भारत का संशोधित परमाणु ऊर्जा कानून: शांति विधेयक
भारत परमाणु ऊर्जा से संबंधित एक नया कानून लाने जा रहा है, जिसका अस्थायी नाम SHANTI (Sustainable Harnessing of Advancement of Nuclear Energy for Transforming India) है। यह विधेयक देश के परमाणु ऊर्जा भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मुख्य उद्देश्य
- शांति विधेयक का लक्ष्य 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करना है।
- इसका उद्देश्य सीमित परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलना है।
मुख्य प्रावधान
- परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा स्थापित करना।
- निम्नलिखित क्षेत्रों में निजी क्षेत्रक की भागीदारी को सक्षम बनाना:
- परमाणु खनिजों का अन्वेषण और खनन
- ईंधन निर्माण
- परमाणु ऊर्जा से संबंधित विवादों के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण का प्रस्ताव करना।
- परमाणु सुरक्षा पर एक विशेष प्राधिकरण की स्थापना करना, जो अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ मिलकर काम करे।
सरकारी और निजी क्षेत्रक की भूमिकाएँ
- परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) निम्नलिखित पर अपना नियंत्रण बनाए रखेगा:
- भारी जल का उत्पादन और आपूर्ति
- परमाणु अपशिष्ट का पृथक्करण और उपचार
दायित्व और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
- परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 के तहत दायित्व संबंधी मुद्दों का समाधान करना।
- मुआवजे की सीमा पार हो जाने पर सरकारी हस्तक्षेप का सुझाव।
- परमाणु सुरक्षा, बीमा योजनाओं और दुर्घटनाओं की स्थिति में पीड़ितों के अधिकारों के लिए विस्तृत तौर-तरीकों पर जोर दिया गया है।
यह विधेयक वर्तमान में मसौदा तैयार करने के उन्नत चरणों में है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों से प्राप्त अंतिम टिप्पणियों और सुझावों को शामिल किया जा रहा है।