भारत-रूस रक्षा सहयोग: वर्तमान घटनाक्रम
रूस ने हाल ही में भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं और Su-57 पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट , लंबी दूरी के ड्रोन और पनडुब्बियों जैसे उन्नत सैन्य उपकरण पेश किए हैं। हालांकि, इन प्रस्तावों पर भारत की प्रतिक्रिया ठंडी रही है।
प्रमुख घटनाक्रम
- उम्मीदों के विपरीत, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया भारत यात्रा के दौरान किसी भी बड़े रक्षा सहयोग की घोषणा नहीं की गई।
- द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कुल 19 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, लेकिन Su-57 या रूस की S-500 वायु रक्षा प्रणाली के संबंध में कोई प्रगति नहीं हुई।
- भारत की संयमित प्रतिक्रिया रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर उसके ध्यान केंद्रित करने के अनुरूप है।
भारत के रक्षा विनिर्माण क्षेत्रक में बदलाव
- रक्षा मंत्री ने भारत की घरेलू रक्षा क्षमताओं में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तन पर प्रकाश डाला।
- भारत के रक्षा उत्पादन का मूल्य ₹1.51 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो 2014 में ₹46,000 करोड़ से काफी अधिक है।
- पिछले एक दशक में रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
रूस के गेरान ड्रोन
- गेरान ड्रोन , जो ईरान के शाहेद-136 आत्मघाती ड्रोन का स्वदेशी संस्करण है, का उपयोग रूस द्वारा यूक्रेन में किया गया है, लेकिन भारत ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है।
भारत-रूस तकनीकी सहयोग
- भारत-रूस सैन्य तकनीकी सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग की 23वीं बैठक मॉस्को में हुई।
- संजीव कुमार और एंड्री ए. बॉयत्सोव की सह-अध्यक्षता में हुई चर्चा में तीनों सेनाओं के सहयोग और रक्षा अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- प्रमुख रक्षा सौदों के अभाव के बावजूद, बैठक का समापन एक प्रोटोकॉल के साथ हुआ जिसमें सहयोग के नए क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया।