहमति: बैंकों को किसी भी डिजिटल बैंकिंग सेवा को सक्रिय करने से पहले ग्राहकों से स्पष्ट सहमति प्राप्त करनी होगी।
- गैर-अनिवार्य अपनाना: ग्राहकों को डेबिट कार्ड जैसी अन्य सेवाओं का उपयोग करने के लिए डिजिटल बैंकिंग चैनलों का उपयोग करने की बाध्यता नहीं है। विकल्प ग्राहक के पास ही रहता है।
- मोबाइल नंबर संग्रहण: बैंक लेनदेन अलर्ट भेजने और अपने ग्राहक को जानिए (KYC) अनुपालन के लिए ग्राहकों के मोबाइल नंबर एकत्र कर सकते हैं।
- जोखिम शमन उपाय:
- लेन-देन सीमा और वेग सीमा लागू करें।
- आंतरिक जोखिम धारणाओं के आधार पर धोखाधड़ी की जांच करें।
- लेन-देन निगरानी: बैंकों को असामान्य व्यवहार की निगरानी के लिए जोखिम-आधारित लेन-देन निगरानी अपनानी चाहिए तथा असामान्य लेन-देन के लिए पूर्व पुष्टि की आवश्यकता होनी चाहिए।
- नेटवर्क-स्वतंत्र पहुंच: मोबाइल बैंकिंग सेवाएं सभी मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों के माध्यम से सुलभ होनी चाहिए।
- तृतीय-पक्ष उत्पादों पर प्रतिबंध: बैंक डिजिटल चैनलों पर तृतीय-पक्ष या समूह-कंपनी के उत्पादों को प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं, जब तक कि आरबीआई द्वारा विशेष रूप से अनुमति न दी जाए।
अतिरिक्त निर्देश
- व्यापक नीति की आवश्यकता: बैंकों को डिजिटल बैंकिंग चैनलों के लिए एक नीति की आवश्यकता है जिसमें वैधानिक और नियामक आवश्यकताएं, तरलता प्रबंधन और परिचालन जोखिम शामिल हों।
- वरिष्ठ प्रबंधन जिम्मेदारी: बैंकों का वरिष्ठ प्रबंधन डिजिटल बैंकिंग सेवाओं से संबंधित जोखिम प्रबंधन की देखरेख के लिए जिम्मेदार है।
- आरबीआई की पूर्व स्वीकृति: बैंकों को लेनदेन बैंकिंग सुविधाएं शुरू करने से पहले आरबीआई से स्वीकृति लेनी होगी, बशर्ते वे आवश्यक मानदंडों को पूरा करते हों।
ये दिशानिर्देश यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार किए गए हैं कि डिजिटल बैंकिंग ग्राहक-केंद्रित, सुरक्षित हो, तथा नियामक मानकों का अनुपालन करते हुए मौजूदा बैंकिंग सेवाओं के साथ सहजता से एकीकृत हो।