भारत और बांग्लादेश के बीच समुद्री सीमा मुद्दे
मैरीटाइम फ्रंटियर्स के संस्थापक जोशुआ अलेक्जेंडर ने भारत और बांग्लादेश के बीच जटिल समुद्री सीमा मुद्दों पर चर्चा की तथा ऐसे "ग्रे क्षेत्रों" की मौजूदगी पर प्रकाश डाला, जिनके लिए दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
विवादों का समाधान
- भारत और बांग्लादेश ने न्यायाधिकरण में जाकर तथा उसके निर्णय का पालन करने पर सहमति व्यक्त करके अपने समुद्री सीमा विवादों को सुलझा लिया।
- संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण ने 2014 में बंगाल की खाड़ी के 25,602 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से 19,467 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बांग्लादेश को सौंप दिया था।
ग्रे क्षेत्र
- ग्रे क्षेत्र वे क्षेत्र हैं जहां बांग्लादेश का समुद्र तल पर अधिकार क्षेत्र है, जबकि भारत का जल स्तंभ पर अधिकार क्षेत्र है।
- इन क्षेत्रों के प्रभावी प्रबंधन के लिए अधिकार क्षेत्र संबंधी विवादों को सुलझाने हेतु दोनों देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता है।
बंदरगाह आधुनिकीकरण और समुद्री डकैती नियंत्रण
- बांग्लादेशी बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिए अंतरिम सरकार के प्रयास, जैसे कि न्यू मूरिंग कंटेनर टर्मिनल को डीपी वर्ल्ड को पट्टे पर देना, सकारात्मक कदम के रूप में देखे जा रहे हैं।
- हसीना सरकार के उपायों से चटगांव बंदरगाह के निकट समुद्री डकैती में काफी कमी आई है तथा भारत और अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से इसकी सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है।
भविष्य की संभावनाएँ
- बांग्लादेश को स्वायत्त जहाजों सहित भविष्य की नौवहन प्रवृत्तियों के लिए बंगाल की खाड़ी में अपनी रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
ढाका में सेंटर फॉर गवर्नेंस स्टडीज द्वारा आयोजित बंगाल की खाड़ी वार्तालाप के दौरान ये जानकारियां साझा की गईं, जिसमें बंदरगाह विकास में दूरदर्शी योजना की आवश्यकता पर बल दिया गया।